सपन्याह
लेखक
सप. 1:1 में लेखक अपना परिचय देता है, “सपन्याह... हिजकिय्याह का पुत्र, अमर्याह का परपोता और गदल्याह का पोता और कूशी का पुत्र था।” सपन्याह का अर्थ है, “परमेश्वर का रक्षित” वह यिर्म. (21:1; 29:25,29; 37:3; 52:24) में एक पुरोहित दर्शाया गया है परन्तु उपरिलेख में चर्चित सपन्याह से उसका कोई सम्बंध नहीं है। प्रायः कहा जाता है कि वंशावली के आधार पर सपन्याह राजसी परिवार से था। सपन्याह लेखक भविष्यद्वक्ताओं में सर्वप्रथम था जिसने यशायाह और मीका के समय के यहूदा के लिए भविष्यद्वाणी की थी।
लेखन तिथि एवं स्थान
लगभग 640 - 607 ई. पू.
पुस्तक से हमें विदित होता है कि सपन्याह योशिय्याह के राज्यकाल में भविष्यद्वाणी कर रहा था। (सप. 1:1)
प्रापक
यहूदिया की प्रजा (दक्षिण राज्य) तथा सर्वत्र उपस्थित परमेश्वर के लोगों के लिए पत्र।
उद्देश्य
सपन्याह के दण्ड और प्रोत्साहन के सन्देश में तीन शिक्षाएँ हैं: परमेश्वर सब जातियों पर परमप्रधान है, दुष्ट को दण्ड दिया जाएगा और धर्मनिष्ठ को न्याय के दिन प्रतिफल मिलेगा, मन फिराकर परमेश्वर में विश्वास करनेवाले को वह आशीष देता है।
मूल विषय
यहोवा का महान दिन
रूपरेखा
1. प्रभु के दिन का अवश्यंभावी दण्ड — 1:1-18
2. आशा का अन्तराल — 2:1-3
3. अन्यजातियों का विनाश — 2:4-15
4. यरूशलेम का विनाश — 3:1-7
5. आशा का पुनः उदय — 3:8-20
1
आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में, सपन्याह के पास जो हिजकिय्याह के पुत्र अमर्याह का परपोता और गदल्याह का पोता और कूशी का पुत्र था, यहोवा का यह वचन पहुँचा
“मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूँगा,” यहोवा की यही वाणी है। “मैं मनुष्य और पशु दोनों का अन्त कर दूँगा; मैं आकाश के पक्षियों और समुद्र की मछलियों का, और दुष्टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण*दुष्टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण: यही नहीं कि दुष्ट का अन्त किया जाएगा वरन् ठोकर के सब कारणों को भी, हर एक कारण जिससे मनुष्य ठोकर खा सकता है नाश किए जाएँगे। का भी अन्त कर दूँगा; मैं मनुष्यजाति को भी धरती पर से नाश कर डालूँगा,” यहोवा की यही वाणी है। (मत्ती 13:41) “मैं यहूदा पर और यरूशलेम के सब रहनेवालों पर हाथ उठाऊँगा, और इस स्थान में बाल के बचे हुओं को और याजकों समेत देवताओं के पुजारियों के नाम को नाश कर दूँगा। जो लोग अपने-अपने घर की छत पर आकाश के गण को दण्डवत् करते हैं, और जो लोग दण्डवत् करते और यहोवा की शपथ खाते हैं और मिल्कोममिल्कोम: यह अम्मोनियों का देवता है। की भी शपथ खाते हैं; और जो यहोवा के पीछे चलने से लौट गए हैं, और जिन्होंने न तो यहोवा को ढूँढ़ा, और न उसकी खोज में लगे, उनको भी मैं सत्यानाश कर डालूँगा।”
परमेश्वर यहोवा के सामने शान्त रहो! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है; यहोवा ने यज्ञ सिद्ध किया है, और अपने पाहुनों को पवित्र किया है। और यहोवा के यज्ञ के दिन, “मैं हाकिमों और राजकुमारों को और जितने परदेश के वस्त्र पहना करते हैं, उनको भी दण्ड दूँगा। उस दिन मैं उन सभी को दण्ड दूँगा जो डेवढ़ी को लाँघते, और अपने स्वामी के घर को उपद्रव और छल से भर देते हैं।”
10 यहोवा की यह वाणी है, “उस दिन मछली फाटक के पास चिल्लाहट का और नये टोले मिश्नाह में हाहाकार का और टीलों पर बड़े धमाके का शब्द होगा। 11 हे मक्तेश के रहनेवालों, हाय, हाय, करो! क्योंकि सब व्यापारी मिट गए; जितने चाँदी से लदे थे, उन सब का नाश हो गया है। 12 उस समय मैं दीपक लिए हुए यरूशलेम में ढूँढ़-ढाँढ़ करूँगा, और जो लोग दाखमधु के तलछट तथा मैल के समान बैठे हुए मन में कहते हैं कि यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा, उनको मैं दण्ड दूँगा। 13 तब उनकी धन-सम्पत्ति लूटी जाएगी, और उनके घर उजाड़ होंगे; वे घर तो बनाएँगे, परन्तु उनमें रहने न पाएँगे; और वे दाख की बारियाँ लगाएँगे, परन्तु उनसे दाखमधु न पीने पाएँगे।”
14 यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है; यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहाँ वीर दुःख के मारे चिल्लाता है। (प्रका. 6:17) 15 वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन वह उजाड़ और विनाश का दिन, वह अंधेर और घोर अंधकार का दिनवह अंधेर और घोर अंधकार का दिन: क्योंकि सूर्य और चाँद का प्रकाश समाप्त हो जाएगा और मेम्ने का प्रकाश दुष्टों पर नहीं चमकेगा, वे अंधकार में डाल दिए जाएँगे। वह बादल और काली घटा का दिन होगा। 16 वह गढ़वाले नगरों और ऊँचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूँकने और ललकारने का दिन होगा। 17 मैं मनुष्यों को संकट में डालूँगा, और वे अंधों के समान चलेंगे, क्योंकि उन्होंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; उनका लहू धूलि के समान, और उनका माँस विष्ठा के समान फेंक दिया जाएगा। 18 यहोवा के रोष के दिन में, न तो चाँदी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उनका अन्त कर डालेगा।

*1:3 दुष्टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण: यही नहीं कि दुष्ट का अन्त किया जाएगा वरन् ठोकर के सब कारणों को भी, हर एक कारण जिससे मनुष्य ठोकर खा सकता है नाश किए जाएँगे।

1:5 मिल्कोम: यह अम्मोनियों का देवता है।

1:15 वह अंधेर और घोर अंधकार का दिन: क्योंकि सूर्य और चाँद का प्रकाश समाप्त हो जाएगा और मेम्ने का प्रकाश दुष्टों पर नहीं चमकेगा, वे अंधकार में डाल दिए जाएँगे।