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यहोवा अपने लोगों का न्याय करता है 
 
1 यह कौन है जो एदोम से आ रहा है,  
यह बोस्रा की नगरी से लाल धब्बों से युक्त कपड़े पहने आ रहा है।  
वह अपने वस्त्रों में अति भव्य दिखता है।  
वह लम्बे डग बढ़ाता हुआ अपनी महाशक्ति के साथ आ रहा है।  
और मैं सच्चाई से बोलता हूँ।   
   
 
2 “तू ऐसे वस्त्र जो लाल धब्बों से युक्त हैं?  
क्यों पहनता है तेरे वस्त्र ऐसे लाल क्यों हैं जैसे उस व्यक्ति के जो अंगूर से दाखमधु बनाता है”   
   
 
3 वह उत्तर देता है, “दाखमधु के कुंडे में मैंने अकेले ही दाख रौंदी।  
किसी ने भी मुझको सहायता नहीं दी।  
मैं क्रोधित था और मैंने लोगों को रौंदा जैसे अंगूर दाखमधु बनाने के लिये रौंदे जाते हैं।  
रस छिटकर मेरे वस्त्रों में लगा।   
4 मैंने राष्ट्रों को दण्ड देने के लिये एक समय चुना।  
मेरा वह समय आ गया कि मैं अपने लोगों को बचाऊँ और उनकी रक्षा करूँ।   
5 मैं चकित हुआ कि किसी भी व्यक्ति ने मेरा समर्थन नहीं किया।  
इसलिये मैंने अपनी शक्ति का प्रयोग अपने लोगों को बचाने के लिये किया।  
स्वयं मेरे अपने क्रोध ने ही मेरा समर्थन किया।   
6 जब मैं क्रोधित था, मैंने लोगों को रौंद दिया था।  
जब मैं क्रोध में पागल था, मैंने उनको दण्ड दिया।  
मैंने उनका लहू धरती पर उंडेल दिया।”   
यहोवा अपने लोगों पर दयालु रहा 
 
7 यह मैं याद रखूँगा कि यहोवा दयालु है  
और मैं यहोवा की स्तुति करना याद रखूँगा।  
यहोवा ने इस्राएल के घराने को बहुत सी वस्तुएँ प्रदान की।  
यहोवा हमारे प्रति बहुत ही कृपालु रहा।  
यहोवा ने हमारे प्रति दया दिखाई।   
8 यहोवा ने कहा था “ये मेरे लोग हैं।  
ये बच्चें कभी झूठ नहीं कहते हैं” इसलिये यहोवा ने उन लोगों को बचा लिया।   
9 उनको उनके सब संकटो से किसी भी स्वर्गदूत ने नहीं बचाया था।  
उसने स्वयं ही अपने प्रेम और अपनी दया से उनको छुटकारा दिलाया था।   
10 किन्तु वे लोग यहोवा से मुख मोड़ चले।  
उन्होंने उसकी पवित्र आत्मा को बहुत दु:खी किया।  
सो यहोवा उनका शत्रु बन गया।  
यहोवा ने उन लोगों के विरोध में युद्ध किया।   
   
 
11 किन्तु यहोवा अब भी पहले का समय याद करता है।  
यहोवा मूसा के और उसके लोगों को याद करता हैं।  
यहोवा वही था जो लोगों को सागर के बीच से निकाल कर लाया।  
यहोवा ने अपनी भेंड़ों (लोगों) की अगुवाई के लिये अपने चरवाहों (नबियों) का प्रयोग किया।  
किन्तु अब वह यहोवा कहाँ है जिसने अपनी आत्मा को मूसा में रख दिया था   
12 यहोवा ने अपने दाहिने हाथ से मूसा की अगुवाई की।  
यहोवा ने अपनी अद्भुत शक्ति से मूसा को राह दिखाई।  
यहोवा ने जल को चीर दिया था।  
जिससे लोग सागर को पैदल पार कर सके थे।  
इस अद्भुत कार्य को करके यहोवा ने अपना नाम प्रसिद्ध किया था   
13 यहोवा ने लोगों को राह दिखाई।  
वे लोग गहरे सागर के बीच से बिना गिरे ही पार हो गये थे।  
वे ऐसे चले थे जैसे मरूस्थल के बीच से घोड़ा चला जाता है।   
14 जैसे मवेशी घाटियों से उतरते और विश्राम का ठौर पाते हैं  
वैसे ही यहोवा के प्राण ने हमें विश्राम की जगह दी है।  
हे यहोवा, इस ढंग से तूने अपने लोगों को राह दिखाई  
और तूने अपना नाम अद्भुत कर दिया।   
उसके लोगों की सहायता के लिए यहोवा से प्रार्थना 
 
15 हे यहोवा, तू आकाश से नीचे देख।  
उन बातों को देख जो घट रही हैं!  
तू हमें अपने महान पवित्र घर से जो आकाश मैं है, नीचे देख।  
तेरा सुदृढ़ प्रेम हमारे लिये कहाँ है तेरे शक्तिशाली कार्य कहाँ है  
तेरे हृदय का प्रेम कहाँ है मेरे लिये तेरी कृपा कहाँ है  
तूने अपना करूण प्रेम मुझसे कहाँ छिपा रखा है   
16 देख, तू ही हमारा पिता है!  
इब्राहीम को यह पता नहीं है कि हम उसकी सन्तानें हैं।  
इस्राएल (याकूब) हमको पहचानता नहीं है।  
यहोवा तू ही हमारा पिता है।  
तू वही यहोवा है जिसने हमको सदा बचाया है।   
17 हे यहोवा, तू हमको अपने से दूर क्यों ढकेल रहा है  
तू हमारे लिये अपना अनुसरण करने को क्यों कठिन बनाता है यहोवा तू हमारे पास लौट आ।  
हम तो तेरे दास हैं।  
हमारे पास आ और हमको सहारा दे।  
हमारे परिवार तेरे हैं।   
18 थोड़े समय के लिये हमारे शत्रुओं ने तेरे पवित्र लोगों पर कब्जा कर लिया था।  
हमारे शत्रुओं ने तेरे मन्दिर को कुचल दिया था।   
19 कुछ लोग तेरा अनुसरण नहीं करते हैं।  
वे तेरे नाम को धारण नहीं करते हैं।  
जैसे वे लोग हम भी वैसे हुआ करते थे।