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1 उस प्रदेश के राजा के लिये तुम लोगों को एक उपहार भेजना चाहिये। तुम्हें रेगिस्तान से होते हुए सिय्योन की पुत्री के पर्वत पर सेला नगर से एक मेमना भेजना चाहिये।   
   
 
2 अरी ओ मोआब की स्त्रियों,  
अर्नोन की नदी को पार करने का प्रयत्न करो।  
वे सहारे के लिये इधर— उधर दौड़ रही हैं।  
वे ऐसी उन छोटी चिड़ियों जैसी है जो धरती पर पड़ी हुई है जब उनका घोंसला गिर चुका।   
3 वे पुकार रही हैं, “हमको सहारा दो!  
बताओ हम क्या करें! हमारे शत्रुओं से तुम हमारी रक्षा करो।  
तुम हमें ऐसे बचाओ जैसे दोपहर की धूप से धरती बचाती है।  
हम शत्रुओं से भाग रहे हैं, तुम हमको छुपा लो।  
हम को तुम शत्रुओं के हाथों में मत पड़ने दो।”   
4 उन मोआब वासियों को अपना घर छोड़ने को विवश किया गया था।  
अत: तुम उनको अपनी धरती पर रहने दो।  
तुम उनके शत्रुओं से उनको छुपा लो।  
यह लूट रुक जायेगी।  
शत्रु हार जायेंगे और ऐसे पुरुष जो दूसरों की हानि करते हैं,  
इस धरती से उखड़ेंगे।   
5 फिर एक नया राजा आयेगा।  
यह राजा दाऊद के घराने से होगा।  
   
 
वह सत्यपूर्ण, करुण और दयालु होगा।  
यह राजा न्यायी और निष्पक्ष होगा।  
वह खरे और नेक काम करेगा।   
6 हमने सुना है कि मोआब के लोग बहुत अभिमानी और गर्वीले हैं।  
ये लोग हिंसक हैं और बड़ा बोले भी।  
इनका बड़ा बोल सच्चा नहीं है।   
7 समूचा मोआब देश अपने अभिमान के कारण कष्ट उठायेगा।  
मोआब के सारे लोग विलाप करेंगे।  
वे लोग बहुत दु:खी रहेंगे।  
वे ऐसी वस्तुओं की इच्छा करेंगेजैसी उनके पास पहले हुआ करती थीं।  
वे कीरहरासत में बने हुए अंजीर के पेंड़ों की इच्छा करेंगे।   
8 वे लोग बहुत दु:खी रहा करेंगे क्योंकि हेशबोन के खेत और सिबमा की अँगूर की बेलों में अँगूर नहीं लगा पा रहे हैं।  
बाहर के शासकों ने अँगूर की बेलों को काट फेंका है।  
याजेर की नगरी से लेकर मरुभूमि में दूर—दूर तक शत्रु की सेनाएँ फैल गयी हैं।  
वे समुद्र के किनारे तक जा पहुँची हैं।   
9 मैं उन लोगों के साथ विलाप करुँगा जो याजेर और सिबमा के निवासी हैं  
क्योंकि अंगूर नष्ट किये गये।  
मैं हेशबोन और एलाले के लोगों के साथ शोक करुँगा  
क्योंकि वहाँ फसल नहीं होगी।  
वहाँ गर्मी का कोई फल नहीं होगा।  
वहाँ पर आनन्द के ठहाके भी नहीं होंगे।   
10 अंगूर के बगीचे में आनन्द नहीं होगा और न ही वहाँ गीत गाये जायेंगे।  
मैं कटनी के समय की सारी खुशी समाप्त कर दूँगा।  
दाखमधु बनने के लिये अंगूर तो तैयार है,  
किन्तु वे सब नष्ट हो जायेंगे।   
11 इसलिए मैं मोआब के लिये बहुत दु:खी हूँ।  
मैं कीरहैरेम के लिये बहुत दु:खी हूँ।  
मैं उन नगरों के लिये अत्याधिक दु:खी हूँ।   
12 मोआब के निवासी अपने ऊँचे पूजा के स्थानों पर जायेंगे।  
वे लोग प्रार्थना करने का प्रयत्न करेंगे।  
किन्तु वे उन सभी बातों को देखेंगे जो कुछ घट चुकी है,  
और वे प्रार्थना करने को दुर्बल हो जायेंगे।   
   
 
13 यहोवा ने मोआब के बारे में पहले अनेक बार ये बातें कही थीं  
14 और अब यहोवा कहता है, “तीन वर्ष में (उस रीति से जैसे किराये का मजदूर समय गिनता है) वे सभी व्यक्ति और उनकी वे वस्तुएँ जिन पर उन्हें गर्व था, नष्ट हो जायेंगी। वहाँ बहुत थोड़े से लोग ही बचेंगे, बहुत से नहीं।”