स्तोत्र 51
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद का एक स्तोत्र. यह उस अवसर का लिखा है जब दावीद ने बैथशेबा से व्यभिचार किया और भविष्यद्वक्ता नाथान ने दावीद का सामना किया था. 
  1 परमेश्वर, अपने करुणा-प्रेम*करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं में,  
अपनी बड़ी करुणा में;  
मुझ पर दया कीजिए,  
मेरे अपराधों को मिटा दीजिए.   
 2 मेरे समस्त अधर्म को धो दीजिए  
और मुझे मेरे पाप से शुद्ध कर दीजिए.   
 3 मैंने अपने अपराध पहचान लिए हैं,  
और मेरा पाप मेरे दृष्टि पर छाया रहता है.   
 4 वस्तुतः मैंने आपके, मात्र आपके विरुद्ध ही पाप किया है,  
मैंने ठीक वही किया है, जो आपकी दृष्टि में बुरा है;  
तब जब आप अपने न्याय के अनुरूप दंड देते हैं,  
यह हर दृष्टि से न्याय संगत एवं उपयुक्त है.   
 5 इसमें भी संदेह नहीं कि मैं जन्म के समय से ही पापी हूं,  
हां, उसी क्षण से, जब मेरी माता ने मुझे गर्भ में धारण किया था.   
 6 यह भी बातें हैं कि आपकी यह अभिलाषा है, कि हमारी आत्मा में सत्य हो;  
तब आप मेरे अंतःकरण में भलाई प्रदान करेंगे.   
 7 जूफ़ा पौधे की टहनी से मुझे स्वच्छ करें, तो मैं शुद्ध हो जाऊंगा;  
मुझे धो दीजिए, तब मैं हिम से भी अधिक श्वेत हो जाऊंगा.   
 8 मुझमें हर्षोल्लास एवं आनंद का संचार कीजिए;  
कि मेरी हड्डियां जिन्हें आपने कुचल दी हैं, मगन हो उठें.   
 9 मेरे पापों को अपनी दृष्टि से दूर कर दीजिए  
और मेरे समस्त अपराध मिटा दीजिए.   
 10 परमेश्वर, मुझमें एक शुद्ध हृदय को उत्पन्न कीजिए,  
और मेरे अंदर में सुदृढ़ आत्मा की पुनःस्थापना कीजिए.   
 11 मुझे अपने सान्निध्य से दूर न कीजिए  
और मुझसे आपके पवित्रात्मा को न छीनिए.   
 12 अपने उद्धार का उल्लास मुझमें पुनः संचारित कीजिए,  
और एक तत्पर आत्मा प्रदान कर मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.   
 13 तब मैं अपराधियों को आपकी नीतियों की शिक्षा दे सकूंगा,  
कि पापी आपकी ओर पुनः फिर सकें.   
 14 परमेश्वर, मेरे छुड़ानेवाले परमेश्वर,  
मुझे रक्तपात के दोष से मुक्त कर दीजिए,  
कि मेरी जीभ आपकी धार्मिकता का स्तुति गान कर सके.   
 15 प्रभु, मेरे होंठों को खोल दीजिए,  
कि मेरे मुख से आपकी स्तुति-प्रशंसा हो सके.   
 16 आपकी प्रसन्नता बलियों में नहीं है, अन्यथा मैं बलि अर्पित करता,  
अग्निबलि में भी आप प्रसन्न नहीं हैं.   
 17 टूटी आत्मा ही परमेश्वर को स्वीकार्य योग्य बलि है;  
टूटे और पछताये हृदय से,  
हे परमेश्वर, आप घृणा नहीं करते हैं.   
 18 आपकी कृपादृष्टि से ज़ियोन की समृद्धि हो,  
येरूशलेम की शहरपनाह का पुनर्निर्माण हो.   
 19 तब धर्मी की अग्निबलि  
तथा सर्वांग पशुबलि अर्पण से आप प्रसन्न होंगे;  
और आपकी वेदी पर बैल अर्पित किए जाएंगे.   
*स्तोत्र 51:1 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द के अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये सब शामिल हैं