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1 “अपने भाइयों से कहो, ‘मेरे लोग,’ और अपनी बहनों से कहो, ‘मेरे प्रिय लोग.’
इस्राएल का दंड और पुनःस्थापना
2 “अपनी माता को डांटो, उसे डांटो,
क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है,
और मैं उसका पति नहीं हूं.
वह अपने चेहरे से व्यभिचारी भावना
और अपने स्तनों के बीच से विश्वासघात को दूर करे.
3 अन्यथा मैं उसके कपड़े उतारकर उसे ऐसी नंगी कर दूंगा
जैसे वह अपने जन्म के समय थी;
मैं उसे मरुस्थल के समान बना दूंगा,
उसे एक सूखी भूमि में बदल दूंगा,
और उसे प्यास से मारूंगा.
4 मैं उसके बच्चों के प्रति प्रेम नहीं दिखाऊंगा,
क्योंकि वे व्यभिचार से पैदा हुए बच्चे हैं.
5 उनकी माता ने विश्वासघात किया है
और वे कलंक से उसके गर्भ में पड़े.
उसने कहा, ‘मैं अपने प्रेमियों के पीछे जाऊंगी,
जो मुझे मेरा भोजन-पानी, मेरा ऊनी और सन के कपड़े,
मेरा जैतून तेल और मेरा दाखमधु देते हैं.’
6 इसलिये मैं उसके रास्ते को कंटीली झाड़ियों से बंद कर दूंगा;
मैं उसके आगे दीवार खड़ी कर दूंगा, जिससे उसे उसका रास्ता नहीं मिलेगा.
7 वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी पर उन्हें पकड़ नहीं सकेगी;
वह उन्हें खोजेगी पर वे उसे नहीं मिलेंगे.
तब वह कहेगी,
‘मैं पहले के समान अपने पति के पास लौट जाऊंगी,
क्योंकि तब मेरी स्थिति अब की अपेक्षा बेहतर थी.’
8 उसने इस बात को नहीं माना है कि वह मैं ही था,
जिसने उसे अन्न, नई दाखमधु और तेल दिया था,
जिसने उस पर खुले हाथों से सोना-चांदी लुटाया था—
जिसका उपयोग उन्होंने बाल देवता के लिए किया.
9 “इसलिये मैं अपने अन्न को ले लूंगा जब वह पक जाएगा,
और अपनी नई दाखमधु को ले लूंगा जब वह तैयार हो जाएगा.
मैं अपने ऊन और सन के कपड़े वापस ले लूंगा,
जिसे मैंने उसे उसके नंगे तन को ढांपने के लिये दिये थे.
10 इसलिये अब मैं उसकी अश्लीलता को
उसके प्रेमियों के सामने प्रकट करूंगा;
कोई भी उसे मेरे हाथ से छुड़ा न सकेगा.
11 मैं उसके सब उत्सवों को बंद कर दूंगा:
उसके वार्षिक त्योहार, उसके नये चांद का उत्सव,
उसके शब्बाथ*शब्बाथ सातवां दिन जो विश्राम का पवित्र दिन है का उत्सव—उसके सब निर्धारित त्योहारों को बंद कर दूंगा.
12 मैं उसके अंगूर की लताओं और अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दूंगा,
जिनके बारे में वह कहती है कि यह मेरी मजदूरी है जिसे मेरे प्रेमियों ने दिया था;
मैं उनको एक झाड़ी बना दूंगा,
और जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे.
13 मैं उसे उस बात के लिये दंड दूंगा
कि उसने बाल देवताओं के लिये धूप जलाया;
वह अपने आपको नथनी और गहनों से सजाती,
और अपने प्रेमियों के पीछे जाती थी,
पर मुझको वह भूल गई,” याहवेह की घोषणा है.
14 “इसलिये मैं उसे ललचाऊंगा;
मैं उसे निर्जन जगह में ले जाऊंगा
और उससे कोमलता से बात करूंगा.
15 वहां मैं उसे उसकी अंगूर की बारियां लौटा दूंगा,
और आकोर†आकोर अर्थ मुसीबत घाटी को आशा का द्वार बना दूंगा.
वहां वह ऐसे जवाब देगी‡या वह गाएगी जैसे वह अपने जवानी के दिनों में दिया करती थी,
अर्थात् जैसे वह मिस्र देश से निकलकर आने के समय दिया करती थी.”
16 याहवेह घोषणा करते हैं,
“उस दिन, तुम मुझे ‘मेरा पति’ कहोगी;
तुम मुझे फिर कभी अपना मालिक नहीं कहोगी.
17 मैं उसके मुंह से बाल देवताओं का नाम मिटा दूंगा;
उनका नाम फिर कभी न लिया जाएगा.
18 उस दिन मैं उनके लिये
जंगली जानवरों, आकाश के पक्षियों
और भूमि पर रेंगनेवाले जंतुओं के साथ एक वाचा बांधूंगा.
धनुष और तलवार और युद्ध को
मैं देश से समाप्त कर दूंगा,
ताकि लोग निडर होकर आराम करें.
19 मैं तुम्हें सदा के लिए विवाह का वचन दूंगा;
मैं तुमको धर्मीपन और सच्चाई,
प्रेम और करुणा के साथ विवाह का वचन दूंगा.
20 मैं तुम्हें विश्वासयोग्यता के साथ विवाह का वचन दूंगा,
और तुम याहवेह को जान जाओगी.”
21 याहवेह की घोषणा है,
“उस दिन मैं जवाब दूंगा,
मैं आकाशमंडल को जवाब दूंगा,
और वे पृथ्वी को जवाब देंगे;
22 और पृथ्वी अन्न, नई दाखमधु
और जैतून तेल को जवाब देगी,
और वे येज़्रील§येज़्रील अर्थ परमेश्वर रोपता है को जवाब देंगे.
23 तब मैं स्वयं उस देश में उसका रोपण करूंगा;
मैं उसे अपना प्रेम दिखाऊंगा, जिसे मैं अपना प्रिय नहीं कहता,
वे जो मेरे लोग नहीं कहे जाते, उन्हें मैं कहूंगा, ‘तुम मेरे लोग हो’;
और वे कहेंगे, ‘आप हमारे परमेश्वर हैं.’ ”