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कूश के विरोध में भविष्यवाणी 
  1 हाय कूश नदी के दूसरी  
ओर के देश पर जहां पंखों की फड़फड़ाहट की आवाज सुनाई देती है,   
 2 वह जो पानी में पपीरस नौकाओं में समुद्र के द्वारा दूत भेजता है,  
तुम जो स्वस्थ और लंबे डीलडौल के हो,  
उस देश में उन लोगों के पास जाओ,  
जहां दूर-दूर तक जिनका डर मन में है,  
तथा जो देश सिद्ध एवं सुंदर है,  
और जिनके बीच से नदियां बहती हैं.   
 3 हे सारी पृथ्वी के लोगों सुनो,  
जब पर्वतों पर झंडा ऊंचा किया जाए  
और जब तुरही फूंकी जायेगी,   
 4 तब याहवेह ने मुझसे कहा,  
“सूर्य की तेज धूप तथा कटनी के समय ओस के बादल में रहकर मैं चुपचाप देखूंगा.”   
 5 क्योंकि जैसे ही कलियां खिल जाएं  
और फूल पके हुए दाख बन जाएं,  
तब याहवेह टहनी से वह अंकुरों को छांटेंगे,  
और बढ़ती हुई डालियों को काटकर अलग कर देंगे.   
 6 जो मांसाहारी पक्षियों  
और पृथ्वी के पशुओं के लिए होगा;  
मांसाहारी पक्षी इन पर धूप में,  
तथा पृथ्वी के पशु इस पर सर्दी में बैठेंगे.   
 7 स्वस्थ और लंबे डीलडौल के  
लोग जो अजीब भाषा का, आक्रामक राष्ट्र हैं, जिन्हें दूर और पास के सब लोग डरते हैं,  
और जो देश सिद्ध एवं सुंदर है,  
जिसके बीच से नदियां बहती हैं—  
उनकी ओर से उस समय सेनाओं के याहवेह के नाम में प्रतिष्ठित ज़ियोन पर्वत पर भेंट लाई जाएगी.