स्तोत्र 8
संगीत निर्देशक के लिये. गित्तीथ* पर आधारित. दावीद का एक स्तोत्र.
याहवेह, हमारे प्रभु,
समस्त पृथ्वी पर कितना तेजमय है आपका नाम!
 
स्वर्ग पर आपने
अपने वैभव को प्रदर्शित किया है.
आपने अपने शत्रुओं के कारण बालकों एवं शिशुओं
के मुख से अपना बल बसा लिया,
कि आपके विरोधियों तथा शत्रु का अंत हो जाए.
जब मैं आपकी उंगलियों,
द्वारा रचा आकाश,
चंद्रमा और नक्षत्रों को,
जिन्हें आपने यथास्थान पर स्थापित किया, देखता हूं,
तब मैं विचार करता हूं: मनुष्य है ही क्या, कि आप उसकी ओर ध्यान दें?
क्या विशेषता है मानव में कि आप उसके विषय में विचार भी करें?
 
आपने मनुष्य को सम्मान और वैभव का मुकुट पहनाया,
क्योंकि आपने उसे स्वर्गदूतों से थोड़ा ही कम बनाया है.
आपने उसे अपनी सृष्टि का प्रशासक बनाया;
आपने सभी कुछ उसके अधिकार में दे दिया:
भेड़-बकरी, गाय-बैल,
तथा वन्य पशु,
आकाश के पक्षी,
एवं समुद्र की मछलियां,
तथा समुद्री धाराओं में चलते फिरते सभी जलचर भी.
 
याहवेह, हमारे प्रभु,
समस्त पृथ्वी पर कितना तेजमय है आपका नाम!
* स्तोत्र 8: शीर्षक: शायद संगीत संबंधित एक शब्द