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अक हजार साल के राज
एखर बाद मै अक्ठी स्वरगदूत के स्वरग लग उतरत देखथो, ओखर हाथ हे पत्ताल कुन्ड के चाभी अउ अक्ठी बडा सांकड रथै। अउ ऊ अजगर पंख बाले सपुवा के ऊ पुरान सपुवा मतलब दोस लगामै बाले भुतवा के पकडके अक हजार साल के निता बांधिस। तब स्वरगदूत उके पत्ताल कुन्ड हे फटक देथै, उके बन्द करके ऊ पर सील लगाय दइस, कि ऊ अक हजार साल पूर होमै तक अब कउनो देस लग छल नेहको करै, हइ सगलू होमै के बाद हइ जरूरी रथै कि उके चुटु टेम के निता अजाद करे जाय।
तब मै राजगद्दी के देखो, ओखर उप्पर ऊ मनसे बइठे रथै, जेही नियाव करै के हक दय गय रथै, तब मै ओखर आतमा के देखो, जेखर मूड मसीह यीसु के गवाह अउ भगवान के बचन के परचार करै के कारन उडाय दय गय रथै, उन ऊ पंख बाले गोरू या ओखर मूरती के पूजा नेहको करे रथै, जिनखर छाप लीलार हे अउ हाथ हे ओखर सील नेहको लगे रथै, ऊ जिन्दा हुइ के हजार साल तक मसीह के संग राज करब। इहै हबै ऊ पहिला फेरै लग जिन्दा होय बाले मनसे बांकी मरे हर तब तक जिन्दा नेहको हुइहिन, जब तक हजार साल पूर नेहको हुइ गइस। धन्य अउ पवितर ऊ हबै, जउन पहिले फेरै लग जिन्दा होमै हे सामिल हबै, असना मनसे दूसर मिरतू के कउनो हक नेहको हबै, ऊ भगवान अउ मसीह के पुजारी हुइहिन अउ उनखर संग अक हजार साल तक राज करही।
भुतवा के नास
जब अक हजार साल पूर होय के बाद भुतवा के जेल लग छांड दय जही। अउ ऊ सगलू भुंइ हे फइले मनसेन के भरमामै के निता निकड पडिस, ऊ गोग अउ मागोग के भरमाही ऊ उनके युध्द के निता अकजुट करही, ऊ ओतकै अनगिनत हुइहिन जेतका समुन्दर के कुदरा हबै। भुतवा के सेना सगलू भुंइ हे फइल जही अउ ऊ भगवान के पवितर सेबकन के जिघा अउ पिरिया सहर के घेर लइहिन अउ स्वरग लग आगी उतरही अउ उनके जलाय के नास के देही। 10 तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं।
महान चरका राजगद्दी के आगू नियाव
11 फेर मै अक्ठी बडा चरका राजगद्दी के अउ उके ओखर उप्पर बइठे रथै, देख ओखर आगू लग भुंइ अउ बादर भुलाय गइस, उनखर पता तक नेहको चल पाइस। 12 फेर मै नान होय या बडा सगलू मरे हर मनसे के राजगद्दी के आगू ठाढ देखथो अउ किताब खोले गइस, तब अक्ठी दूसर किताब मतलब जीवन के किताब खोले गइस अउ किताबो हे लिखररे हर बातन के जसना मरे हरन के उनखर काम के जसना सजा दय गइस। 13 जउन समुन्दर हे मरे हर रथै, उनके समुन्दर भगवान के आगू ठाढ करिस अउ नरक हे जिनखर मिरतू हुइ गय रथै, ऊ ओखर आगू ठाढ करिस, हर अक्ठी मनसे के उनखर काम के जसना सजा दय गइस। 14 एखर बाद मिरतू अउ नरक के आगी के झील हे फटक दय गइस, हइ आगी के झील दूसर मिरतू आय। 15 अगर कउनो के नाम जीवन के किताब हे लिखे हर नेहको मिलही, ता उके आगी के झील हे फटक दय जही।