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विलापगीत और पश्चात्ताप के लिये आव्हान 
  1 हे इस्राएल के वंशज, तुमसे संबंधित मेरे इस विलापगीत को सुनो:   
 2 “कुमारी कन्या इस्राएल का ऐसा गिरना हुआ है,  
कि अब उसका पुनः उठ खड़ा होना असंभव है,  
वह अपने ही देश में उपेक्षित हो गई,  
और उसको उठानेवाला कोई नहीं है.”   
 3 प्रभु याहवेह का इस्राएल को यह कहना है:  
“तुम्हारा शहर, जो एक हजार योद्धाओं को लेकर आगे बढ़ता है  
उसमें से सिर्फ एक सौ ही बचेंगे;  
तुम्हारा नगर, जो सौ योद्धाओं को लेकर आगे बढ़ता है  
उसमें से सिर्फ दस ही बचेंगे.”   
 4 इस्राएल वंश के लिए याहवेह का यह कहना है:  
“मेरी खोज करो और जीवित रहो;   
 5 बेथेल की खोज न करना,  
गिलगाल में प्रवेश न करना.  
बेअरशेबा की यात्रा पर न जाना.  
क्योंकि यह निश्चित है कि गिलगाल निवासी बंधुआई में जायेंगे,  
तथा बेथेल की विपत्तियों का अंत न होगा.”   
 6 याहवेह की खोज करो और जीवित रहो,  
नहीं तो वह योसेफ़ के गोत्रों पर आग के समान भड़केगा;  
यह उन्हें भस्म कर देगा,  
और इसे बुझानेवाला बेथेल में कोई न होगा.   
 7 ऐसे लोग हैं जो न्याय को बिगाड़ते हैं  
और धर्मीपन को मिट्टी में मिला देते हैं.   
 8 जिसने कृतिका तथा मृगशीर्ष नक्षत्रों की सृष्टि की,  
जो मध्य रात्रि को भोर में बदल देते हैं  
तथा दिन को रात्रि में,  
जो महासागर के जल का बुलाते हैं  
और फिर उसे पृथ्वी के ऊपर उंडेल देते हैं—  
याहवेह है उनका नाम.   
 9 पलक झपकते ही वे किले को नाश कर देते हैं  
और गढ़वाले शहर का विनाश कर देते हैं.   
 10 ऐसे लोग हैं जो अदालत में न्याय का पक्ष लेनेवाले से घृणा करते हैं  
और सत्य बोलनेवाले को तुच्छ समझते हैं.   
 11 तुम निर्धनों के भूंसा पर भी कर लेते हो  
और उनके अन्न पर कर लगाते हो.  
इसलिये, यद्यपि तुमने पत्थर की हवेलियां बनाई है,  
पर तुम उनमें निवास न कर सकोगे;  
यद्यपि तुमने रसदार अंगूर की बारियां लगाई हैं,  
पर तुम उनका दाखरस पी न सकोगे.   
 12 क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे अपराध कितने ज्यादा हैं  
और तुमने कितने गंभीर पाप किए हैं.  
ऐसे लोग हैं जो निर्दोष पर अत्याचार करते और घूस लेते हैं  
तथा निर्धन को न्यायालय में न्याय पाने से वंचित कर देते हैं.   
 13 तब समझदार ऐसे समय में चुपचाप रहते हैं,  
क्योंकि यह समय बुरा है.   
 14 बुराई नहीं, पर भलाई करो,  
कि तुम जीवित रहो.  
तब याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम्हारे साथ रहेंगे,  
जैसा कि तुम्हारा दावा है कि वह तुम्हारे साथ हैं.   
 15 बुराई से घृणा और भलाई से प्रीति रखो;  
अदालत में न्याय को बनाए रखो.  
शायद याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर  
योसेफ़ के बचे हुओं पर कृपा करें.   
 16 इसलिये प्रभु, याहवेह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का यह कहना है:  
“सब गलियों में विलाप होगा  
और सब चौराहों पर पीड़ा से रोने की आवाज सुनाई देगी.  
किसानों को रोने के लिये  
और विलाप करनेवालों को विलाप करने के लिये बुलाया जाएगा.   
 17 अंगूर की सब बारियों में विलाप होगा,  
क्योंकि उस समय स्वयं मैं तुम्हारे बीच से होकर निकलूंगा,”  
याहवेह का यह कहना है.   
याहवेह का दिन 
  18 धिक्कार है तुम पर,  
जो तुम याहवेह के दिन की अभिलाषा करते हो!  
तुम याहवेह के दिन की अभिलाषा क्यों करते हो?  
यह दिन प्रकाश नहीं, अंधकार लेकर आएगा.   
 19 यह वैसा ही होगा जैसे कोई व्यक्ति सिंह से प्राण बचाकर भाग रहा हो  
और भागते हुए उसका सामना भालू से हो जाए,  
अथवा वह घर के अंदर पहुंचे,  
और आराम के लिए दीवार पर हाथ रखे  
और वहीं उसे एक सर्प डस ले.   
 20 क्या यह सत्य नहीं कि याहवेह का दिन प्रकाश का नहीं, अंधकार का दिन होगा—  
घोर अंधकार, प्रकाश की एक किरण भी नहीं?   
 21 “मैं तुम्हारे उत्सवों से घृणा करता हूं, उन्हें तुच्छ समझता हूं;  
तुम्हारी सभाएं मेरे लिए एक दुर्गंध के समान हैं.   
 22 भले ही तुम मुझे होमबलि और अन्नबलि चढ़ाओ,  
पर मैं उन्हें स्वीकार नहीं करूंगा.  
भले ही तुम मुझे अपना मनपसंद मेल बलि चढ़ाओ,  
पर मेरे लिये उनका कोई मतलब नहीं होगा.   
 23 दूर रखो मुझसे अपने गीतों का शोरगुल!  
मैं तुम्हारे वीणा के संगीत को नहीं सुनूंगा.   
 24 पर न्याय को नदी के समान,  
तथा धर्मीपन को कभी न सूखनेवाले सोते के समान बहने दो!   
 25 “हे इस्राएल के वंशजों, निर्जन प्रदेश में चालीस साल तक  
क्या तुमने मुझे बलिदान और भेंट चढ़ाया?   
 26 तुमने अपने साथ राजा की समाधि,  
अपने मूर्तियों की पीठिका,  
अपने देवता का तारा लिये फिरते हो—  
जिन्हें तुमने अपने लिये बनाया है.   
 27 इसलिये मैं तुम्हें दमेशेक से भी बाहर बंधुआई में भेजूंगा,”  
याहवेह का यह कहना है, जिनका नाम सर्वशक्तिमान परमेश्वर है.