31
मिस्र पर भरोसा करने के लिए हाय
1 हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं! 2 परन्तु वह भी बुद्धिमान है*परन्तु वह भी बुद्धिमान है: परमेश्वर बुद्धिमान है। उसे धोखा देना व्यर्थ है, या उससे छिपकर कुछ करना व्यर्थ है। और दुःख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठकर कुकर्मियों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा। 3 मिस्री लोग परमेश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, माँस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करनेवाले और सहायता चाहनेवाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएँगे।
4 फिर यहोवा ने मुझसे यह कहा, “जिस प्रकार सिंह या जवान सिंह†जवान सिंह: एक शक्तिशाली भयानक शेर यह दो शेरों का उपयोग तुलना की प्रबलता एवं बल के लिए है। जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे होकर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएँ, तो भी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा। 5 पंख फैलाई हुई चिड़ियों के समान सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा करके बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा।”
6 हे इस्राएलियों, जिसके विरुद्ध तुम ने भारी बलवा किया है, उसी की ओर फिरो‡फिरो: मन फिराओ। मनुष्यों के लिए यह हर समय परमेश्वर की पुकार है।। 7 उस समय तुम लोग सोने चाँदी की अपनी-अपनी मूर्तियों से जिन्हें तुम बनाकर पापी हो गए§तुम बनाकर पापी हो गए: कहने का अर्थ है कि मूर्तियाँ बनाना पाप है वरन् मूर्तियाँ पाप हैं। मूर्तियों को महिमा देने पाप है, जिसका दोष उन पर है। हो घृणा करोगे। 8 “तब अश्शूर उस तलवार से गिराया जाएगा जो मनुष्य की नहीं; वह उस तलवार का कौर हो जाएगा जो आदमी की नहीं; और वह तलवार के सामने से भागेगा और उसके जवान बेगार में पकड़े जाएँगे। 9 वह भय के मारे अपने सुन्दर भवन से जाता रहेगा, और उसके हाकिम घबराहट के कारण ध्वजा त्याग कर भाग जाएँगे,” यहोवा जिसकी अग्नि सिय्योन में और जिसका भट्ठा यरूशलेम में हैं, उसी की यह वाणी है।
*31:2 परन्तु वह भी बुद्धिमान है: परमेश्वर बुद्धिमान है। उसे धोखा देना व्यर्थ है, या उससे छिपकर कुछ करना व्यर्थ है।
†31:4 जवान सिंह: एक शक्तिशाली भयानक शेर यह दो शेरों का उपयोग तुलना की प्रबलता एवं बल के लिए है।
‡31:6 फिरो: मन फिराओ। मनुष्यों के लिए यह हर समय परमेश्वर की पुकार है।
§31:7 तुम बनाकर पापी हो गए: कहने का अर्थ है कि मूर्तियाँ बनाना पाप है वरन् मूर्तियाँ पाप हैं। मूर्तियों को महिमा देने पाप है, जिसका दोष उन पर है।