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हामान क यहुदियो क विरुद्ध षड़यंत्र
1 एनी वातो क वाद राजा क्षयर्ष न अगागी हम्मदाता क पुर्य हामान क उचो पद आप्यो, आरु ओको महत्व आपीन ओका लिय ओका साथी हाकिमो क सिंहासनो सी उँचा सिंहासन ठहरायो। 2 राजा क आखा कामकरन्या ज राजभवन क फाटक मा रया कोरता हुता, हुये हामान क सामने झुकीन दण्डवत् कोर्या कोरता हुता काहकी राजा न ओका वाराम असो हुकुम आप्यो हुतो; पुन मोर्दके नी ती झुकतो हुतो आरु नी दण्डवत् कोरतो हुतो। 3 तोत्यार राजा क कामकरन्या ज राजभवन क फाटक मा रोया कोरता हुता, हुये मोर्दके सी पुछ्या, “तु राजा क हुकुम क काहा नी मानतो छे?” 4 जोत्यार हुये ओको दाहड़ीन असोज कोहता रोया, आरु हुयो ओकी एक नी मान्यो, ती हुये यो देखिन की मोरजी सी मोर्दके नु यी वात चालसे की नी, हामान क बताड़ देदा; हुयो ओको हुयो बताड़ देदो की हांव यहुदी छे। 5 जोत्यार हामान न देख्यो, कि मोर्दके नी झुकतो, आरु नी मेखे दण्डवत् कोरतो छे, ती हामान घनो रिसवायो। 6 हुयो केवल मोर्दके पोर हाथ उठावनो आपसी इजुत सी कोम जान्यो। काहकी हुयो हामान क यी वात बताड़ देदा हुता, कि मोर्दके काहनी जातीन छे, एकालिय हामान न क्षयर्ष क साम्राज्य मा रोहनेवाळा आखा यहुदियो क वी मोर्दके नु जाती जानीन, विनाश कोरनेन विचार निकाळ्यो। 7 राजा क्षयर्ष क बारे वरीस क नीसान नावोन पेहले मोहने मा, हामान न अदार नावोन बारे मोहना लगुन क एक-एक दाहड़े आरु एक-एक मोहने क लिय “पुर” अर्थात् चिट्ठी आपसा सामने नाखाड़्यो। 8 हामान न राजा क्षयर्ष सी कयो, “तारा राज क आखा प्रान्तों मा रहनेवाळा देश-देश क लोगहन क विच मा तितर-बितर आरु छिटकी हयी एक जाति छे, जेरा कायदा आरु आखा लोगहन क कायदा सी ओलोग छे; आरु हुये राजा क कायदा पोर नी चालता, एकालिय ओको रहने देनो राजान फायदु नी छे। 9 कदाम राजा क स्वीकार हय ती ओको नष्ट कोरनेन हुकुम लिख्यो जाय, आरु हांव राजा क भण्डारियो क हाथ मा राजभण्डार मा पुगाड़ने क लिय, दस हजार किक्कार चाँदी आपीस।” 10 तोत्यार राजा न आपसी मुँदी आपसा हातोम सी निकाळीन अगागी हम्मदाता क पुर्या हामान क, ज यहुदियो क वेरी हुतो आप देदो। 11 आरु राजा न हामान सी कयो, “हुयो चाँदी तुख आप्यो गयो छे, आरु हुये लोगहन वी, ताकि तु उनासी जसो तारो जीव चाहे तोसोज वेवहार कोरे।” 12 ओळी तेरेसी पेहेल मोहनान तेरहवे दाहड़े क राजा क लेखक बुलाया गुया, आरु हामान नु हुकुम क ओनसारे राजा क आखा अधिपतियो, आरु आखा प्रान्तों क प्रधानो, आरु देश-देश क लोगहन क हाकिमो क लिय चिट्ठियाँ, एक-एक प्रान्त क आकड़ा मा, आरु एक-एक देश क लोगहन नु बुली मा राजा क्षयर्ष क नाव सी लिख्यी गय; आरु उनामा राजा नु मुँदीन छापु लागाड़्यु गयु। 13 राज्य क आखा प्रान्तो मा एना आशय नु चिट्ठियाँ होर डाकियो क लारे मुकली गुय की एकुज दाहड़ा मा, अर्थात् अदार नावोन बारे मोहनान तेरवे दाहड़े क, काय जुवान, काय डाहला, काय बायरा, काय पुर्या, आखा यहुदी घात आरु नाश कोर्या जाय; आरु ओका धन सम्पत्ति लुट लेदो जाय। 14 एना हुकुम क लेख नु नकलें आखा प्रान्तों मा खुली हुय मुकली गय की आखा देश क लोगहन उना दाहड़े क लिय तियार होय जाय। 15 यो हुकुम शुशन गढ़ मा आप्यी गुय, आरु डाकिया राजान हुकुम सी छाटात निकळी गुया। राजा आरु हामान ते दाखमधु पीने बस गुया; पुन शुशन नगर मा घाबरोन फैल गुय।