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अय्योब का अंतिम भाषण 
  1 तब अपने वचन में अय्योब ने कहा:   
 2 “जीवित परमेश्वर की शपथ, जिन्होंने मुझे मेरे अधिकारों से वंचित कर दिया है,  
सर्वशक्तिमान ने मेरे प्राण को कड़वाहट से भर दिया है,   
 3 क्योंकि जब तक मुझमें जीवन शेष है,  
जब तक मेरे नथुनों में परमेश्वर का जीवन-श्वास है,   
 4 निश्चयतः मेरे मुख से कुछ भी असंगत मुखरित न होगा,  
और न ही मेरी जीभ कोई छल उच्चारण करेगी.   
 5 परमेश्वर ऐसा कभी न होने दें, कि तुम्हें सच्चा घोषित कर दूं;  
मृत्युपर्यंत मैं धार्मिकता का त्याग न करूंगा.   
 6 अपनी धार्मिकता को मैं किसी भी रीति से छूट न जाने दूंगा;  
जीवन भर मेरा अंतर्मन मुझे नहीं धिक्कारेगा.   
 7 “मेरा शत्रु दुष्ट-समान हो,  
मेरा विरोधी अन्यायी-समान हो.   
 8 जब दुर्जन की आशा समाप्त हो जाती है, जब परमेश्वर उसके प्राण ले लेते हैं,  
तो फिर कौन सी आशा बाकी रह जाती है?   
 9 जब उस पर संकट आ पड़ेगा,  
क्या परमेश्वर उसकी पुकार सुनेंगे?   
 10 तब भी क्या सर्वशक्तिमान उसके आनंद का कारण बने रहेंगे?  
क्या तब भी वह हर स्थिति में परमेश्वर को ही पुकारता रहेगा?   
 11 “मैं तुम्हें परमेश्वर के सामर्थ्य की शिक्षा देना चाहूंगा;  
सर्वशक्तिमान क्या-क्या कर सकते हैं, मैं यह छिपा नहीं रखूंगा.   
 12 वस्तुतः यह सब तुमसे गुप्त नहीं है;  
तब क्या कारण है कि तुम यह व्यर्थ बातें कर रहे हो?   
 13 “परमेश्वर की ओर से यही है दुर्वृत्तों की नियति,  
सर्वशक्तिमान की ओर से वह मीरास, जो अत्याचारी प्राप्त करते हैं.   
 14 यद्यपि उसके अनेक पुत्र हैं, किंतु उनके लिए तलवार-घात ही निर्धारित है;  
उसके वंश कभी पर्याप्त भोजन प्राप्त न कर सकेंगे.   
 15 उसके उत्तरजीवी महामारी से कब्र में जाएंगे,  
उसकी विधवाएं रो भी न पाएंगी.   
 16 यद्यपि वह चांदी ऐसे संचित कर रहा होता है,  
मानो यह धूल हो तथा वस्त्र ऐसे एकत्र करता है, मानो वह मिट्टी का ढेर हो.   
 17 वह यह सब करता रहेगा, किंतु धार्मिक व्यक्ति ही इन्हें धारण करेंगे  
तथा चांदी निर्दोषों में वितरित कर दी जाएगी.   
 18 उसका घर मकड़ी के जाले-समान निर्मित है,  
अथवा उस आश्रय समान, जो चौकीदार अपने लिए बना लेता है.   
 19 बिछौने पर जाते हुए, तो वह एक धनवान व्यक्ति था;  
किंतु अब इसके बाद उसे जागने पर कुछ भी नहीं रह जाता है.   
 20 आतंक उसे बाढ़ समान भयभीत कर लेता है;  
रात्रि में आंधी उसे चुपचाप ले जाती है.   
 21 पूर्वी वायु उसे दूर ले उड़ती है, वह विलीन हो जाता है;  
क्योंकि आंधी उसे ले उड़ी है.   
 22 क्योंकि यह उसे बिना किसी कृपा के फेंक देगा;  
वह इससे बचने का प्रयास अवश्य करेगा.   
 23 लोग उसकी स्थिति को देख आनंदित हो ताली बजाएंगे  
तथा उसे उसके स्थान से खदेड़ देंगे.”