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 1 यद्यपि दुःख का समय हटेगा. पहले उसने ज़ेबुलून और नफताली से घृणा की थी, किंतु भविष्य में वह समुद्र के रास्ते यरदन के उस पार, अन्यजातियों का गलील प्रदेश सम्मानित किया जायेगा—   
 2 अंधकार में चल रहे लोगों ने  
एक बड़ी ज्योति को देखा;  
गहन अंधकार के निवासियों पर  
ज्योति चमकी.   
 3 जैसे फसल कटनी के समय  
आनंदित होती है,  
और जैसे लोग लूट बांटने के समय  
मगन होते हैं;  
वैसे तूने जाति को बढ़ाया  
और आनंदित किया.   
 4 क्योंकि परमेश्वर ने उनके जूए  
और भारी बोझ को दूर किया,  
जो मिदियान के द्वारा दिया गया था.   
 5 युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के जूते  
और खून से भरे हुए कपड़े जला दिए जाएंगे.   
 6 क्योंकि हमारे लिए एक पुत्र का जन्म हुआ है,  
प्रभुता उनके कंधों पर स्थित होगी,  
और उनका नाम होगा  
अद्भुत युक्ति करनेवाला, पराक्रमी,  
अनंत काल का पिता, और शांति का राजकुमार होगा.   
 7 दावीद के सिंहासन और उनके राज्य पर उनके अधिकार  
तथा उनकी शांति का अंत न होगा.  
इसलिये दावीद की राजगद्दी हमेशा न्याय  
और धर्म के साथ स्थिर रहेगी. सेनाओं के याहवेह का जोश इसे पूरा करेगा.   
इस्राएल के खिलाफ याहवेह का गुस्सा 
  8 याहवेह ने याकोब के पास एक संदेश भेजा;  
जो इस्राएल पर पूरा हुआ.   
 9 यह एफ्राईम और शमरिया के  
सभी लोगों को मालूम हो जाएगा—  
जो घमंड  
और कठोरता से बोलते हैं,   
 10 “ईंटें तो गिर गई हैं,  
लेकिन हम गिरे हुए पत्थरों से घर बनाएंगे,  
गूलर-वृक्ष तो काट दिए गए हैं,  
तब हम उनके स्थान पर देवदार उगाएंगे.”   
 11 तब याहवेह रेज़िन की ओर से उसके विरुद्ध शत्रु खड़े करेंगे  
और उसके अन्य शत्रुओं को उकसाएंगे.   
 12 पूर्व से अरामी और पश्चिम से फिलिस्तीनी  
जो मुंह खोलकर इस्राएल को निगल जाएंगे.  
यह सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा,  
और उनका हाथ उठा रहेगा.   
 13 फिर भी लोग उनकी ओर नहीं फिरे,  
और न ही उन्होंने सर्वशक्तिमान याहवेह की ओर ध्यान दिया.   
 14 इसलिये याहवेह एक ही दिन में इस्राएल से सिर और पूंछ,  
तथा खजूर के सरकंडे को काट डालेंगे;   
 15 सिर तो वह प्रतिष्ठित और बुज़ुर्ग व्यक्ति है,  
और पूंछ वह भविष्यद्वक्ता जो झूठी बात सिखाता है.   
 16 क्योंकि वे ही, उनको मार्ग बताकर भटका देते थे,  
और जो उनकी अगुवाई करते थे नाश हो गये.   
 17 इसलिये प्रभु उनके जवानों से खुश नहीं थे,  
और उनके अनाथ और विधवाओं पर कोई दया नहीं करता,  
क्योंकि सब श्रद्धाहीन और कुकर्मी थे,  
उनमें सब की बातें मूर्खता की होती थी.  
इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न हुआ,  
और उनका हाथ उठा रहा.   
 18 दुष्ट आग के समान जलता है;  
जो ऊंटकटारों तथा कंटीली झाड़ियों को जला देती है,  
वन के झुरमुट को जला देती है,  
और उसका धुआं ऊपर उठता है.   
 19 सर्वशक्तिमान याहवेह के क्रोध से  
देश झुलस गया है  
और प्रजा आग में जल गई है;  
भाई ने भाई को नहीं छोड़ा.   
 20 वे दायीं ओर से छीन झपटकर खाने पर भी भूखे ही रहते हैं,  
और वह भी खा जाते हैं;  
जो बाएं ओर होता है,  
फिर भी तृप्त नहीं होते.  
उनमें से हर एक अपनी ही बांह के मांस को खा जाता है:   
 21 एफ्राईम मनश्शेह को खाता है और मनश्शेह एफ्राईम को;  
वे एक साथ होकर यहूदाह के विरुद्ध हो गए हैं.  
इतना सब होने पर भी उनका क्रोध शांत न होगा,  
और उनका हाथ उठा रहेगा.