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मन्दिर के पुनः निर्माण का कार्य जारी
तब हाग्गै नामक नबी और इद्दो का पोता जकर्याह यहूदा और यरूशलेम के यहूदियों से नबूवत करने लगे, उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर के नाम से उनसे नबूवत की। तब शालतीएल का पुत्र जरुब्बाबेल और योसादाक का पुत्र येशुअ, कमर बाँधकर परमेश्वर के भवन को जो यरूशलेम में है बनाने लगे; और परमेश्वर के वे नबी उनका साथ देते रहे*
उसी समय महानद के इस पार का तत्तनै नामक अधिपति और शतर्बोजनै अपने सहयोगियों समेत उनके पास जाकर यह पूछने लगे, “इस भवन के बनाने और इस शहरपनाह को खड़ा करने की किसने तुम को आज्ञा दी है?” उन्होंने लोगों से यह भी कहा, “इस भवन के बनानेवालों के क्या नाम हैं?” परन्तु यहूदियों के पुरनियों के परमेश्वर की दृष्टि उन पर रही, इसलिए जब तक इस बात की चर्चा दारा से न की गई और इसके विषय चिट्ठी के द्वारा उत्तर न मिला, तब तक उन्होंने इनको न रोका।
जो चिट्ठी महानद के इस पार के अधिपति तत्तनै और शतर्बोजनै और महानद के इस पार के उनके सहयोगियों फारसियों ने राजा दारा के पास भेजी उसकी नकल यह है; उन्होंने उसको एक चिट्ठी लिखी, जिसमें यह लिखा थाः “राजा दारा का कुशल क्षेम सब प्रकार से हो। राजा को विदित हो, कि हम लोग यहूदा नामक प्रान्त में महान परमेश्वर के भवन के पास गए थे, वह बड़े-बड़े पत्थरों से बन रहा है, और उसकी दीवारों में कड़ियाँ जुड़ रही हैं; और यह काम उन लोगों के द्वारा फुर्ती के साथ हो रहा है, और सफल भी होता जाता है। इसलिए हमने उन पुरनियों से यह पूछा, ‘यह भवन बनवाने, और यह शहरपनाह खड़ी करने की आज्ञा किसने तुम्हें दी?’ 10 और हमने उनके नाम भी पूछे, कि हम उनके मुख्य पुरुषों के नाम लिखकर तुझको जता सकें। 11 उन्होंने हमें यह उत्तर दिया, ‘हम तो आकाश और पृथ्वी के परमेश्वर के दास हैं, और जिस भवन को बहुत वर्ष हुए इस्राएलियों के एक बड़े राजा ने बनाकर तैयार किया था, उसी को हम बना रहे हैं। 12 जब हमारे पुरखाओं ने स्वर्ग के परमेश्वर को रिस दिलाई थी, तब उसने उन्हें बाबेल के कसदी राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया था, और उसने इस भवन को नाश किया और लोगों को बन्दी बनाकर बाबेल को ले गया। 13 परन्तु बाबेल के राजा कुस्रू के पहले वर्ष में उसी कुस्रू राजा ने परमेश्वर के इस भवन को बनाने की आज्ञा दी। 14 परमेश्वर के भवन के जो सोने और चाँदी के पात्र नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मन्दिर में से निकलवाकर बाबेल के मन्दिर में ले गया था, उनको राजा कुस्रू ने बाबेल के मन्दिर में से निकलवाकर शेशबस्सर नामक एक पुरुष को जिसे उसने अधिपति ठहरा दिया था, सौंप दिया। 15 उसने उससे कहा, “ये पात्र ले जाकर यरूशलेम के मन्दिर में रख, और परमेश्वर का वह भवन अपने स्थान पर बनाया जाए।” 16 तब उसी शेशबस्सर ने आकर परमेश्वर के भवन की जो यरूशलेम में है नींव डाली; और तब से अब तक यह बन रहा है, परन्तु अब तक नहीं बन पाया।’ 17 अब यदि राजा को अच्छा लगे तो बाबेल के राजभण्डार में इस बात की खोज की जाए, कि राजा कुस्रू ने सचमुच परमेश्वर के भवन के जो यरूशलेम में है बनवाने की आज्ञा दी थी, या नहीं। तब राजा इस विषय में अपनी इच्छा हमको बताए।”
* 5:2 उनका साथ देते रहे: लोगों को जोश दिलाने में। 5:8 बड़े-बड़े पत्थरों से: ये पत्थर इतने बड़े थे कि उनको लुढ़काकर लाया गया था, उठाकर नहीं।