13
राज्य का अधिकारीहोन का प्रती कर्तव्य
हर एक इन्सान शासकिय अधिकाहोन का अधीन रेस क्युकि अधिकार असो नी जो परमेश्वर का मन का तरप से नी हुये. अरु जो अधिकार हइ वे परमेश्वर खे ठहरायो हुयो हइ. येका लिये जो कोय अधिकार को विरोध करस हइ वो परमेश्वर कि विधी का सामने करस हइ अरु सामनो करणवाला खे दण्ड मीले. क्युकि शासन अच्छो काम खे नी पन बुरो काम का लिये डरी खे करणो हइ आखरी. अगर तू अधिकारी से नीडर ऱ्हेनो चाहिए हइ ते अच्छो काम कर अरु ओका तरप से तरी सरानो हुये. क्युकि उ तरा भला का लिये परमेश्वर को सेवक हइ. पन अगर तु बुरो कर ते डर क्युकी वह तलवार व्यर्थ लिए हुयो नी. अरु परमेश्वर को सेवक हइ की ओकि घुस्सा का जसो बुरो काम करणवाला खे दण्ड दे येका लिये अधीकारीहोन कि आज्ञा मान नी ते फक्त परमेश्वर कि शिक्षा का वजेसे नी लेकीन हमारो विवेक करण भी
येका लिये करी भी दे क्युकी शासन करणवाला परमेश्वर को सेवक हइ अरु सदा यो काम मे लग्यो ऱ्हेस हइ. येका लिये हर एक को हक्क चुकयो कर जेका से चाए ओका करी देख जेको चुनी चाए ओखे चुगी दे. जेका से डरनो चाए ओकासे डर. जेको आदर करणो चाए ओको आदर कर.
एक दुसरा का प्रती कर्तव्य
आपस का प्रेम खे छोडी अरु कोय बात मे कोय को कर्जदार नी हुये. क्युकी जो दुसरा से प्रेम रखस हइ, ओ ने व्यवस्था पुरो करी हइ. क्युकी यो की “व्यभिचार नी करणो, मारनो नी करणो, चोरी नी करणो, लालच मत कर,” अरु इनखे छोडीखे अरु कोय भी आज्ञा हुये ते सब का साराश या बात मे पायो जास हइ, “अपना घर का बाजुआला से अपना समान प्रेम रख.” 10 प्रेम घर का बाजुआला कुछ बुरो नी करस येका लिये प्रेम करणु व्यवस्था को पालन करणो हइ.
11 टेम खे पइछान कर असो हि कर, येका लिये की अब तुमारा लिये नीद से जागो उठन की घडी आ पोच्यो हइ. क्युकी जो टेम हम ने विश्वास कऱ्यो थो, उ टेम का बिचार से अब हमारो उध्दार बाहेर हइ. 12 रात भोत बीती गए हइ, अरु दिन निकलना पर हइ. येका लिये हम अंधारा कामहोन खे त्याग खे ज्योति कि हथियार बाधी ले. 13 जसो दिन मे वोसो ही हम सीधो रुप से चाल चले नी की लीला-क्रिडा अरु मे नी व्यभिचार अरु लुचपन मे अरु नी वाद विवाद अरु डाह मे. 14 जब प्रभु यीशु मसीह खे पेनी ले, अरु मानव का आंग की अभिलाषाहोन खे पुरो करणा मे मत लगा र्हे.