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बीज वेरने वावा क बाराम देखाड़नो
(मत्ती 13:1-9; लूका 8:4-8)
1 ✡लूका 5:1-3ईशु पछु दरिया क धड़े परचार करने लाग्या: आरू ओसी मोटी गर्दी ओको साथे एखठी होय गयी कि वो दरिया मा एक ढोंड्या पर चढ़ीन बठ्या गया, आरू सारी गर्दी धरती पर दरिया क धड़े उभी रयी। 2 आरू वो तीनुक दृष्टान्त मा घोणा सी वात सिकाड़ने लाग्या, आरू परचार मा उनछे कयो,
3 धियान करीन “समवो! एक वेरनेवावो बीज वेरने करीन निकलियो। 4 वेरने टेहाव मा काही मार्ग धड़े पड़्या आरू चिल्ला ने आवीन उको खाय लेदा। 5 काही दगड़ाटया धरती पर पड़्या वा ओको क घोणा धुवो नी मुवयो आरू वारू धुवो नी मुव्यो क कारण छाटो उगी गया। 6 आरू जव दाहड़ो निकव्या तो धपी गया, आरू मुवे नी धरने क कारण सूखी गया। 7 आरू काही ते झाड़का पड़ गिया आरू झाड़किया मोटा हईन तिनु बिज क दबाई दिदा, आरू चे फव नी लाया। 8 पुन काही वारू धरती पर पड़्या, आरू वो उग्यो आरू मोट फलवंत हुयो; आरू काही तीस गुणा, आरू काही एक सौ गुणो फोव लाया।”
9 तव त्यो कयो, “जेरे साथे सोमवने क करता कान्टा होय, वो सोमवी लेय।”
सपनो क उद्देश्य
(मत्ती 13:10-17; लूका 8:9-10)
10 जव ईशु ऐखलो रया गयो, तो ओका साथी ने उन बारा सहावत ओका सी इन सपनो क विषय मा पुछया। 11 त्यो उनछे कयो, “तुमू क तो यहोवा–भगवान क राज्य क भेद की समझ दी गय छे, पुन बाहरतावावा क करता सब वात दृष्टान्त मा होयती छे।”
12 एरकरीन कि “वो देखता हुया देख्य
आरू तीनुक सुझाई नी पड़े
आरू सोमवता सोमव्या
भी आरू नी समझे।
ओसो नी हुये कि त्यो पोरबु भेणी पछो आवे,
आरू माफ करी जाय।”
बीज वेरने वावान सपनो की पुरावो
(मत्ती 13:18-23; लूका 8:11-15)
13 पछु ओका सी उनछे कयो, काय तुमू यो सपनो नी समझते? तो पछु आरू सब सपनो क कोसो समझोगे? 14 वेरनेवावा वचन वेरयो छे। 15 जो वाट क धड़े क छे वा वचन वेराय जाय यो वो छे कि जव त्या सोमव्या, तो शैतान तत्काल आवीन वचन क उनमा बोया गया हुता, उठाय ली जाता छे। 16 जोसो ही जो दगड़ाळी धरती पर वेरलो जाय छे, यो वो छे जो वचन क सोमवीन तत्काल खुशी छे मान्य कर लेय छे। 17 पुन आपने माहीय मुवन भार नी राखने क कारण वो थुड़ा ही दाहड़ा क करता रयते छे; ओको बाद जव वचन क कारण उन पर पीड़ा यो झगड़ो करावनो हुयसे छे, तो वो तत्काल ठोकर खाय छे। 18 जो झाड़का मा वेराय गयो यो वो छे, जिन्होने वचन सोमव्या, 19 आरू संसार की चिंता, आरू धन क धोखा, आरू दिसरो समान क लोभ ओका समाकर वचन क दाबाय देता छे आरू वो निष्फल रया जाता छे। 20 “आरू जो वारली धरती मा वेराय गयो, यो वो छे जो यहोवा–भगवान क वचन सोमवीन मान्य करतो आरू फव लायो छे: तीस गुणा, काही साठ गुणो आरू काही सौ गुणो।”
दिवा क सपनो
(लूका 8:16-18)
21 ✡मत्ती 5:15; लूका 11:33ईशु ने उनछे कयो, “काय दिया एरकरीन लावता छे कि कागनी यो खाटलो क नेचो राख जाय? काय एरकरीन नी कि दीवट पर राख देने? 22 ✡मत्ती 10:26; लूका 12:2काहकि यहोवा–भगवान क राज्य काही वात साताय नी, पुन एरकरीन छे कि प्रगट होय जाए; आरू नी काय सातायलो छे, पर एरकरीन छे कि प्रगट होय जाय। 23 यदि काही क सोमवने क कान्टा हुयो, तो वो सोमवी लेय!”
24 ✡मत्ती 7:2; लूका 6:38पछु ईशु ओका कयो, “सावधान रयो कि जो काय तुमू सोमवता छे। जा नाप छे तुमू नापता छे ओको से तुमू क करता नापाय से, आरू तुमू क सवटो आपसे जाछे। 25 ✡मत्ती 13:12; 25:29; लूका 19:26काहकि जेका साथे छे, ओको दीया जाछे; आरू ओका साथे नी छे, ओका सी वो भी जो ओको साथे छे, लेय लीया जाछे”
उगत हुयो बीज क सपनो
26 पछु ईशु ने कयो, “यहोवा–भगवान क राज्य ओसो छे, जोसो काही मानुस धरती पर बीज वेरे, 27 आरू रात क सुयो आरू दाहड़ा मा जाग्या, आरू वो बीज ओसो उगे आरू मोठे कि वो नी जानो। 28 धरती आप छे आप धान लावती छे, पेहले अंकुर, तव उम्बीया, आरू झटा मा तीयार दाना। 29 पुन जव दाना पाक जाय छे, तव वो तत्काल दातवा क दार लागाड़ता छे, काहकि काटनी आय पुगी छे।”
राई क दानो क सपनो
(मत्ती 13:31,32,34; लूका 13:18-19)
30 पछु ईशु ने कयो, “हामु यहोवा–भगवान क राज्य की बराबरी कुनी सी देंय, आरू काही सपनो छे ओका वर्णन कर्यो? 31 वो राई क दाना क समान छे: जव धरती मा वेराय जाय छे तो धरती क सब बीजों नानो होय छे, 32 पुन जव वेरने गया, तो उगीन सब सागपात छे मोटा होय जाता छे, आरू ओकी ओसी मोटी डावखा निकवता छे कि क चिल्ला ओकी साहवामा पांजरू कर सकता छे”
33 वो तिनुक इनीये प्रकार क घोणा छे सपनो आपीन ओकान समझ क लारे वचन सोमवता हुता, 34 आरू बिना सपनो कये वो उनछे काही भी निही कयता हुता; पुन सुनला मा वो आपने निज चेला क सब वात क मतलब समजाड़तो हुता।
वाहवाक क बंद करने
(मत्ती 8:23-27; लूका 8:22-25)
35 तीनी दाहड़ा जव शांत हुयी, तो ईशु ने चेला छे कयो, “आवु, हामु पार चल्या।” 36 आरू वो गर्दी क छुड़ीन जोसो वो हुता, वोसो ही ओको ढोंड्या पर साथे ली चाल्या; आरू ओको साथे आरू भी ढोंड्या हुती। 37 उचकाळुन मोट वाहवा आयो, आरू झेलक ढोंड्या पर याहा तक लागी कि वो पानी छे भराय जाती हुती। 38 पर वो आप पोछल भाग मा ताक्यो पर सुय रया हुता। तव त्या ओको जाईन ओका सी कयो, “हे गुरू, काय तुखे चिंता नी कि हामु नष्ट हुय जाय छे?”
39 तव त्यो उठीन वादुन क धमकाय, आरू पानी छे कयो, “शांत रया, थाम जा!” आरू वादुन थाम गयो आरू मोटा चैन होय गया; 40 आरू उनछे कयो, “तुमू काय घाबराय होय? काय तुमू हिमी तक विश्वास नी?”
41 वो घणा ही बिही गया, आरू आपसु मा बुल्या, “यो कुन छे कि वादुन आरू पानी भी ओकी हुकुम मानता छे?”