68
इस्राएल का विजयगान
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन, गीत
परमेश्वर उठे, उसके शत्रु तितर-बितर हों;
और उसके बैरी उसके सामने से भाग जाएँ!
जैसे धुआँ उड़ जाता है, वैसे ही तू उनको उड़ा दे;
जैसे मोम आग की आँच से पिघल जाता है,
वैसे ही दुष्ट लोग परमेश्वर की उपस्थिति से नाश हों।
परन्तु धर्मी आनन्दित हों; वे परमेश्वर के सामने प्रफुल्लित हों;
वे आनन्द में मगन हों!
परमेश्वर का गीत गाओ, उसके नाम का भजन गाओ;
जो निर्जल देशों में सवार होकर चलता है,
उसके लिये सड़क बनाओ;
उसका नाम यहोवा है, इसलिए तुम उसके सामने प्रफुल्लित हो!
परमेश्वर अपने पवित्र धाम में,
अनाथों का पिता और विधवाओं का न्यायी है*विधवाओं का न्यायी है: वह सुनिश्चित करता है कि उनके साथ अन्याय न हो। वह उन्हें अत्याचार और अन्याय से बचाता है।
परमेश्वर अनाथों का घर बसाता है;
और बन्दियों को छुड़ाकर सम्पन्न करता है;
परन्तु विद्रोहियों को सूखी भूमि पर रहना पड़ता है।
हे परमेश्वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे-आगे चलता था,
जब तू निर्जल भूमि में सेना समेत चला,
(सेला)
तब पृथ्वी काँप उठी,
और आकाश भी परमेश्वर के सामने टपकने लगा,
उधर सीनै पर्वत परमेश्वर, हाँ इस्राएल के परमेश्वर के सामने काँप उठा। (इब्रा. 12:26, न्या. 5:4,5)
हे परमेश्वर, तूने बहुतायत की वर्षा की;
तेरा निज भाग तो बहुत सूखा था, परन्तु तूने उसको हरा भरा किया है;
10 तेरा झुण्ड उसमें बसने लगा;
हे परमेश्वर तूने अपनी भलाई से दीन जन के लिये तैयारी की है।
11 प्रभु आज्ञा देता है,
तब शुभ समाचार सुनानेवालियों की बड़ी सेना हो जाती है।
12 अपनी-अपनी सेना समेत राजा भागे चले जाते हैं,
और गृहस्थिन लूट को बाँट लेती है।
13 क्या तुम भेड़शालाओं के बीच लेट जाओगे?
और ऐसी कबूतरी के समान होंगे जिसके पंख चाँदी से
और जिसके पर पीले सोने से मढ़े हुए हों?
14 जब सर्वशक्तिमान ने उसमें राजाओं को तितर-बितर किया,
तब मानो सल्मोन पर्वत पर हिम पड़ा।
15 बाशान का पहाड़ परमेश्वर का पहाड़ है;
बाशान का पहाड़ बहुत शिखरवाला पहाड़ है।
16 परन्तु हे शिखरवाले पहाड़ों, तुम क्यों उस पर्वत को घूरते हो,
जिसे परमेश्वर ने अपने वास के लिये चाहा है,
और जहाँ यहोवा सदा वास किए रहेगा?
17 परमेश्वर के रथ बीस हजार, वरन् हजारों हजार हैं;
प्रभु उनके बीच में है,
जैसे वह सीनै पवित्रस्थान में है।
18 तू ऊँचे पर चढ़ा, तू लोगों को बँधुवाई में ले गया;
तूने मनुष्यों से, वरन् हठीले मनुष्यों से भी भेंटें लीं,
जिससे यहोवा परमेश्वर उनमें वास करे। (इफि. 4:8)
19 धन्य है प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है;
वही हमारा उद्धारकर्ता परमेश्वर है।
(सेला)
20 वही हमारे लिये बचानेवाला परमेश्वर ठहरा;
यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता हैयहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है: अर्थात् एकमात्र वही है जो मृत्यु से बचा सकता है।
21 निश्चय परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर पर,
और जो अधर्म के मार्ग पर चलता रहता है,
उसका बाल भरी खोपड़ी पर मार-मार के उसे चूर करेगा।
22 प्रभु ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से निकाल लाऊँगा,
मैं उनको गहरे सागर के तल से भी फेर ले आऊँगा,
23 कि तू अपने पाँव को लहू में डुबोए,
और तेरे शत्रु तेरे कुत्तों का भाग ठहरें।”
24 हे परमेश्वर तेरी शोभा-यात्राएँ देखी गई,
मेरे परमेश्वर और राजा की शोभा यात्रा पवित्रस्थान में जाते हुए देखी गई।
25 गानेवाले आगे-आगे और तारवाले बाजों के बजानेवाले पीछे-पीछे गए,
चारों ओर कुमारियाँ डफ बजाती थीं।
26 सभाओं में परमेश्वर का,
हे इस्राएल के सोते से निकले हुए लोगों,
प्रभु का धन्यवाद करो।
27 पहला बिन्यामीन जो सबसे छोटा गोत्र है,
फिर यहूदा के हाकिम और उनकी सभा
और जबूलून और नप्ताली के हाकिम हैं।
28 तेरे परमेश्वर ने तेरी सामर्थ्य को बनाया है,
हे परमेश्वर, अपनी सामर्थ्य को हम पर प्रगट कर, जैसा तूने पहले प्रगट किया है।
29 तेरे मन्दिर के कारण जो यरूशलेम में हैं,
राजा तेरे लिये भेंट ले आएँगे।
30 नरकटों में रहनेवाले जंगली पशुओं को,
सांडों के झुण्ड को और देश-देश के बछड़ों को झिड़क दे।
वे चाँदी के टुकड़े लिये हुए प्रणाम करेंगे;
जो लोगे युद्ध से प्रसन्न रहते हैं, उनको उसने तितर-बितर किया है।
31 मिस्र से अधिकारी आएँगे;
कूशी अपने हाथों को परमेश्वर की ओर फुर्ती से फैलाएँगे।
32 हे पृथ्वी पर के राज्य-राज्य के लोगों परमेश्वर का गीत गाओ;
प्रभु का भजन गाओ,
(सेला)
33 जो सबसे ऊँचे सनातन स्वर्ग में सवार होकर चलता है;
देखो वह अपनी वाणी सुनाता है, वह गम्भीर वाणी शक्तिशाली है।
34 परमेश्वर की सामर्थ्य की स्तुति करोपरमेश्वर की सामर्थ्य की स्तुति करो: अर्थात् उसे सामर्थ्य सम्पन्न परमेश्वर मानो। अपनी आराधना में उसकी सर्वशक्ति को स्वीकार करो।,
उसका प्रताप इस्राएल पर छाया हुआ है,
और उसकी सामर्थ्य आकाशमण्डल में है।
35 हे परमेश्वर, तू अपने पवित्रस्थानों में भययोग्य है,
इस्राएल का परमेश्वर ही अपनी प्रजा को सामर्थ्य और शक्ति का देनेवाला है।
परमेश्वर धन्य है।

*68:5 विधवाओं का न्यायी है: वह सुनिश्चित करता है कि उनके साथ अन्याय न हो। वह उन्हें अत्याचार और अन्याय से बचाता है।

68:20 यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है: अर्थात् एकमात्र वही है जो मृत्यु से बचा सकता है।

68:34 परमेश्वर की सामर्थ्य की स्तुति करो: अर्थात् उसे सामर्थ्य सम्पन्न परमेश्वर मानो। अपनी आराधना में उसकी सर्वशक्ति को स्वीकार करो।