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मसी को सरीर म एक जुटता
परमेस्वर न तुम इंसान हुन ख बुलायो हैं। तुम अपनो बुलायो जान को हिसाब से चाल चलो यू मोरो तुम से निवेदन हैं, जसो मी प्रभु को लाने गुलामी म हैं। तुम पुरो तरीका से विनम्र, सैयम अर सहनसील बने, प्रेम से एक दुसरा ख सैय लेव अर सान्ति को सुत म बंध ख वा एकता ख, जेखा सुध्द आत्मा हमका देवा हैं, बना ख रखन की कोसीस करते रहनू। एक ही सरीर आय, अर एक ही आत्मा; अऊर एक ही आसा, जेको लाने तुम इंसान बुलायो गया हैं। एक ही प्रभु हैं, एक ही भरोसा, एक ही बपतिस्मा, अर सबको एक ही परमेस्वर हैं, अऊर बाप हैं, जो सब को ऊपर अऊर सब को बीच म अऊर सब म हैं।
पर हम म से हर एक ख मसी को दान को परिनाम को अनुसार कृपा या दया भई हैं। एकोलाने सुध्द सास्र कहा हैं:
“उ ऊपर पर चढ़ियो
अर बन्दी हुन ख बाँध ले गयो,
अऊर अदमी हुन ख वरदान दियो।”
(ओको चढ़न को मतलब पायो जावा यू हैं कि उ पहिले जमीन को नीचे वाली जगह म उतरियो रहा। 10 अर जे उतरियो, यू उईच आय जो आकास से भी ऊँचे पर चड़ियो, जसो उ सब कुछ पुरो कर दे। 11 ओ न कुछ ख प्रेरित नियुक्त कर ख, अर भविस्यवक्ता ठहरा ख अऊर कुछ ख सुसमाचार सुनान वाला ठहरा ख अर कोई ख अऊर कोई ख रखवालो अऊर उपदेस देन वाला ठहरा ख दे दियो, 12 असो तरीका से उनना सेवा को काम को लाने सुध्द इंसान हुन ख काबिल बनायो, जसो मसी को सरीर सुधार करो जाय, 13 जब तक कि हम सबरा का सबरा भरोसा अर परमेस्वर को पोरिया को ग्यान म एक नी हो जाय, अर मसी को हिसाब से परिपक्‍वता नी हो जाय अऊर अच्छा इंसान नी बन जाय। 14 एकोलाने हम आगे ख पोरिया पारी नी रहन ख जो अदमी हुन कि ठगन वाली बुध्दी अऊर चतुराई से, उनको ठग विद्या भ्रम कि युक्ति हुन को अर उपदेस को हर एक झोका से उछाला अऊर इते-उते घुमाया जावा हैं। 15 हम प्रेम पुरक सही म चलते रैय, अऊर मसी म सब प्रकार की बढ़ोत्तरी करते जाय। मसी ही कलेसीया को सिर आय, 16 अऊर जो से पुरो सरीर ख ताकत मिला हैं। तब सरीर अपनी हर एक जोड़ की मदत से एक संग मील ख अर एक संग गाँठ ख सभी जोड़ हुन कि मदत से अपनो सुधार होनो तक पहुँचा अऊर प्रेम से अपनो काम करा हैं।
मसी म नयो जीवन
17 एकोलाने मी तुम इंसान हुन से यू कहू हैं अर प्रभु को नाम म बिनती करू हैं कि तुम अब से दुसरी जात को जसो सुभाव मत करनो, बिन सार की बात हुन कि चिन्ता करा हैं। 18 काहेकि उनकी अकल पा पठ्टी बंधी हैं। वी अपनो बे ग्यान अऊर मन को ढ़िटपन को वजेसे परमेस्वर कि ओर से मिलन वालो जीवन की तरफ से फिर गया हैं। 19 अर वी पुरा भलो बन ख बुराई करनो म लग गया हैं कि सब तरीका का बुरा काम मन कि मर्जी से करते रैय।
20 पर तुम न मसी को असो ग्यान नी पायो। 21 वरन तुम न हकीगत म ओको ही बारे म सुनियो अऊर, वा सत्य को हिसाब से ग्यान हासिल करयो भी हैं जो यीसु को वजेसे उजागर भी भई हैं। 22 कि तुम पिछलो चाल चलन को पुरानी इंसानीयत ख जो बहकान वाली मन की मर्जी को हिसाब से भ्रस्ट होते जावा हैं, उतार डालनू। 23 अऊर तुम इंसान हुन पूरो मन से आत्मिक स्वभाव म नया बनते जाव, 24 अर एक नयो सुभाव धरे, जेका परमेस्वर न अपनो हिसाब से सिरजीयो हैं अऊर जे धार्मिकता अऊर सच्ची की सुध्दता म दिखई देवा हैं।
25 एको लाने झुट बोलनो छोड ख हर एक अपनो पड़ोस वालो से सही या सत्य बोले, काहेकि हम आपस म एक दुसरा का अंग आय। 26 घुस्सा तो करनु, पर पाप मत करनु; सूरज ढुबनु तक तुमारो घुस्सा नी रहनु चाहिये, 27 अर न सैतान ख अवसर देनु। 28 चोरी करन वालो फिर चोरी नी करन को, वरन भली बात को काम सुरू करनु म अपनो हात से मेहनत करे, एकोलाने कि जेको काम होए ओ ख देन ख ओको जोने कुछ होनू। 29 कोई बुरी बात तुमरो मुंडो से नी निकलनो चाहिये, पर जरूरत को हिसाब से वही निकले जो सुधार को लाने भली होय, ताकि ओसे सुनन वाला पर दया यू कृपा होय। 30 परमेस्वर कि सुध्द आत्मा ख मत दुखाव मत, जो से तुम पर छुटकारा को दिन को लाने मोहर लगायो रहा। 31 सब तरीका कि कड़वाहट, अर प्रकोप अऊर घुस्सा, अर कलह, अर बुराई, सब बैरभाव समेत तुम तुम से दुर करी जाय। 32 एक दुसरो पर भलाई अऊर दया करन वालो होय, अऊर जसो परमेस्वर न मसी म तुमरी गलती छमा करी, वसा ही तुम भी एक दुसरा कि गलती माप करो।