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सरगेम वाळी चीज देखाय देय
ईनी वातेन वात मे नींगा कर्‌यु, ती असो देख की सरग मां एक बारनो खुल्‌लो छे।
ने तीनाक मे पेहेल फेप्‌यान तसों अवाज मां आपणे साते वात करतेला सामळ्‌यु, हयुत कहें, “जां उपर आय जां, ने मे असी वात तुसे देखाड़ीस, तीनुक जी वात पुरी हवणुत छे।” तत्‌यारुत मे आत्‌मा मां आय गुयु; ने काय देखो की एक राजगादी सरग मां मेकलो छे, ने तीनी राजगादी पर काहनुक बठ्‌लु छे। ने जु तीनी राजगादी पर बठ्‌लु छे, हयु यसब (नीळ्‌ळा रंगेन) ने माणीक्‌य (रातला रंगेन) नावेन दगड़ान तसों भबळने बाजी रह्‌लो, ने ती राजगादीन चारे-मेर मरकत नावेन दगड़ा (नीळ्‌ळु रंगेन) तसों एक भाती-भातीन रंगेन बाम देखाये। तीनी राजगादीन चारे-मेर वीस ने चार राजगादी छे; ने हीनु राजगादी पर वीस ने चार मुख्‌या धवळा पुथल्‌या पेहरीन बठी र्‌यु, ने तींद्‌रे मुणका पर सनान मुड़ छे। तीनु राजगादी मां सी वीजळी चमके ने गाजुण गाजे, ने राजगादी अगळ आकठान सात दिवा धपी र्‌या, चे भगवानेन सात आत्‌मा छे, ने तीनी राजगादीन अगळ मानु वारु आर-पार देखाये तसों,
आरस्‌यान जसों दरीयों छे, ने राजगादीन ईचमां ने राजगादीन चारे-मेर चार जनवार्‌या छे, तींद्‌रे अगळ-पछळ डुळात-डुळा छे। पेहलो जनवार्‌या नाहरेन तसों छे, ने दीसरो जनवार्‌या केवड़्‌यान तसों छे, तीसरो जनवार्‌यान मुंहडो माणसेन तसों चे, ने चोवथां जनवार्‌या उडतेला घुवड़ान तसों छे। ने चारु जनवार्‌यान छव-छव पाखड़ा छे, ने चारे-मेर ने माहीं डुळात-डुळा छे; ने चे रात दाहड़ु आराम लग नी लेय ने असा कवता रहे,
“चुखलु, चुखलु, चुखलु मालीक भगवान, आखाम सी ताकतवाळु,
जु हतलु, ने जु छे, ने जु आवणे वाळु छे।”
ने जत्‌यार जनवार्‌या तेरी जु राजगादी पर बठ्‌लु छे, ने जु जलम जीवतु छे, सेक-सींगार ने आव-भाव ने बड़ाय कर र्‌या। 10 तत्‌यार वीस ने चार डाहा-बुड़ा राजगादी पर बठणे वाळान अगळ हीट पड़्‌या, ने तीनाक जु जलम जीवतु छे आंध्‌या; ने आपणा-आपणा मुड़ राजगादीन अगळ असा कवता जाय्‌न नाख देदा,
11 “ए हामरा मालीक, ने भगवान, तुत सेक-सींगार,
ने आव-भाव, ने ताकुतेन लायक छे;
काहाकी तुत आखी चीजे घड़्‌यु,
ने तारीत मरजी सी, चे हजुरी मां हतला ने घड़ायली।”