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बाबल की अदालत
मुल्के-बाबल और उसके दारुल-हुकूमत बाबल के बारे में रब का कलाम यरमियाह नबी पर नाज़िल हुआ,
“अक़वाम के सामने एलान करो, हर जगह इत्तला दो! झंडा गाड़कर कुछ न छुपाओ बल्कि सबको साफ़ बताओ, ‘बाबल शहर दुश्मन के क़ब्ज़े में आ गया है! बेल देवता की बेहुरमती हुई है, मर्दुक देवता पाश पाश हो गया है। बाबल के तमाम देवताओं की बेहुरमती हुई है, तमाम बुत चकनाचूर हो गए हैं!’ क्योंकि शिमाल से एक क़ौम बाबल पर चढ़ आई है जो पूरे मुल्क को बरबाद कर देगी। इनसान और हैवान सब हिजरत कर जाएंगे, मुल्क में कोई नहीं रहेगा।”
रब फ़रमाता है, “जब यह वक़्त आएगा तो इसराईल और यहूदाह के लोग मिलकर अपने वतन में वापस आएँगे। तब वह रोते हुए रब अपने ख़ुदा को तलाश करने आएँगे। वह सिय्यून का रास्ता पूछ पूछकर अपना रुख़ उस तरफ़ कर लेंगे और कहेंगे, ‘आओ, हम रब के साथ लिपट जाएँ, हम उसके साथ अबदी अहद बाँध लें जो कभी न भुलाया जाए।’ मेरी क़ौम की हालत गुमशुदा भेड़-बकरियों की मानिंद थी। क्योंकि उनके गल्लाबानों ने उन्हें ग़लत राह पर लाकर फ़रेबदेह पहाड़ों पर आवारा फिरने दिया था। यों पहाड़ों पर इधर-उधर घूमते घूमते वह अपनी आरामगाह भूल गए थे। जो भी उनको पाते वह उन्हें पकड़कर खा जाते थे। उनके मुख़ालिफ़ कहते थे, ‘इसमें हमारा क्या क़ुसूर है? उन्होंने तो रब का गुनाह किया है, गो वह उनकी हक़ीक़ी चरागाह है और उनके बापदादा उस पर उम्मीद रखते थे।’
बाबल से हिजरत करो!
ऐ मेरी क़ौम, मुल्के-बाबल और उसके दारुल-हुकूमत से भाग निकलो! उन बकरों की मानिंद बन जाओ जो रेवड़ की राहनुमाई करते हैं। क्योंकि मैं शिमाली मुल्क में बड़ी क़ौमों के इत्तहाद को बाबल पर हमला करने पर उभारूँगा, जो उसके ख़िलाफ़ सफ़आरा होकर उस पर क़ब्ज़ा करेगा। दुश्मन के तीरअंदाज़ इतने माहिर होंगे कि हर तीर निशाने पर लग जाएगा।” 10 रब फ़रमाता है, “बाबल को यों लूट लिया जाएगा कि तमाम लूटनेवाले सेर हो जाएंगे।
11 ऐ मेरे मौरूसी हिस्से को लूटनेवालो, बेशक तुम इस वक़्त शादियाना बजाकर ख़ुशी मनाते हो। बेशक तुम गाहते हुए बछड़ों की तरह उछलते-कूदते और घोड़ों की तरह हिनहिनाते हो। 12 लेकिन आइंदा तुम्हारी माँ बेहद शरमिंदा हो जाएगी, जिसने तुम्हें जन्म दिया वह रुसवा हो जाएगी। आइंदा बाबल सबसे ज़लील क़ौम होगी, वह ख़ुश्क और वीरान रेगिस्तान ही होगी। 13 जब रब का ग़ज़ब उन पर नाज़िल होगा तो वहाँ कोई आबाद नहीं रहेगा बल्कि मुल्क सरासर वीरानो-सुनसान रहेगा। बाबल से गुज़रनेवालों के रोंगटे खड़े हो जाएंगे, उसके ज़ख़मों को देखकर सब ‘तौबा तौबा’ कहेंगे।
14 ऐ तीरअंदाज़ो, बाबल शहर को घेरकर उस पर तीर बरसाओ! तमाम तीर इस्तेमाल करो, एक भी बाक़ी न रहे, क्योंकि उसने रब का गुनाह किया है। 15 चारों तरफ़ उसके ख़िलाफ़ जंग के नारे लगाओ! देखो, उसने हथियार डाल दिए हैं। उसके बुर्ज गिर गए, उस की दीवारें मिसमार हो गई हैं। रब इंतक़ाम ले रहा है, चुनाँचे बाबल से ख़ूब बदला लो। जो सुलूक उसने दूसरों के साथ किया, वही उसके साथ करो। 16 बाबल में जो बीज बोते और फ़सल के वक़्त दराँती चलाते हैं उन्हें रूए-ज़मीन पर से मिटा दो। उस वक़्त शहर के परदेसी मोहलक तलवार से भागकर अपने अपने वतन में वापस चले जाएंगे।
17 इसराईली क़ौम बिखरी हुई भेड़ है, शेर-बबरों ने उसे रेवड़ से अलग कर दिया है। क्योंकि पहले शाहे-असूर ने आकर उसे हड़प कर लिया, फिर शाहे-बाबल नबूकदनज़्ज़र ने उस की हड्डियों को चबा लिया।” 18 इसलिए रब्बुल-अफ़वाज जो इसराईल का ख़ुदा है फ़रमाता है, “पहले मैंने शाहे-असूर को सज़ा दी, और अब मैं शाहे-बाबल को उसके मुल्क समेत वही सज़ा दूँगा। 19 लेकिन इसराईल को मैं उस की अपनी चरागाह में वापस लाऊँगा, और वह दुबारा करमिल और बसन की ढलानों पर चरेगा, वह दुबारा इफ़राईम और जिलियाद के पहाड़ी इलाक़ों में सेर हो जाएगा।” 20 रब फ़रमाता है, “उन दिनों में जो इसराईल का क़ुसूर ढूँड निकालने की कोशिश करे उसे कुछ नहीं मिलेगा। यही यहूदाह की हालत भी होगी। उसके गुनाह पाए नहीं जाएंगे, क्योंकि जिन लोगों को मैं ज़िंदा छोड़ूँगा उन्हें मैं मुआफ़ कर दूँगा।”
अल्लाह अपने घर का बदला लेता है
21 रब फ़रमाता है, “मुल्के-मरातायम और फ़िक़ोद के बाशिंदों पर हमला करो! उन्हें मारते मारते सफ़हाए-हस्ती से मिटा दो! जो भी हुक्म मैंने दिया उस पर अमल करो।
22 मुल्के-बाबल में जंग का शोर-शराबा सुनो! बाबल की हौलनाक शिकस्त देखो! 23 जो पहले तमाम दुनिया का हथोड़ा था उसे तोड़कर टुकड़े टुकड़े कर दिया गया है। बाबल को देखकर लोगों को सख़्त धच्का लगता है।
24 ऐ बाबल, तूने अपने लिए फंदा लगा दिया और तू उसमें फँस भी गया—तुझे पता भी न चला। तुझे ढूँड निकाला गया और तुझे पकड़ा भी गया। क्यों? इसलिए कि तूने रब का मुक़ाबला किया।” 25 क़ादिरे-मुतलक़ जो रब्बुल-अफ़वाज है फ़रमाता है, “मैं अपना असलिहाख़ाना खोलकर अपना ग़ज़ब नाज़िल करने के हथियार निकाल लाया हूँ, क्योंकि मुल्के-बाबल में उनकी अशद्द ज़रूरत है।
26 चारों तरफ़ से बाबल पर चढ़ आओ! उसके अनाज के गोदामों को खोलकर सारे माल का ढेर लगाओ! फिर सब कुछ नेस्तो-नाबूद करो, कुछ बचा न रहे। 27 उसके तमाम बैलों को ज़बह करो! सब क़साई की ज़द में आएँ! उन पर अफ़सोस, क्योंकि उनका मुक़र्ररा दिन, उनकी सज़ा का वक़्त आ गया है।
28 सुनो! मुल्के-बाबल से बचे हुए पनाहगुज़ीन सिय्यून में बता रहे हैं कि रब हमारे ख़ुदा ने किस तरह इंतक़ाम लिया। क्योंकि अब उसने अपने घर का बदला लिया है!
29 बहुतों को बुलाओ ताकि बाबल पर हमला करें! हाँ, तमाम तीरंदाज़ों को बुलाओ। उसे घेर लो ताकि कोई न बचे। उसे उस की हरकतों का मुनासिब अज्र दो! जो बुरा सुलूक उसने दूसरों के साथ किया वही उसके साथ करो। क्योंकि उसका रवैया रब, इसराईल के क़ुद्दूस के साथ गुस्ताखाना था। 30 इसलिए उसके नौजवान गलियों में गिरकर मर जाएंगे, उसके तमाम फ़ौजी उस दिन हलाक हो जाएंगे।” यह रब का फ़रमान है।
31 क़ादिरे-मुतलक़ रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “ऐ गुस्ताख़ शहर, मैं तुझसे निपटनेवाला हूँ। क्योंकि वह दिन आ गया है जब तुझे सज़ा मिलनी है। 32 तब गुस्ताख़ शहर ठोकर खाकर गिर जाएगा, और कोई उसे दुबारा खड़ा नहीं करेगा। मैं उसके तमाम शहरों में आग लगा दूँगा जो गिर्दो-नवाह में सब कुछ राख कर देगी।”
रब अपनी क़ौम को रिहा करवाता है
33 रब्बुल-अफ़वाज फ़रमाता है, “इसराईल और यहूदाह के लोगों पर ज़ुल्म हुआ है। जिन्होंने उन्हें असीर करके जिलावतन किया है वह उन्हें रिहा नहीं करना चाहते, उन्हें जाने नहीं देते। 34 लेकिन उनका छुड़ानेवाला क़वी है, उसका नाम रब्बुल-अफ़वाज है। वह ख़ूब लड़कर उनका मामला दुरुस्त करेगा ताकि ज़मीन को आरामो-सुकून मिल जाए। लेकिन बाबल के बाशिंदों को वह थरथराने देगा।”
35 रब फ़रमाता है, “तलवार बाबल की क़ौम पर टूट पड़े! वह बाबल के बाशिंदों, उसके बुज़ुर्गों और दानिशमंदों पर टूट पड़े! 36 तलवार क़िस्मत का हाल बतानेवालों पर टूट पड़े ताकि बेवुक़ूफ़ साबित हों। तलवार उसके सूरमाओं पर टूट पड़े ताकि उन पर दहशत छा जाए। 37 तलवार बाबल के घोड़ों, रथों और परदेसी फ़ौजियों पर टूट पड़े ताकि वह औरतों की मानिंद बन जाएँ। तलवार उसके ख़ज़ानों पर टूट पड़े ताकि वह छीन लिए जाएँ। 38 तलवार उसके पानी के ज़ख़ीरों पर टूट पड़े ताकि वह ख़ुश्क हो जाएँ। क्योंकि मुल्के-बाबल बुतों से भरा हुआ है, ऐसे बुतों से जिनके बाइस लोग दीवानों की तरह फिरते हैं। 39 आख़िर में गलियों में सिर्फ़ रेगिस्तान के जानवर और जंगली कुत्ते फिरेंगे, वहाँ उक़ाबी उल्लू बसेंगे। वह हमेशा तक इनसान की बस्तियों से महरूम और नसल-दर-नसल ग़ैरआबाद रहेगा।” 40 रब फ़रमाता है, “उस की हालत सदूम और अमूरा की-सी होगी जिन्हें मैंने पड़ोस के शहरों समेत उलटाकर सफ़हाए-हस्ती से मिटा दिया। आइंदा वहाँ कोई नहीं बसेगा, कोई नहीं आबाद होगा।” यह रब का फ़रमान है।
शिमाल से दुश्मन आ रहा है
41 “देखो, शिमाल से फ़ौज आ रही है, एक बड़ी क़ौम और मुतअद्दिद बादशाह दुनिया की इंतहा से रवाना हुए हैं। 42 उसके ज़ालिम और बेरहम फ़ौजी कमान और शमशेर से लैस हैं। जब वह अपने घोड़ों पर सवार होकर चलते हैं तो गरजते समुंदर का-सा शोर बरपा होता है। ऐ बाबल बेटी, वह सब सफ़आरा होकर तुझसे लड़ने आ रहे हैं। 43 उनकी ख़बर सुनते ही शाहे-बाबल हिम्मत हार गया है। ख़ौफ़ज़दा होकर वह दर्दे-ज़ह में मुब्तला औरत की तरह तड़पने लगा है।
44 जिस तरह शेर-बबर यरदन के जंगलों से निकलकर शादाब चरागाहों में चरनेवाली भेड़-बकरियों पर टूट पड़ता है उसी तरह मैं बाबल को एकदम उसके अपने मुल्क से भगा दूँगा। तब मैं अपने चुने हुए आदमी को बाबल पर मुक़र्रर करूँगा। क्योंकि कौन मेरे बराबर है? कौन मुझसे जवाब तलब कर सकता है? वह गल्लाबान कहाँ है जो मेरा मुक़ाबला कर सके?” 45 चुनाँचे बाबल पर रब का फ़ैसला सुनो! मुल्के-बाबल के लिए उसके मनसूबे पर ध्यान दो! “दुश्मन पूरे रेवड़ को सबसे नन्हे बच्चों से लेकर बड़ों तक घसीटकर ले जाएगा। उसकी चरागाह वीरानो-सुनसान हो जाएगी।
46 ज्योंही नारा बुलंद होगा कि बाबल दुश्मन के क़ब्ज़े में आ गया है तो ज़मीन लरज़ उठेगी। तब मदद के लिए बाबल की चीख़ें दीगर ममालिक तक गूँजेंगी।”