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मिट्टी के बरतनों में रूहानी ख़ज़ाना
पस चूँकि हमें अल्लाह के रहम से यह ख़िदमत सौंपी गई है इसलिए हम बेदिल नहीं हो जाते। हमने छुपी हुई शर्मनाक बातें मुस्तरद कर दी हैं। न हम चालाकी से काम करते, न अल्लाह के कलाम में तहरीफ़ करते हैं। बल्कि हमें अपनी सिफ़ारिश की ज़रूरत भी नहीं, क्योंकि जब हम अल्लाह के हुज़ूर लोगों पर हक़ीक़त को ज़ाहिर करते हैं तो हमारी नेकनामी ख़ुद बख़ुद हर एक के ज़मीर पर ज़ाहिर हो जाती है। और अगर हमारी ख़ुशख़बरी निक़ाब तले छुपी हुई भी हो तो वह सिर्फ़ उनके लिए छुपी हुई है जो हलाक हो रहे हैं। इस जहान के शरीर ख़ुदा ने उनके ज़हनों को अंधा कर दिया है जो ईमान नहीं रखते। इसलिए वह अल्लाह की ख़ुशख़बरी की जलाली रौशनी नहीं देख सकते। वह यह पैग़ाम नहीं समझ सकते जो मसीह के जलाल के बारे में है, उसके बारे में जो अल्लाह की सूरत है। क्योंकि हम अपना प्रचार नहीं करते बल्कि ईसा मसीह का पैग़ाम सुनाते हैं कि वह ख़ुदावंद है। अपने आपको हम ईसा की ख़ातिर आपके ख़ादिम क़रार देते हैं। क्योंकि जिस ख़ुदा ने फ़रमाया, “अंधेरे में से रौशनी चमके,” उसने हमारे दिलों में अपनी रौशनी चमकने दी ताकि हम अल्लाह का वह जलाल जान लें जो ईसा मसीह के चेहरे से चमकता है।
लेकिन हम जिनके अंदर यह ख़ज़ाना है आम मिट्टी के बरतनों की मानिंद हैं ताकि ज़ाहिर हो कि यह ज़बरदस्त क़ुव्वत हमारी तरफ़ से नहीं बल्कि अल्लाह की तरफ़ से है। लोग हमें चारों तरफ़ से दबाते हैं, लेकिन कोई हमें कुचलकर ख़त्म नहीं कर सकता। हम उलझन में पड़ जाते हैं, लेकिन उम्मीद का दामन हाथ से जाने नहीं देते। लोग हमें ईज़ा देते हैं, लेकिन हमें अकेला नहीं छोड़ा जाता। लोगों के धक्कों से हम ज़मीन पर गिर जाते हैं, लेकिन हम तबाह नहीं होते। 10 हर वक़्त हम अपने बदन में ईसा की मौत लिए फिरते हैं ताकि ईसा की ज़िंदगी भी हमारे बदन में ज़ाहिर हो जाए। 11 क्योंकि हर वक़्त हमें ज़िंदा हालत में ईसा की ख़ातिर मौत के हवाले कर दिया जाता है ताकि उस की ज़िंदगी हमारे फ़ानी बदन में ज़ाहिर हो जाए। 12 यों हममें मौत का असर काम करता है जबकि आपमें ज़िंदगी का असर।
13 कलामे-मुक़द्दस में लिखा है, “मैं ईमान लाया और इसलिए बोला।” हमें ईमान का यही रूह हासिल है इसलिए हम भी ईमान लाने की वजह से बोलते हैं। 14 क्योंकि हम जानते हैं कि जिसने ख़ुदावंद ईसा को मुरदों में से ज़िंदा कर दिया है वह ईसा के साथ हमें भी ज़िंदा करके आप लोगों समेत अपने हुज़ूर खड़ा करेगा। 15 यह सब कुछ आपके फ़ायदे के लिए है। यों अल्लाह का फ़ज़ल आगे बढ़ते बढ़ते मज़ीद बहुत-से लोगों तक पहुँच रहा है और नतीजे में वह अल्लाह को जलाल देकर शुक्रगुज़ारी की दुआओं में बहुत इज़ाफ़ा कर रहे हैं।
ईमान की ज़िंदगी
16 इसी वजह से हम बेदिल नहीं हो जाते। बेशक ज़ाहिरी तौर पर हम ख़त्म हो रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर रोज़ बरोज़ हमारी तजदीद होती जा रही है। 17 क्योंकि हमारी मौजूदा मुसीबत हलकी और पल-भर की है, और वह हमारे लिए एक ऐसा अबदी जलाल पैदा कर रही है जिसकी निसबत मौजूदा मुसीबत कुछ भी नहीं। 18 इसलिए हम देखी हुई चीज़ों पर ग़ौर नहीं करते बल्कि अनदेखी चीज़ों पर। क्योंकि देखी हुई चीज़ें आरिज़ी हैं, जबकि अनदेखी चीज़ें अबदी हैं।