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अन्नबलि की विधि
“जब कोई यहोवा के लिये अन्नबलि का चढ़ावा चढ़ाना चाहे, तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे; और वह उसको हारून के पुत्रों के पास जो याजक हैं लाए। और अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से इस तरह अपनी मुट्ठी भरकर निकाले कि सब लोबान उसमें आ जाए; और याजक उन्हें स्मरण दिलानेवाले भाग के लिये वेदी पर जलाए कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धित हवन ठहरे। और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; यह यहोवा के हवनों में से परमपवित्र भाग*परमपवित्र भाग: सब चढ़ावे पवित्र थे परन्तु वह परमपवित्र था जिसका प्रत्येक अंश वेदी या पुरोहितों के उपयोग के लिये समर्पित था। होगा।
“जब तू अन्नबलि के लिये तंदूर में पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए, तो वह तेल से सने हुए अख़मीरी मैदे के फुलकों, या तेल से चुपड़ी हुई अख़मीरी रोटियों का हो। और यदि तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अन्नबलि हो, तो वह तेल से सने हुए अख़मीरी मैदे का हो; उसको टुकड़े-टुकड़े करके उस पर तेल डालना, तब वह अन्नबलि हो जाएगा। और यदि तेरा चढ़ावा कढ़ाही में तला हुआ अन्नबलि हो, तो वह मैदे से तेल में बनाया जाए। और जो अन्नबलि इन वस्तुओं में से किसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए, तब याजक उसे वेदी के समीप ले जाए। और याजक अन्नबलि में से स्मरण दिलानेवाला भाग निकालकर वेदी पर जलाए कि वह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे; 10 और अन्नबलि में से जो बचा रहे वह हारून और उसके पुत्रों का ठहरे; वह यहोवा के हवनों में परमपवित्र भाग होगा।
11 “कोई अन्नबलि जिसे तुम यहोवा के लिये चढ़ाओ ख़मीर मिलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन में यहोवा के लिये ख़मीर और मधु न जलाना। 12 तुम इनको पहली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के लिये चढ़ाना, पर वे सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर चढ़ाए न जाएँ। 13 फिर अपने सब अन्नबलियों को नमकीन बनाना; और अपना कोई अन्नबलि अपने परमेश्वर के साथ बंधी हुई वाचा के नमकवाचा के नमक: प्रत्येक पशुबलि में नमक होना आवश्यक था। यह एक प्रतीक था जो होमबलि की वेदी से कभी अलग नहीं होना था जो उनके लिये यहोवा के अविनाशी प्रेम को दर्शाता था। से रहित होने न देना; अपने सब चढ़ावों के साथ नमक भी चढ़ाना।
14 “यदि तू यहोवा के लिये पहली उपज का अन्नबलि चढ़ाए, तो अपनी पहली उपज के अन्नबलि के लिये आग में भुनी हुई हरी-हरी बालें, अर्थात् हरी-हरी बालों को मींजकर निकाल लेना, तब अन्न को चढ़ाना। 15 और उसमें तेल डालना, और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अन्नबलि हो जाएगा। 16 और याजक मींजकर निकाले हुए अन्न को, और तेल को, और सारे लोबान को स्मरण दिलानेवाला भाग करके जला दे; वह यहोवा के लिये हवन ठहरे।

*2:3 परमपवित्र भाग: सब चढ़ावे पवित्र थे परन्तु वह परमपवित्र था जिसका प्रत्येक अंश वेदी या पुरोहितों के उपयोग के लिये समर्पित था।

2:13 वाचा के नमक: प्रत्येक पशुबलि में नमक होना आवश्यक था। यह एक प्रतीक था जो होमबलि की वेदी से कभी अलग नहीं होना था जो उनके लिये यहोवा के अविनाशी प्रेम को दर्शाता था।