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अल्लाह इसराईल पर इलज़ाम लगाता है
1 ऐ इसराईल, रब का फ़रमान सुन, “अदालत में खड़े होकर अपना मामला बयान कर! पहाड़ और पहाड़ियाँ तेरे गवाह हों, उन्हें अपनी बात सुना दे।”
2 ऐ पहाड़ो, अब रब का अपनी क़ौम पर इलज़ाम सुनो! ऐ दुनिया की क़दीम बुनियादो, तवज्जुह दो! क्योंकि रब अदालत में अपनी क़ौम पर इलज़ाम लगा रहा है, वह इसराईल से मुक़दमा उठा रहा है।
3 वह सवाल करता है, “ऐ मेरी क़ौम, मैंने तेरे साथ क्या ग़लत सुलूक किया? मैंने क्या किया कि तू इतनी थक गई है? बता तो सही!
4 हक़ीक़त तो यह है कि मैं तुझे मुल्के-मिसर से निकाल लाया, मैंने फ़िद्या देकर तुझे ग़ुलामी से रिहा कर दिया। साथ साथ मैंने मूसा, हारून और मरियम को भेजा ताकि तेरे आगे चलकर तेरी राहनुमाई करें।
5 ऐ मेरी क़ौम, वह वक़्त याद कर जब मोआब के बादशाह बलक़ ने बिलाम बिन बओर को बुलाया ताकि तुझ पर लानत भेजे। लानत की बजाए उसने तुझे बरकत दी! वह सफ़र भी याद कर जब तू शित्तीम से रवाना होकर जिलजाल पहुँची। अगर तू इन तमाम बातों पर ग़ौर करे तो जान लेगी कि रब ने कितनी वफ़ादारी और इनसाफ़ से तेरे साथ सुलूक किया है।”
6 जब हम रब के हुज़ूर आते हैं ताकि अल्लाह तआला को सिजदा करें तो हमें अपने साथ क्या लाना चाहिए? क्या हमें यकसाला बछड़े उसके हुज़ूर लाकर भस्म करने चाहिएँ?
7 क्या रब हज़ारों मेंढों या तेल की बेशुमार नदियों से ख़ुश हो जाएगा? क्या मुझे अपने पहलौठे को अपने जरायम के एवज़ चढ़ाना चाहिए, अपने जिस्म के फल को अपने गुनाहों को मिटाने के लिए पेश करना चाहिए? हरगिज़ नहीं!
8 ऐ इनसान, उसने तुझे साफ़ बताया है कि क्या कुछ अच्छा है। रब तुझसे चाहता है कि तू इनसाफ़ क़ायम रखे, मेहरबानी करने में लगा रहे और फ़रोतनी से अपने ख़ुदा के हुज़ूर चलता रहे।
यरूशलम को भी सामरिया की-सी सज़ा मिलेगी
9 सुनो! रब यरूशलम को आवाज़ दे रहा है। तवज्जुह दो, क्योंकि दानिशमंद उसके नाम का ख़ौफ़ मानता है। ऐ क़बीले, ध्यान दो कि किसने यह मुक़र्रर किया है,
10 “अब तक नाजायज़ नफ़ा की दौलत बेदीन आदमी के घर में जमा हो रही है, अब तक लोग गंदुम बेचते वक़्त पूरा तोल नहीं तोलते, उनकी ग़लत पैमाइश पर लानत!
11 क्या मैं उस आदमी को बरी क़रार दूँ जो ग़लत तराज़ू इस्तेमाल करता है और जिसकी थैली में हलके बाट पड़े रहते हैं? हरगिज़ नहीं!
12 यरूशलम के अमीर बड़े ज़ालिम हैं, लेकिन बाक़ी बाशिंदे भी झूट बोलते हैं, उनकी हर बात धोका ही धोका है!
13 इसलिए मैं तुझे मार मारकर ज़ख़मी करूँगा। मैं तुझे तेरे गुनाहों के बदले में तबाह करूँगा।
14 तू खाना खाएगा लेकिन सेर नहीं होगा बल्कि पेट ख़ाली रहेगा। तू माल महफ़ूज़ रखने की कोशिश करेगा, लेकिन कुछ नहीं बचेगा। क्योंकि जो कुछ तू बचाने की कोशिश करेगा उसे मैं तलवार के हवाले करूँगा।
15 तू बीज बोएगा लेकिन फ़सल नहीं काटेगा, ज़ैतून का तेल निकालेगा लेकिन उसे इस्तेमाल नहीं करेगा, अंगूर का रस निकालेगा लेकिन उसे नहीं पिएगा।
16 तू इसराईल के बादशाहों उमरी और अख़ियब के नमूने पर चल पड़ा है, आज तक उन्हीं के मनसूबों की पैरवी करता आया है। इसलिए मैं तुझे तबाही के हवाले कर दूँगा, तेरे लोगों को मज़ाक़ का निशाना बनाऊँगा। तुझे दीगर अक़वाम की लान-तान बरदाश्त करनी पड़ेगी।”