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वियाव छे सम्बन्धित सवाल
उन वात क विषय मा जो तुमू ने लिखी यो वारलो छे कि मानुस बायर क नी धर्‍य। पुन व्यभिचार क घाबराय छे हर एक मानुस की बायर, आरू हर एक बायर क घर वावो होनो जुवे। घर वावो आपसी बायर क हक पूरो कर्‍या; आरू वोसो ही बायर भी आपने घर वावो क बायर क आपसी देह पर हक नी पर ओका घर वावो क हक छे; वोसो ही घर वावो क भी आपसी देह पर हक नी, पुन बायर क छे। तुमू एक दिसरा छे अलग नी रयो; पुन केवल काही टेहाव तक आपस की सम्मति छे कि प्रार्थना क करता छुट्टी मिवे, आरू पछु एक साथे रयो; ओसो नी होय कि तुमरे गम क कारण शैतान तुमू पारखे। पुन हाव जो यो कयता छे वो हक छे नी कि हुकुम। हाव यो जुवता छे कि जोसो हाव छे, वोसो ही सब मानुस होय; पुन हर एक क यहोवा–भगवान की आरू छे विशेष वरदान मिव्या छे; काही क काही प्रकार क, आरू काही क काही आरू प्रकार क।
हिमी हाव छल्ला आरू रंडायली क विषय मा कयता छे कि ओको करता ओसो ही रयने वारलो छे, जोसो हाव छे। पुन यदि वो संयम नी कर सक्या, तो वियाव करे; काहकि वियाव करने कामातुर रयने छे भलो छे।
10 जिनका वियाव होय गया छे, उनको हाव नी, वरना पोरबु हुकुम देता छे कि बायर आपने घर वावो छे अलग नी होय। 11 आरू यदि अलग भी होय जाय, तो विन दिसरा वियाव कर रया; या आपने घर वावो छे पछु हावल कर लेय आरू नी घर वावो आपसी बायर क छुड़।
12 दिसरा छे पोरबु नी पुन हाव ही कयता छे, यदि काही भाईस की बायर विश्वास नी राखती होय आरू ओका साथे रयने छे खुश होय, तो वो ओको नी छुड़े। 13 जिना बायर क घर वावो विनभुरसियो होय, आरू ओका साथे रयने छे खुश होय; वो घर वावो क नी छुड़े। 14 काहकि ओसो घर वावो जो विनभुरसिया होय, वो बायर क कारण चुखलो ठेराया छे; आरू ओसी बायर जो विश्वास नी राखती, घर वावो क कारण चुखलो ठेरायती छे; नी तो तुमरे पोर्‍या पारी विटळ होयतो, पुन हिमी तो चुखलो छे। 15 पुन जो मानुस विनभुरसीया छे, यदि वो अलग होय तो अलग हुयने देवु, ओसी दशा मा काही भाईस या बहिनीस बन्धन मा नी यहोवा–भगवान ने हामु मेलमिलाप क करता बुलाया छे। 16 काहकि हे बायर, तु काय जानती छे कि तु आपने घर वावा क उध्दार कर लेछे? आरू हे मानुस, तु काय जानता छे कि तु आपसी बायर क उध्दार कर लेछे?
यहोवा–भगवान की बुलाहट क लारे चालु
17 जोसो पोरबु ने हर एक क वाट्या छे, आरू जोसो यहोवा–भगवान ने हर एक क बुलाया छे, वोसो ही वो चाले। हाव सब मंडळी मा ओसो ही ठेरायता छे। 18 जो खतना कर्‍या होया बुलाया गया होय, वो खतनारहित नी बने। जो खतनारहित बुलाया गया होय, वो खतना नी कराय। 19 नी खतना काही छे आरू नी खतनारहित, पुन यहोवा–भगवान की हुकुम क लारे चालने ही सब काही छे। 20 हर एक जन जिना दशा मा बुलाया गया होय, तीनी मा रये। 21 यदि तु दास की दशा मा बुलाया होय तो चिंता नी कर; पुन यदि तु स्वतंत्र होय सके, तो ओसो ही काम कर। 22 काहकि जो दास की दशा मा पोरबु मा बुलाया गया छे, वो पोरबु क स्वतंत्र कर्‍या होया छे। वोसो ही जो स्वतंत्रता करी दशा मा बुलाया गया छे, वो मसीह क दास छे। 23 यहोवा–भगवान ने तुमू दाम दीन छुड़ाय लेदा गया छे; मानुस क दास नी बन्या। 24 हे भाईस, आरू बहनीस जो काही जिना दशा मा बुलाया गया होय, वो तीनी मा यहोवा–भगवान क साथे रये।
वियाव आरू रंडायली
25 छल्ली क विषय मा पोरबु की काही हुकुम मखे नी मिवी, पुन विश्वासयोग्य हुयने क करता जोसी दया पोरबु ने मखे पर करी छे, तीनी क लारे सम्माति देता छे। 26 मारी समझ मा यो वारलो छे कि आजकाल पीड़ा क कारण, मानुस जोसो छे वोसो ही रये। 27 यदि तारी बायर छे, तो ओका सी अलग हुयने क यत्न नी कर; आरू यदि तारी बायर नी, तो बायर की खोज नी कर। 28 पुन यदि तु वियाव भी करे, तो पाप नी; आरू यदि छल्ली ब्याही जाय तो काही पाप नी। पुन ओसो क शारीरिक दुःख होयछे, आरू हाव वाचाड़ने जुवता छे। 29 हे भाईस हाव यो कयता छे कि टेहाव कम कर्‍या गया छे, एरकरीन जुवे कि जिन क बायर होय, वो ओसो मानु उन क बायर नी; 30 आरू रड़नेवावा ओसो होय, मानु रड़ता नी; आरू खुशी करनेवावा ओसो होय, मानु खुशी नी करता; ओको साथे काही छे ही नी। 31 आरू इनीये संसार क साथे व्यवहार करनेवावा ओसो होय, कि संसार ही क नी लेय; काहकि इनीये संसार की वात खत्म हुयसे जाता छे। रीति आरू व्यवहार बदलता जाता छे। 32 शेवली कावा हाव यो जुवता छे कि तुमू चिंता नी होय। वियाव मानुस पोरबु की वात की चिंता मा रयता छे कि पोरबु क कोसो खुश राखे। 33 पुन वियाव मानुस संसार की वात करी चिंता मा रयता छे कि आपसी बायर क काही रीति छे खुश राखे। 34 वियाव आरू अवियाव आरू वियाव मा भी भेद छे: वियाव पोरबु की चिंता मा रयती छे कि वो देह आरू आत्मा दुय मा चुखलो होय, पुन वियाव संसार की चिंता मा रयती छे कि आपने घर वावो खुश राखे। 35 हाव यो वात तुमरे ही लाभ क करता कयता छे, नी कि तुमू फंसाने क करता, वरना एरकरीन कि जोसो शोभा देता छे वोसो ही कर्‍या जाय, कि तुमू एक मनीया हईन पोरबु की सेवा मा लाग रयो।
36 यदि काही यो समझे कि हाव आपसी उना छल्ली क हक मार रया छे, जेरी जुवानी ढव रयी छे, आरू जरूरत भी होय, तो जोसो जुवे वोसो करे, इनाम पाप नी, वो ओको वियाव हुयने देय। 37 पुन जो मन मा दृढ़ रयता छे, आरू ओको जरूरत नी वरना आपसी मरजी पर हक राखता होय, आरू आपने मन मा यो वात ठान लेदा से कि वो आपसी छल्ली पोराय क वियाव राखछे, वो वारलो करता छे। 38 एरकरीन जो आपसी छल्ली क वियाव कर देता छे, वो वारलो छे, आरू जो वियाव नी कर देता, वो आरू भी वारलो करता छे। 39 जव तक बायर क घरवाळो जीवता रयता छे, तव तक वो ओका सी बन्धी होयी छे; पुन यदि ओको घर वावो मर जाय तो जिना छे जुवे वियाव कर सकती छे, पुन केवल वो पोरबु मा। 40 पुन जोसी छे यदि वोसी ही रये, तव सवटो खुश तो मारे विचार मा आरू भी धन्य छे; आरू हाव समझता छे कि यहोवा–भगवान क आत्मा मखे मा भी छे।