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इस्राएलियों का खतना किया जाना और फसह मानना
1 जब यरदन के पश्चिम की ओर रहनेवाले एमोरियों के सब राजाओं ने, और समुद्र के पास रहनेवाले कनानियों के सब राजाओं ने यह सुना, कि यहोवा ने इस्राएलियों के पार होने तक उनके सामने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है, तब इस्राएलियों के डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी में जी न रहा।
2 उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, “चकमक की छुरियाँ बनवाकर दूसरी बार इस्राएलियों का खतना करा दे*दूसरी बार इस्राएलियों का खतना करा दे: जो एक बार खतनावाले थे परन्तु अब नहीं हैं; एक बार फिर खतनावाले हो जाएँ। ।” 3 तब यहोशू ने चकमक की छुरियाँ बनवाकर खलड़ियाँ नामक टीले पर इस्राएलियों का खतना कराया। 4 और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है, कि जितने युद्ध के योग्य पुरुष मिस्र से निकले थे वे सब मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में मर गए थे। 5 जो पुरुष मिस्र से निकले थे उन सब का तो खतना हो चुका था, परन्तु जितने उनके मिस्र से निकलने पर जंगल के मार्ग में उत्पन्न हुए उनमें से किसी का खतना न हुआ था। 6 क्योंकि इस्राएली तो चालीस वर्ष तक जंगल में फिरते रहे, जब तक उस सारी जाति के लोग, अर्थात् जितने युद्ध के योग्य लोग मिस्र से निकले थे वे नाश न हो गए, क्योंकि उन्होंने यहोवा की न मानी थी; इसलिए यहोवा ने शपथ खाकर उनसे कहा था, कि जो देश मैंने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाकर तुम्हें देने को कहा था, और उसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं, वह देश मैं तुम को नहीं दिखाऊँगा। 7 तो उन लोगों के पुत्र जिनको यहोवा ने उनके स्थान पर उत्पन्न किया था, उनका खतना यहोशू से कराया, क्योंकि मार्ग में उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहित थे। 8 और जब उस सारी जाति के लोगों का खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपने-अपने स्थान पर छावनी में रहे। 9 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियों में हुई है†तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियों में हुई है: सम्भवतः मिस्री लोग इस्राएलियों का ठट्ठा करते थे यह उसके संदर्भ में है कि वे जंगल में भटक रहे हैं, उनका अभी तक कनान में बसना सम्भव नहीं हुआ है। उसे मैंने आज दूर किया है।” इस कारण उस स्थान का नाम आज के दिन तक गिलगाल‡गिलगाल: अर्थात् ‘हटा दिया या लुढ़का दिया’ पड़ा है।
10 सो इस्राएली गिलगाल में डेरे डाले रहे, और उन्होंने यरीहो के पास के अराबा में पूर्णमासी की संध्या के समय फसह माना। 11 और फसह के दूसरे दिन वे उस देश की उपज में से अख़मीरी रोटी और उसी दिन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे। 12 और जिस दिन वे उस देश की उपज में से खाने लगे, उसी दिन सवेरे को मन्ना बन्द हो गया; और इस्राएलियों को आगे फिर कभी मन्ना न मिला, परन्तु उस वर्ष उन्होंने कनान देश की उपज में से खाया।
यरीहो का ले लिया जाना
13 जब यहोशू यरीहो के पास था तब उसने अपनी आँखें उठाई, और क्या देखा, कि हाथ में नंगी तलवार लिये हुए एक पुरुष सामने खड़ा है; और यहोशू ने उसके पास जाकर पूछा, “क्या तू हमारी ओर का है, या हमारे बैरियों की ओर का?” 14 उसने उत्तर दिया, “नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूँ§यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूँ: स्वर्गदूत स्वर्ग की सेना का प्रधान।।” तब यहोशू ने पृथ्वी पर मुँह के बल गिरकर दण्डवत् किया, और उससे कहा, “अपने दास के लिये मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है?” 15 यहोवा की सेना के प्रधान ने यहोशू से कहा, “अपनी जूती पाँव से उतार डाल, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र है।” तब यहोशू ने वैसा ही किया।
*5:2 दूसरी बार इस्राएलियों का खतना करा दे: जो एक बार खतनावाले थे परन्तु अब नहीं हैं; एक बार फिर खतनावाले हो जाएँ।
†5:9 तुम्हारी नामधराई जो मिस्रियों में हुई है: सम्भवतः मिस्री लोग इस्राएलियों का ठट्ठा करते थे यह उसके संदर्भ में है कि वे जंगल में भटक रहे हैं, उनका अभी तक कनान में बसना सम्भव नहीं हुआ है।
‡5:9 गिलगाल: अर्थात् ‘हटा दिया या लुढ़का दिया’
§5:14 यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूँ: स्वर्गदूत स्वर्ग की सेना का प्रधान।