यूहन्नाक पहिल पत्र
1
जीवनक वचन
1 जे शुरू सँ छल, जे हम सभ सुनने छी, जे हम सभ अपना आँखि सँ देखने छी, जे हम सभ ध्यानपूर्बक देखने छी और हाथ सँ छुने छी, अर्थात् ओ वचन जे जीवन अछि, से हमरा सभक विषय अछि।
2 ई जीवन प्रगट भऽ गेल, हम सभ एकरा देखलहुँ, और एकरा बारे मे गवाही दैत हम सभ अहाँ सभक सामने ई जीवन प्रस्तुत करैत छी जे अनन्त अछि, जे पिताक संग छल और जे हमरा सभक सामने प्रगट कयल गेल।
3 हम सभ जे देखलहुँ आ सुनलहुँ, से अहाँ सभ केँ कहि रहल छी, जाहि सँ अहूँ सभ केँ हमरा सभक संग संगति होयत। हमरा सभक संगति पिताक संग और हुनकर पुत्र यीशु मसीहक संग अछि।
4 ई बात हम सभ एहि लेल लिखैत छी जाहि सँ हमरा सभक आनन्द पूर्ण होअय।
इजोत मे चली
5 जे सम्बाद हम सभ हुनका सँ सुनलहुँ और अहाँ सभ केँ सुनबैत छी से यैह अछि—परमेश्वर इजोत छथि। हुनका मे एको रत्ती अन्हार नहि छनि।
6 जँ अपना सभ कहैत छी जे हुनका संग हमर संगति अछि जखन कि अन्हारे मे चलि रहल छी तँ झूठ बजैत छी और सत्यक अनुसार आचरण नहि करैत छी।
7 मुदा जँ इजोत मे चलैत छी, जेना ओ इजोत मे छथि, तँ अपना सभ केँ एक-दोसराक संग संगति होइत अछि, और हुनकर पुत्र यीशुक खून अपना सभ केँ सभ पाप सँ शुद्ध करैत अछि।
8 जँ अपना सभ कहैत छी जे हमरा मे कोनो पाप नहि अछि तँ अपना केँ धोखा दैत छी और अपना सभ मे सत्य नहि अछि।
9 मुदा जँ अपना सभ अपन पाप केँ मानि लेब तँ ओ जे विश्वासयोग्य और न्यायी छथि अपना सभ केँ पापक क्षमा करताह और अपना सभ केँ सभ अधर्म सँ शुद्ध करताह।
10 जँ अपना सभ कहैत छी जे हम पाप नहि कयने छी तँ परमेश्वर केँ झुट्ठा ठहरबैत छी, और हुनका वचन केँ अपना जीवन मे कोनो स्थान नहि दैत छी।