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दाऊद का यरूशलेम में स्थिर होना
सोर के राजा हीराम ने दाऊद के पास दूत भेजे, और उसका भवन बनाने को देवदार की लकड़ी और राजमिस्त्री और बढ़ई भेजे। तब दाऊद को निश्चय हो गया कि यहोवा ने उसे इस्राएल का राजा करके स्थिर किया है, क्योंकि उसकी प्रजा इस्राएल के निमित्त उसका राज्य अत्यन्त बढ़ गया था।
यरूशलेम में दाऊद ने और स्त्रियों से विवाह कर लिया, और उनसे और बेटे-बेटियाँ उत्पन्न हुईं। उसकी जो सन्तान यरूशलेम में उत्पन्न हुई, उनके नाम ये हैं: शम्मू, शोबाब, नातान, सुलैमान; यिभार, एलीशू, एलपेलेत; नोगह, नेपेग, यापी, एलीशामा, बेल्यादा और एलीपेलेत।
पलिश्तियों की पराजय
जब पलिश्तियों ने सुना कि पूरे इस्राएल का राजा होने के लिये दाऊद का अभिषेक हुआ, तब सब पलिश्तियों ने दाऊद की खोज में चढ़ाई की; यह सुनकर दाऊद उनका सामना करने को निकल गया। पलिश्ती आए और रपाईम नामक तराई में धावा बोला। 10 तब दाऊद ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मैं पलिश्तियों पर चढ़ाई करूँ? और क्या तू उन्हें मेरे हाथ में कर देगा?” यहोवा ने उससे कहा, “चढ़ाई कर, क्योंकि मैं उन्हें तेरे हाथ में कर दूँगा।” 11 इसलिए जब वे बालपरासीम को आए, तब दाऊद ने उनको वहीं मार लिया; तब दाऊद ने कहा, “परमेश्वर मेरे द्वारा मेरे शत्रुओं पर जल की धारा के समान टूट पड़ा है।” इस कारण उस स्थान का नाम बालपरासीम रखा गया। 12 वहाँ वे अपने देवताओं को छोड़ गए*वहाँ वे अपने देवताओं को छोड़ गए: प्राचीन युग की जातियों में अपने देवताओं को लेकर युद्ध में जाना एक सामान्य प्रचलन था जो इस अंधविश्वास से आरम्भ हुआ कि मूर्तियों में कुछ गुण है और उनके द्वारा सैन्य सफलता प्राप्त होती है। , और दाऊद की आज्ञा से वे आग लगाकर फूँक दिए गए।
13 फिर दूसरी बार पलिश्तियों ने उसी तराई में धावा बोला। 14 तब दाऊद ने परमेश्वर से फिर पूछा, और परमेश्वर ने उससे कहा, “उनका पीछा मत कर; उनसे मुड़कर तूत के वृक्षों के सामने से उन पर छापा मार। 15 और जब तूत के वृक्षों की फुनगियों में से सेना के चलने की सी आहट तुझे सुन पड़े, तब यह जानकर युद्ध करने को निकल जाना कि परमेश्वर पलिश्तियों की सेना को मारने के लिये तेरे आगे जा रहा है।” 16 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार दाऊद ने किया, और इस्राएलियों ने पलिश्तियों की सेना को गिबोन से लेकर गेजेर तक मार लिया। 17 तब दाऊद की कीर्ति सब देशों में फैल गई, और यहोवा ने सब जातियों के मन में उसका भय भर दिया।

*14:12 वहाँ वे अपने देवताओं को छोड़ गए: प्राचीन युग की जातियों में अपने देवताओं को लेकर युद्ध में जाना एक सामान्य प्रचलन था जो इस अंधविश्वास से आरम्भ हुआ कि मूर्तियों में कुछ गुण है और उनके द्वारा सैन्य सफलता प्राप्त होती है।