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आसाप का एक स्तुति गीत। 
 
1 हे परमेश्वर, कुछ लोग तेरे भक्तों के साथ लड़ने आये हैं।  
उन लोगों ने तेरे पवित्र मन्दिर को ध्वस्त किया,  
और यरूशलेम को उन्होंने खण्डहर बना दिया।   
2 तेरे भक्तों के शवों को उन्होंने गिद्धों को खाने के लिये डाल दिया।  
तेरे अनुयायिओं के शव उन्होंने पशुओं के खाने के लिये डाल दिया।   
3 हे परमेश्वर, शत्रुओं ने तेरे भक्तों को तब तक मारा जब तक उनका रक्त पानी सा नहीं फैल गया।  
उनके शव दफनाने को कोई भी नहीं बचा।   
4 हमारे पड़ोसी देशों ने हमें अपमानित किया है।  
हमारे आस पास के लोग सभी हँसते हैं, और हमारी हँसी उड़ाते हैं।   
5 हे परमेश्वर, क्या तू सदा के लिये हम पर कुपित रहेगा  
क्या तेरे तीव्र भाव अग्नि के समान धधकते रहेंगे   
6 हे परमेश्वर, अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में जो तुझको नहीं पहचानते मोड़,  
अपने क्रोध को उन राष्ट्रों के विरोध में मोड़ जो तेरे नाम की आराधना नहीं करते।   
7 क्योंकि उन राष्ट्रों ने याकूब को नाश किया।  
उन्होंने याकूब के देश को नाश किया।   
8 हे परमेश्वर, तू हमारे पूर्वजों के पापों के लिये कृपा करके हमको दण्ड मत दे।  
जल्दी कर, तू हम पर निज करूणा दर्शा!  
हम को तेरी बहुत उपेक्षा है!   
9 हमारे परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता, हमको सहारा दे!  
अपने ही नाम की महिमा के लिये हमारी सहायता कर!  
हमको बचा ले! निज नाम के गौरव निमित्त  
हमारे पाप मिटा।   
10 दूसरी जाति के लोगों को तू यह मत कहने दे,  
“तुम्हारा परमेश्वर कहाँ है? क्या वह तुझको सहारा नहीं दे सकता है?”  
हे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे ताकि उस दण्ड को हम भी देख सकें।  
उन लोगोंको तेरे भक्तों को मारने का दण्ड दे।   
11 बंदी गृह में पड़े हुओं कि कृपया तू कराह सुन ले!  
हे परमेश्वर, तू निज महाशक्ति प्रयोग में ला और उन लोगों को बचा ले जिनको मरने के लिये ही चुना गया है।   
12 हे परमेश्वर, हम जिन लोगों से घिरे हैं,  
उनको उन अत्यचारों का दण्ड सात गुणा दे।  
हे परमेश्वर, उन लोगों को इतनी बार दण्ड दे जितनी बारवे तेरा अपमान किये है।   
13 हम तो तेरे भक्त हैं। हम तेरे रेवड़ की भेड़ हैं।  
हम तेरा गुणगान सदा करेंगे।  
हे परमेश्वर अंत काल तक तेरा गुण गायेंगे।