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लबानोन को परमेश्वर का सन्देश 
 
1 सोर के विषय में दु:खद सन्देश:  
   
 
हे तर्शीश के जहाज़ों, दु:ख मनाओ!  
तुम्हारा बन्दरगाह उजाड़ दिया गया है।  
(इन जहाज़ो पर जो लोग थे, उन्हें यह समाचार उस समय बताया गया था जब वे कित्तियों के देश से अपने रास्ते जा रहे थे।)   
2 हे समुद्र के निकट रहने वाले लोगों,  
रुको और शोक मनाओ!  
हे, सीदोन के सौदागरों शोक मनाओ।  
सिदोन तेरे सन्देशवाहक समुद्र पार जाया करते थे।  
उन लोगों ने तुझे धन दौलत से भर दिया।   
3 वे लोग अनाज की तलाश में समुद्रों में यात्रा करते थे।  
सोर के वे लोग नील नदी के आसपास जो अनाज पैदा होता था, उसे मोल ले लिया करते थे और फिर उस अनाज को दूसरे देशों में बेचा करते थे।   
4 हे सीदोन, तुझे शर्म आनी चाहिए।  
क्योंकि अब सागर और सागर का किला कहता है:  
मैं सन्तान रहित हूँ। मुझे प्रसव की वेदना का ज्ञान नहीं है।  
मैंने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया।  
मैंने युवती व युवक को पाल कर बड़े नहीं किया।   
5 मिस्र सोर का समाचार सुनेगा  
और यह समाचार मिस्र को दु:ख देगा।   
6 तेरे जलयान तर्शीश को लौट जाने चाहिए।  
हे सागरतट वासियों! दु:ख में डूब जाओ।   
7 बीते दिनों में तुमने सोर नगर का रस लिया।  
यह नगरी शुरु से ही विकसित होती रही।  
उस नगर के कुछ लोग कहीं दूर बसने को चले गये।   
8 सोर के नगर ने बहुत सारे नेता पैदा किये।  
वहाँ के व्यापारी राजपुत्रों के समान होते हैं और वे लोग वस्तुएँ खरीदते व बेचते हैं।  
वे हर कहीं आदर पाते हैं।  
सो किसने सोर के विरुद्ध योजनाएँ रची हैं।   
9 हाँ, सर्वशक्तिमान यहोवा ने वे योजनाएँ बनायी थी।  
उसने ही उन्हें महत्त्वपूर्ण न बनाने का निश्चय किया था।   
10 हे तर्शीश के जहाज़ो तुम अपने देश को लौट जाओ।  
तुम सागर को ऐसे पार करो जैसे वह छोटी सी नदी हो।  
कोई भी व्यक्ति अब तुम्हें नहीं रोकेगा।   
11 यहोवा ने अपना हाथ सागर के ऊपर फैलाया है और राज्यों को कँपा दिया।  
यहोवा ने कनान (फिनिसियाँ) के बारे में आदेश दे दिया है कि उसके गढ़ियों को नष्ट कर दिया जाये।   
12 यहोवा कहता है, हे! सीदोन की कुँवारी पुत्री, तुझे नष्ट किया जायेगा।  
अब तू और अधिक आनन्द न मना पायेगी।  
किन्तु सोर के निवासी कहते हैं, “हमको कित्ती बचायेगा।”  
किन्तु यदि तुम सागर को पार कर कित्तीमजाओ वहाँ भी तुम चैन का स्थान नहीं पाओगे।   
13 अत: सोर के निवासी कहा करते हैं, “बाबुल के लोग हम को बचायेंगे!”  
किन्तु तुम बाबुल के लोगों को धरती पर देखो।  
एक देश के रुप में आज बाबुल का कोई अस्तित्व नहीं है।  
बाबुल के ऊपर अश्शूर ने चढ़ाई की और उस के चारों ओर बुर्जियाँ बनाई।  
सैनिकों ने सुन्दर घरों का सब धन लूट लिया।  
अश्शूर ने बाबुल को जंगली पशुओं का घर बना दिया।  
उन्होंने बाबुल को खण्डहरों में बदल दिया।   
14 सो तर्शीश के जलयानों तुम विलाप करो।  
तुम्हारा सुरक्षा स्थान (सोर) नष्ट हो जायेगा।   
   
 
15 सत्तर वर्ष तक लोग सोर को भूल जायेंगे। (यह समय, किसी राजा के शासन काल के बराबर समय माना जाता था।) सत्तर वर्ष के बाद, सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा। इस गीत में:   
   
 
16 “हे वेश्या! जिसे पुरुषों ने भुला दिया।  
तू अपनी वीणा उठा और इस नगर में घूम।  
तू अपने गीत को अच्छी तरह से बजा, तू अक्सर अपना गीत गाया कर।  
तभी तुझको लोग फिर से याद करेंगे।”   
   
 
17 सत्तर वर्ष के बाद, परमेश्वर सोर के विषय में फिर विचार करेगा और वह उसे एक निर्णय देगा। सोर में फिर से व्यापार होने लगेगा। धरती के सभी देशों के लिये सोर एक वेश्या के समान हो जायेगा।  
18 किन्तु सोर जिस धन को कमायेगा, उसको रख नहीं पायेगा। सोर का अपने व्यापार से हुआ लाभ यहोवा के लिये बचाकर रखा जायेगा। सोर उस लाभ को उन लोगों को दे देगा जो यहोवा की सेवा करते हैं। इसलिये यहोवा के सेवक भर पेट खाना खायेंगे और अच्छे कपड़े पहनेंगे।