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नायक  
 1 मेरी बहन, मेरी दुल्हिन; मैं अपने बगीचे में आ चुका हूं;  
मैंने अपना गन्धरस, अपना लोबान इकट्ठा कर लिया है.  
मैंने मधु के साथ मधुछत्ते को भी खा लिया है;  
मैंने अपना दाखमधु तथा अपना दूध पी लिया है.  
मित्रगण  
मित्रो, भोजन करो, दाखमधु का सेवन करो;  
तथा प्रेम के नशे में चूर हो जाओ.   
नायिका  
 2 मैं सोई हुई थी, किंतु मेरा हृदय जाग रहा था.  
एक आवाज! मेरा प्रेमी दरवाजा खटखटा रहा था:  
“दरवाजा खोलो, मेरी बहन, मेरी प्रियतमा,  
मेरी कबूतरी, मेरी सर्वांग सुंदरी.  
क्योंकि ओस से मेरा सिर भीगा हुआ है,  
रात की नमी मेरे बालों में समाई हुई है.”   
 3 मैं तो अपने वस्त्र उतार चुकी हूं,  
अब मैं कैसे वस्त्रों को दोबारा पहनूं?  
मैं अपने पांव धो चुकी हूं,  
अब मैं उन्हें मैला क्यों करूं?   
 4 मेरे प्रेमी ने दरवाजे के छेद में से अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया;  
उसके लिए मेरी भावनाएं उमड़ उठीं.   
 5 मैं बिछौना छोड़ अपने प्रेमी के लिए दरवाजा खोलने के लिए उठी,  
मेरे हाथों से गन्धरस टपक रहा था  
और मेरी उंगलियों से टपकता हुआ गन्धरस.  
मेरी उंगलियां इस समय दरवाजे की चिटकनी पर थीं.   
 6 अपने प्रेमी के लिए मैंने दरवाजा खोला,  
मगर मेरा प्रेमी लौट चुका था.  
जब वह मुझसे विनती कर रहा था, मेरा हृदय पिघल गया.  
मैं उसे खोजती रही पर वह मुझे नहीं मिला.  
मैं उसे पुकारती रही, पर उसकी ओर से मुझे उत्तर न मिला.   
 7 नगर में घूमते हुए पहरेदारों से  
मेरी भेंट ज़रूर हुई.  
उन्होंने मुझ पर वार कर मुझे घायल कर दिया;  
शहरपनाह के पहरेदारों ने तो मेरी चादर ही छीन ली.   
 8 येरूशलेम की कन्याओ, यह वादा करो,  
यदि तुम्हें कहीं मेरा प्रेमी मिल जाए,  
तुम उसे बताओगे? उसे बता देना कि मुझे प्रेम की बीमारी हो गयी है.   
मित्रगण  
 9 नवयुवतियों में परम सुंदरी नवयुवती,  
किस प्रकार तुम्हारा प्रेमी दूसरे प्रेमियों से उत्तम है?  
किस प्रकार का है तुम्हारा यह प्रेमी,  
कि तुम हमें सौगंध दे रही हो?   
नायिका  
 10 मेरा प्रेमी तेजवान और लाल है,  
वह तो दस हज़ारों में सिर्फ एक है.   
 11 उसका सिर सोना; हां, शुद्ध सोने के समान है;  
और उसके बाल तो खजूर के गुच्छों के समान हैं,  
कौआ के समान काले.   
 12 उसकी आंखें उन कबूतरों के समान हैं  
जो नदियों के किनारे पाए जाते हैं,  
मानो उन्होंने दूध में नहाया है,  
जिनमें हीरे जड़े हुए हैं.   
 13 उसके गाल बलसान की क्यारियों के समान हैं,  
मानो वे सुगंध मिश्रण के ढेर हों.  
उसके ओंठ सोसन के फूल हैं,  
जिनमें से गन्धरस का रस टपकता है.   
 14 उसके हाथ मरकत मणि जड़े हुए कुन्दन के हैं;  
उसका पेट तो उत्तम हाथी-दांत का है,  
जिसमें नीलम जड़े हुए हैं.   
 15 उसके पैर संगमरमर के खंभे हैं,  
जिन्हें कुन्दन पर बैठा दिया गया है.  
उसका रूप लबानोन के समान है,  
सुंदर देवदार के वृक्षों के समान.   
 16 उसका मुख बहुत ही मीठा है;  
वह हर तरह से मन को भानेवाला है.  
येरूशलेम की कन्याओ,  
ऐसा ही है मेरा प्रेमी, मेरा मीत.