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घर वालो अर घरवाली 
  1 अरे घर वाली हुन, तुम भी अपनो घर वालो*पति को बस म रहो, एकोलाने कि अदि इन म से कोई असो हैं जो वचन का नी माना हैं,✡इफिसीयो 5:22; कुलुस्सियो 3:18   2 तेबी तुमारो डर संग सुध्द चाल चलन ख देख कर बिना वचन को अपनी-अपनी घर वाली ख चाल-चलन को दुवारा खिच जाहे।   3 तुमारो सजनू दिखान वालो नी होए, असो कि बाल गूँथनू, अर सोना का जेवर, या अलग-अलग का कपड़ा पहिननो,   4 यानी कि तुमारो छिपो हुओ अर लुकाम मनुस्यत्व, नम्र हुन अर मन कि दीन हुन कि अविनासी सजावट से सुसज्जित रय्हे, काहेकि परमेस्वर कि आँखी म एको किमत बड़ो हैं।   5 पुरानो जमाना म सुध्द बाई हुन भी, जो परमेस्वर पर आसा रखह हती, अपनो खुद ख यू रिती रिवाज से संवारती अर अपनो-अपनो घर वालो को बस म रह हती।   6 जसो सारा अब्राहम कि बात ख मानत रवह हती अर ओ ख मालिक कहत हती। यू तरीका तुम भी अदि भलाई कर अर कोई तरीका को डर से डर जो मत, ते ओकी पोरी हुन कहलायेगी।   
 7 असो ही अरे पति हुन, तुम भी समझ दारी से पत्नी हुन संग जिन्दगी गुजार ख†निर्वाह  कर, अर ओरत को सुध्द बर्तन जान ख ओको आदर कर, यू समझ ख कि हम दोई जिन्दगी को वरदान का सन्तान हैं, जेसे तुमारी प्रार्थना हुन रूक नी जाहे।   
भलई को कारन सताओ 
  8 अब: सब झन एक मन अर कृपामय अर भई चारा हुन को रखन वाली, अर करूनामय अर सिधो बनो।   9 बुरा का बदला बुरा मत कर अर नी गाली को बदला गाली नी दे; पर एका बदला आसीस ही दे, काहेकि तुम आसीस को सन्तान होन का लाने बुलायो गयो हो।   10 काहेकि  
“जे कोई जिन्दगी से प्यार रखह हैं,  
अर अच्छो दिन देखन चाहूँ हैं,  
वा अपनी जीभ ख बुराई से,  
अर अपनो होठ हुन ख धोखा कि बात हुन करन से रोके रह।   
 11 उही बुराई का संग छोड़े, अर भलाई ही कर;  
वा मेल झुल करन ढूँढे, अर ओखा तैयारी म रहो।   
 12 काहेकि प्रभु कि आँखी धर्मियो करन वाली का ऊपर पर लगी रह हैं,  
अर ओखा कान उनकी प्रार्थना करी तरफ लगा रह हैं;  
पर प्रभु बुराई करन वाली का विमुख रह हैं।”✡भजन 34:12-16; यूहन्ना 9:31; नीति 15:29   
 13 अदि तुम भलाई करन का लाने परेसान‡उतेजित  रह हैं ते तुमारो बुराई करन वालो फिर कऊन हैं?   14 अदि तुम धरम को लाने दुख भी उठाओ, ते भलो हैं; पर अदमी हुन का डरान से मत डर, अर नी घबराओ,✡मत्ती 5:10   15 पर मसी को प्रभु जान ख अपनो अपनो मन म सुध्द समझो। पर जो कोई तुम से तुमारी आसा को बारा म कई पूछे, ओ ख जवाब देन का लाने हमेसा तैयार रह, पर नम्रता अर डर का संग;   16 अर मन से भी सुध्द रख जो, एकोलाने कि जीन बात हुन का बारा म तुमारी बदनामी होय हैं उनके बारा म वी, जो मसी म तुमारो अच्छो चाल चलन की बेज्जती करह हैं, लज्जित हैं।   17 काहेकि अदि परमेस्वर की यू ही इच्छा हैं कि तुम भलाई करन का लाने दुख उठाओ, ते यू बुराई करन का लाने दुख उठाना से सही हैं।   18 एकोलाने कि मसी न भी, याने अधर्मी हुन को लाने धरमी न, पाप हुन का लाने एक बार दुख उठायो, काहेकि हम ख परमेस्वर को नजदीक पहुँचाए; उ सरीर का भाव से ते जख्म कियो गयो, पर आत्मा ख भाव से जिलायो गयो।   19 ओ म ही ओ न जा ख बंदी हुई आत्मा हुन ख भी खबर कियो,   20 जिन न उ बीतो बखत म आग्या नी मानी, जब परमेस्वर नूह का दिन हुन म सान्ति रख ख रोको रय्हो, अर उ नाव बना रय्हो हता, जे म बैठ ख थोड़ा अदमी याने आठ प्रानी पानी को दुवारा बच गया।   21 उही पानी को उदाहरन भी, याने बपतिस्मा, यीसु मसी को जी उठन को दुवारा, अब तुम ख बचाव हैं; ऐ से सरीर को मईल ख दूर करन को मतलब नी हैं, पर भलो विवेक से परमेस्वर को बस म हो जान का मतलब हैं।   22 उ स्वर्ग पर जा ख परमेस्वर कि दाहिनो तरफ बैठ गयो; अर स्वर्ग दूत अर अधिकार अर सक्ति साली ओखा बस म कियो गयो हैं। ✡इफिसीयो 1:20-21; भजन 110:1