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न्याय और उद्धार 
  1 “मैंने अपने आपको उन लोगों में प्रकट किया, जिन्होंने मेरे विषय में पूछताछ ही नहीं की;  
मैंने अपने आपको उन लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया, जिन्होंने मुझे खोजने की कोशिश भी न की थी.  
वह देश जिसने मेरे नाम की दोहाई ही न दी थी,  
मैं उसका ध्यान इस प्रकार करता रहा, ‘देख मैं यहां हूं.’   
 2 एक विद्रोही जाति के लिए  
मैं सारे दिन अपने हाथ फैलाए रहा,  
जो अपनी इच्छा से बुरे रास्तों पर  
चलते हैं,   
 3 जो ईंटों पर धूप जलाकर तथा बागों में बलि चढ़ाकर,  
मुझे क्रोधित करते हैं;   
 4 जो कब्रों के बीच बैठे रहते  
तथा सुनसान जगहों पर रात बिताते हैं;  
जो सूअर का मांस खाते,  
और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते हैं;   
 5 वे कहते हैं, ‘अपने आप काम करो; मत आओ हमारे पास,  
तुमसे अधिक पवित्र मैं हूं!’  
मेरे लिए तो यह मेरे नाक में धुएं व उस आग के समान है,  
जो सारे दिन भर जलती रहती है.   
 6 “देखो, यह सब मेरे सामने लिखा है:  
मैं चुप न रहूंगा, किंतु मैं बदला लूंगा;  
वरन तुम्हारे और तुम्हारे पूर्वजों के भी अधर्म के कामों का बदला तुम्हारी गोद में भर दूंगा.   
 7 क्योंकि उन्होंने पर्वतों पर धूप जलाया है  
और पहाड़ियों पर उन्होंने मेरी उपासना की है,  
इसलिये मैं उनके द्वारा  
पिछले कामों का बदला उन्हीं की झोली में डाल दूंगा.”   
 8 याहवेह कहते हैं,  
“जिस प्रकार दाख के गुच्छे में ही नया दाखमधु भरा होता है  
जिसके विषय में कहा जाता है, ‘इसे नष्ट न करो,  
यही हमें लाभ करेगा,’  
इसी प्रकार मैं भी अपने सेवकों के लिये काम करूंगा;  
कि वे सबके सब नष्ट न हो जाएं.   
 9 मैं याकोब के वंश को जमा करूंगा,  
और यहूदिया से मेरे पर्वतों का उत्तराधिकारी चुना जायेगा;  
वे मेरे चुने हुए वारिस होंगे,  
और वहां मेरे सेवक बस जायेंगे.   
 10 शारोन में उसकी भेड़-बकरियां चरेंगी,  
और गाय-बैल आकोर घाटी में विश्राम करेंगे,  
क्योंकि मेरी प्रजा मेरी खोज करने लगी है.   
 11 “परंतु तुम जिन्होंने याहवेह को छोड़ दिया हैं  
और जो मेरे पवित्र पर्वत को भूल जाते हैं,  
वे भाग्य देवता के लिए मेज़ पर खाना सजाते हैं  
और भावी देवी के लिये मसाला मिला दाखमधु रखते हैं,   
 12 मैं तुम्हारे लिए तलवार लाऊंगा,  
तुम सभी वध होने के लिए झुक जाओगे;  
क्योंकि तुमने मेरे बुलाने पर उत्तर न दिया,  
जब मैंने कहा तुमने न सुना.  
तुमने वही किया, जो मेरी दृष्टि में गलत है  
तथा वही करना चाहा जो मुझे नहीं भाता.”   
 13 तब प्रभु याहवेह ने कहा:  
“देखो, मेरे सेवक तो भोजन करेंगे,  
पर तुम भूखे रह जाओगे;  
कि मेरे सेवक पिएंगे,  
पर तुम प्यासे रह जाओगे;  
मेरे सेवक आनंदित होंगे,  
पर तुम लज्जित किए जाओगे.   
 14 मेरे सेवक आनंद से  
जय जयकार करेंगे,  
पर तुम दुःखी दिल से रोते  
और तड़पते रहोगे.   
 15 मेरे चुने हुए लोग  
तुम्हारा नाम लेकर शाप देंगे;  
और प्रभु याहवेह तुमको नाश करेंगे,  
परंतु अपने दासों का नया नाम रखेंगे.   
 16 क्योंकि वह जो पृथ्वी पर धन्य है  
वह सत्य के परमेश्वर द्वारा आशीषित किया गया है;  
वह जो पृथ्वी पर शपथ लेता है  
वह सत्य के परमेश्वर की शपथ लेगा.  
क्योंकि पुरानी विपत्तियां दूर हो जायेंगी,  
वह मेरी आंखों से छिप गया है.   
नया आकाश और नयी पृथ्वी 
  17 “क्योंकि देखो,  
मैं नया आकाश और पृथ्वी बनाऊंगा.  
पुरानी बातें न सोची,  
और न याद की जायेंगी.   
 18 इसलिये मैं जो कुछ बना रहा हूं  
उसमें सर्वदा मगन और खुश रहो,  
क्योंकि देखो मैं येरूशलेम को मगन  
और आनंदित बनाऊंगा.   
 19 मैं येरूशलेम में खुशी मनाऊंगा  
तथा अपनी प्रजा से मैं खुश रहूंगा;  
फिर येरूशलेम में न तो रोने  
और न चिल्लाने का शब्द सुनाई देगा.   
 20 “अब वहां ऐसा कभी न होगा  
कि कुछ दिन का बच्चा,  
या किसी वृद्ध की अचानक मृत्यु हो जाए;  
क्योंकि जवान ही की मृत्यु  
एक सौ वर्ष की अवस्था में होगी;  
तथा वह, जो अपने जीवन में एक सौ वर्ष न देख पाए,  
उसे शापित माना जाएगा.   
 21 वे घर बनाकर रहेंगे;  
वे दाख की बारी लगायेंगे और उसका फल खाएंगे.   
 22 ऐसा कभी न होगा कि घर तो वे बनाएंगे तथा उसमें कोई और रहने लगेगा;  
या वे बीज बोए, और दूसरे फसल काटे.  
क्योंकि जितना जीवनकाल वृक्ष का होगा,  
उतनी ही आयु मेरी प्रजा की होगी;  
मेरे चुने हुए अपने कामों का  
पूरा लाभ उठाएंगे.   
 23 उनकी मेहनत बेकार न होगी,  
न उनके बालक कष्ट के लिए उत्पन्न होंगे;  
क्योंकि वे याहवेह के धन्य वंश होंगे,  
और उनके बच्चे उनसे अलग न होंगे.   
 24 उनके पुकारते ही मैं उन्हें उत्तर दूंगा;  
और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा.   
 25 भेड़िये तथा मेमने साथ साथ चरेंगे,  
बैल के समान सिंह भूसा खाने लगेगा,  
तथा सांप का भोजन धूल होगा.  
मेरे पवित्र पर्वत पर  
किसी प्रकार की हानि और कष्ट न होगा,”  
यह याहवेह का वचन है.