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1 यहोवा की प्रशंसा करो क्योंकि वह उत्तम है।  
हमारे परमेश्वर के प्रशंसा गीत गाओ।  
उसका गुणगान भला और सुखदायी है।   
2 यहोवा ने यरूशलेम को बनाया है।  
परमेश्वर इस्राएली लोगों को वापस छुड़ाकर ले आया जिन्हें बंदी बनाया गया था।   
3 परमेश्वर उनके टूटे मनों को चँगा किया करता  
और उनके घावों पर पट्टी बांधता है।   
4 परमेश्वर सितारों को गिनता है  
और हर एक तारे का नाम जानता है।   
5 हमारा स्वामी अति महान है। वह बहुत ही शक्तिशाली है।  
वे सीमाहीन बातें है जिनको वह जानता है।   
6 यहोवा दीन जन को सहारा देता है।  
किन्तु वह दुष्ट को लज्जित किया करता है।   
7 यहोवा को धन्यवाद करो।  
हमारे परमेश्वर का गुणगान वीणा के संग करो।   
8 परमेश्वर मेघों से अम्बर को भरता है।  
परमेश्वर धरती के लिये वर्षा करता है।  
परमेश्वर पहाड़ों पर घास उगाता है।   
9 परमेश्वर पशुओं को चारा देता है,  
छोटी चिड़ियों को चुग्गा देता है।   
10 उनको युद्ध के घोड़े और शक्तिशाली सैनिक नहीं भाते हैं।   
11 यहोवा उन लोगों से प्रसन्न रहता है। जो उसकी आराधना करते हैं।  
यहोवा प्रसन्न हैं, ऐसे उन लोगों से जिनकी आस्था उसके सच्चे प्रेम में है।   
12 हे यरूशलेम, यहोवा के गुण गाओ!  
सिय्योन, अपने परमेश्वर की प्रशंसा करो!   
13 हे यरूशलेम, तेरे फाटको को परमेश्वर सुदृढ़ करता है।  
तेरे नगर के लोगों को परमेश्वर आशीष देता है।   
14 परमेश्वर तेरे देश में शांति को लाया है।  
सो युद्ध में शत्रुओं ने तेरा अन्न नहीं लूटा। तेरे पास खाने को बहुत अन्न है।   
15 परमेश्वर धरती को आदेश देता है,  
और वह तत्काल पालन करती है।   
16 परमेश्वर पाला गिराता जब तक धरातल वैसा श्वेत नहीं होता जाता जैसा उजला ऊन होता है।  
परमेश्वर तुषार की वर्षा करता है, जो हवा के साथ धूल सी उड़ती है।   
17 परमेश्वर हिम शिलाएँ गगन से गिराता है।  
कोई व्यक्ति उस शीत को सह नहीं पाता है।   
18 फिर परमेश्वर दूसरी आज्ञा देता है, और गर्म हवाएँ फिर बहने लग जाती हैं।  
बर्फ पिघलने लगती, और जल बहने लग जाता है।   
   
 
19 परमेश्वर ने निज आदेश याकूब को (इस्राएल को) दिये थे।  
परमेश्वर ने इस्राएल को निज विधी का विधान और नियमों को दिया।   
20 यहोवा ने किसी अन्य राष्ट्र के हेतु ऐसा नहीं किया।  
परमेश्वर ने अपने नियमों को, किसी अन्य जाति को नहीं सिखाया।  
   
 
यहोवा का यश गाओ।