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हाकिम जो यरूशलेम में बस गए
प्रजा के हाकिम तो यरूशलेम में रहते थे, और शेष लोगों ने यह ठहराने के लिये चिट्ठियाँ डालीं, कि दस में से एक मनुष्य यरूशलेम में, जो पवित्र नगर है, बस जाएँ; और नौ मनुष्य अन्य नगरों में बसें। जिन्होंने अपनी ही इच्छा से यरूशलेम में वास करना चाहा उन सभी को लोगों ने आशीर्वाद दिया।
उस प्रान्त के मुख्य-मुख्य पुरुष जो यरूशलेम में रहते थे, वे ये हैं; परन्तु यहूदा के नगरों में एक-एक मनुष्य अपनी निज भूमि में रहता था; अर्थात् इस्राएली, याजक, लेवीय, नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान। यरूशलेम में तो कुछ यहूदी और बिन्यामीनी रहते थे। यहूदियों में से तो येरेस के वंश का अतायाह जो उज्जियाह का पुत्र था, यह जकर्याह का पुत्र, यह अमर्याह का पुत्र, यह शपत्याह का पुत्र, यह महललेल का पुत्र था। मासेयाह जो बारूक का पुत्र था, यह कोल्होजे का पुत्र, यह हजायाह का पुत्र, यह अदायाह का पुत्र, यह योयारीब का पुत्र, यह जकर्याह का पुत्र, और यह शीलोई का पुत्र था। पेरेस के वंश के जो यरूशलेम में रहते थे, वह सब मिलाकर चार सौ अड़सठ शूरवीर थे।
बिन्यामीनियों में से सल्लू जो मशुल्लाम का पुत्र था, यह योएद का पुत्र, यह पदायाह का पुत्र था, यह कोलायाह का पुत्र यह मासेयाह का पुत्र, यह इतीएह का पुत्र, यह यशायाह का पुत्र था। उसके बाद गब्बै सल्लै जिनके साथ नौ सौ अट्ठाईस पुरुष थे। इनका प्रधान जिक्री का पुत्र योएल था, और हस्सनूआ का पुत्र यहूदा नगर के प्रधान का नायब था।
10 फिर याजकों में से योयारीब का पुत्र यदायाह और याकीन। 11 और सरायाह जो परमेश्वर के भवन का प्रधान और हिल्किय्याह का पुत्र था, यह मशुल्लाम का पुत्र, यह सादोक का पुत्र, यह मरायोत का पुत्र, यह अहीतूब का पुत्र था। 12 और इनके आठ सौ बाईस भाई जो उस भवन का काम करते थे; और अदायाह, जो यरोहाम का पुत्र था, यह पलल्याह का पुत्र, यह अमसी का पुत्र, यह जकर्याह का पुत्र, यह पशहूर का पुत्र, यह मल्किय्याह का पुत्र था। 13 इसके दो सौ बयालीस भाई जो पितरों के घरानों के प्रधान थे; और अमशै जो अजरेल का पुत्र था, यह अहजै का पुत्र, यह मशिल्लेमोत का पुत्र, यह इम्मेर का पुत्र था। 14 इनके एक सौ अट्ठाईस शूरवीर भाई थे और इनका प्रधान हग्गदोलीम का पुत्र जब्दीएल था।
15 फिर लेवियों में से शमायाह जो हश्शूब का पुत्र था, यह अज्रीकाम का पुत्र, यह हशब्याह का पुत्र, यह बुन्नी का पुत्र था। 16 शब्बतै और योजाबाद मुख्य लेवियों में से परमेश्वर के भवन के बाहरी काम* पर ठहरे थे। 17 मत्तन्याह जो मीका का पुत्र और जब्दी का पोता, और आसाप का परपोता था; वह प्रार्थना में धन्यवाद करनेवालों का मुखिया था, और बकबुक्याह अपने भाइयों में दूसरा पद रखता था; और अब्दा जो शम्मू का पुत्र, और गालाल का पोता, और यदूतून का परपोता था। 18 जो लेवीय पवित्र नगर में रहते थे, वह सब मिलाकर दो सौ चौरासी थे।
19 अक्कूब और तल्मोन नामक द्वारपाल और उनके भाई जो फाटकों के रखवाले थे, एक सौ बहत्तर थे। 20 शेष इस्राएली याजक और लेवीय, यहूदा के सब नगरों में अपने-अपने भाग पर रहते थे। 21 नतीन लोग ओपेल में रहते; और नतिनों के ऊपर सीहा, और गिश्पा ठहराए गए थे।
22 जो लेवीय यरूशलेम में रहकर परमेश्वर के भवन के काम में लगे रहते थे, उनका मुखिया आसाप के वंश के गवैयों में का उज्जी था, जो बानी का पुत्र था, यह हशब्याह का पुत्र, यह मत्तन्याह का पुत्र और यह हशब्याह का पुत्र था। 23 क्योंकि उनके विषय राजा की आज्ञा थी, और गवैयों के प्रतिदिन के प्रयोजन के अनुसार ठीक प्रबन्ध था। 24 प्रजा के सब काम के लिये मशेजबेल का पुत्र पतह्याह जो यहूदा के पुत्र जेरह के वंश में था, वह राजा के पास रहता था।
अन्य नगरों के निवासी
25 बच गए गाँव और उनके खेत, सो कुछ यहूदी किर्यतअर्बा, और उनके गाँव में, कुछ दीबोन, और उसके गाँवों में, कुछ यकब्सेल और उसके गाँवों में रहते थे। 26 फिर येशुअ, मोलादा, बेत्पेलेत; 27 हसर्शूआल, और बेर्शेबा और उसके गाँवों में; 28 और सिकलग और मकोना और उनके गाँवों में; 29 एन्निम्मोन, सोरा, यर्मूत, 30 जानोह और अदुल्लाम और उनके गाँवों में, लाकीश, और उसके खेतों में, अजेका और उसके गाँवों में वे बेर्शेबा से ले हिन्नोम की तराई तक डेरे डाले हुए रहते थे। 31 बिन्यामीनी गेबा से लेकर मिकमाश, अय्या और बेतेल और उसके गाँवों में; 32 अनातोत, नोब, अनन्याह, 33 हासोर, रामाह, गित्तैम, 34 हादीद, सबोईम, नबल्लत, 35 लोद, ओनो और कारीगरों की तराई तक रहते थे। 36 यहूदा के कुछ लेवियों के दल बिन्यामीन के प्रान्तों में बस गए।
* 11:16 11:16 परमेश्वर के भवन के बाहरी काम: जैसे नई कर वसूली (नहे.10:32), नियमित बलियाँ आदि का स्मरण। 11:20 11:20 यहूदा के सब नगरों: स्वदेश लौटने वाला समुदाय जो मुख्यत: दो गोत्र के सदस्य ही थे परन्तु जिस भूमि पर वे निवास करते थे वह यहूदा राज्य की भूमि थी। 11:23 11:23 उनके विषय राजा की आज्ञा थी: मन्दिर की सेवा में नियुक्त सेवकों के प्रति अर्तक्षत्र की सद्भावना कर मुक्ति द्वारा प्रगट थी। (एज्रा 7:24) अब उसने राजसी कोष से गवैयों के लिए मत्त भी नियुक्त कर दिया था।