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बारा प्रेरित ख भेजो जानो
(मत्ती 10:5-15; मरकुस 6:7-13)
1 फिर ओ न बारा चेलो को बुलायो, अर उन्हे सब दुस्टात्मा अर जुड़यो का दुर करनु की सामर्थ्य अर अधिकार दियो, 2 अर उनना परमेस्वर का राज्य का प्रचार करन को लाने भेजो। 3 ओ न ओ से कय्हो, “रस्ता को लाने कुछ नी लेनो, नी ते लाठी, नी झोला, नी रोटी, नी पैसा अर नी दो-दो कुरता। 4 जे कोई घर म तुम उतरो, उते रहनो, अर उते से विदा लेनू। 5 जे कोई तुम ख ग्रहण नी करे, उ नगर से निकलते बखत हुयो अपन पाय की धुल झाड़ ड़ालनू कि उ पर विरोध गवाई हो।”
6 तब वी निकलकर गाँव-गाँव चोक्खो सुसमाचार सुनायो, अर हर लोगो का चंगो करत हुओ फिरत रहे।
हेरोदेस को उलझन म पड़नो
(मत्ती 14:1-12; मरकुस 6:14-29)
7 देस का चऊथाई राजा हेरोदेस यू सब सुन कर घबरा गयो, काहेकि कुछ न कय्हो कि यूहन्ना मरो हुओ म से जिन्दो भयो हैं, 8 अर कुछ न यू कि एलिय्याह दिखाई दियो हैं, अर ओरो न यू कि पुरानो भविस्यवक्ता हुन म से कोई जिन्दो हो गयो हैं। 9 परन्तु राजा हेरोदेस न कय्हो, “यूहन्ना का तो मी न सिर कटवा दियो हतो, अब यू कऊन हैं जे के बारे म ऐसो बात सुनत हूँ?” अर ओ ना ओ ख देखन की इच्छा करी।
पाँच हजार अदमी का खाना खिलानू
(मत्ती 14:13-21; मरकुस 6:30-44; यूहन्ना 6:1-14)
10 फिर प्रेरित हुन न लउटकर जे कुछ उन न कियो हता ओको बता दियो; अर वी उन्हे अलग कर ख बैतसैदा नाम को नगर म ले गयो। 11 यू जानकर भीड़ ओके पिछे हो ली, अर वी खुसी को संग ओसे मिलियो, अर ओमा परमेस्वर का राज्य की बात करन लगियो, अर जे चंगे होन चाहत हते वी चंगो कियो।
12 जब दिन ढ़लन लगियो तो बारहो चेलो न आकार ओसे कय्हो, “भीड़ का विदा कर कि चारो ओर का गाँव हुन अर बस्ती हुन म जाकर रुकनो अर खाना को उपाय करे, काहेकि हम यु सुनसान जगह म हैं।”
13 यीसु न उनसे कय्हो, “तुम ही उन ख खान ख देव।” उन्होना कय्हो, “हमारो पास पाँच रोटी अर दो मच्छी हुन ख छोड़ अर कई नी हैं; परन्तु हाँ यदि हम जाय ख इ सब लोगो को लाने खाना मोल लेहे, तो हो सकत हैं।” 14 वी लोग तो पाँच हजार अदमी का लगभग हता।
तब ओ ना अपन चेला से कय्हो, “उन ख पचास-पचास कर ख पंगत म लाइन से बैठा दो।”
15 उन्होना ऐसो ही कियो, अर सब का बैठा दियो। 16 तब ओ ना वी पाँच रोटियाँ अर दो मच्छी हुन ली, अर स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद कियो, अर तोड़-तोड़कर अपन चेला हुन का देतो गयो कि वी लोगो का परोसे। 17 तब सब न खाना खाकर संतुस्ट हुओ, अर चेलो न बचो हुए टुकड़ो से बारा टोकनी हुन भर का उठायो।
पतरस का यीसु को मसी स्वीकार करनु
(मत्ती 16:13-20; मरकुस 8:27-30)
18 जब वी एकान्त म प्रार्थना कर रह हता अर चेला ओको संग हता, तो ओ ना ओसे पुछियो, “लोग मो ख का कहत हैं?”
19 उन्होना जवाब दियो, “यूहन्ना पानी बपतिस्मा देना वालो, अर कोई एलिय्याह, अर कोई यू कि पुरानो भविस्यवक्ता म से कोई जिन्दो हुयो हैं।”
20 ओ ना उनसे पुछियो, “परन्तु तू मोखा का कहत हो?” पतरस न उत्तर दियो, “परमेस्वर का मसी।” 21 तब ओ ना उनका जता ख कय्हो कि यु कोई से नी कहनू।
अपन मृत्यु का विसय यीसु की भविस्यव्दाणी
(मत्ती 16:21-23; मरकुस 8:31-33)
22 फिर ओ ना कय्हो, “इंसान को पोरिया को लाने अवस्य हैं कि वी बेजा दुख उठाए, अर सियाना अर प्रधान पुजारी अर सासतिरी ओखा बेकार (तुच्छ) समझ कर मार डाले अर वी तीसरो दिन जिन्दो हो जाए।”
यीसु का पिछु चलनू का मतलब
(मत्ती 16:24-28; मरकुस 8:34—9:1)
23 ओ ना सब से कय्हो, “यदि कोई मोरो पिछु आनो चाह, तो अपना तुम से इंकार करे अर रोज दिन अपनो सूली उठाए हुओ मोरो पिछे हो ले। 24 काहेकि जो कोई अपन प्रायन बचानो चाहेगो वी ओ ख खोएगो, परन्तु जे कोई मोरो लियो अपन प्रायन खोएगो वही ओ ख बचाएगो। 25 अदि इंसान पुरो दुनिया ख प्राप्त करे अर अपन जान ख कोई भी हानि उठाए, तो ओ ख का फायदा होगो? 26 अऊर जे कोई भी, मो ख से अऊर मोरी बात हुन से सर्म होऐ, इंसान को पोरिया ख भी, जब अपनी अऊर अपनो बाप कि अऊर सुध्द स्वर्ग दूत हुन कि बड़ाई संग म आहे, ते ओ ख लज्जित जाहे। 27 मी तो से सच कहू हूँ कि जे यहाँ खड़ो हैं, ओमा से कुछ ऐसो हैं कि जब तक परमेस्वर का राज्य नी देख ले, तब तक मरन का स्वाद नी चखे।”
यीसु का रुपान्तर
(मत्ती 17:1-8; मरकुस 9:2-8)
28 इन बात का कोई आठ दिन का बाद वी पतरस, यूहन्ना अर याकूब का संग लेकर प्रार्थना करन का लियो पहाड़ पर गयो। 29 जब उ प्रार्थना कर ही रयो हता, ते ओको चेहरा का रूप बदल गयो, अऊर ओको कपड़ा सफेद हो ख चमकन लग गयो। 30 अर देखो मूसा अर एलिय्याह, ये दो व्यक्ति ओको संग बाते कर रह हते। 31 ये महिमा सहित दिखायो दियो अर ओके मरनो की चर्चा कर रहे हतो, जे यरूसलेम म पूरो होन वालो हतो। 32 पतरस अर ओके संगी नींद से भरियो हते, ते ओकी महिमा अर दो अदमी को, जे ओको संग म खड़ो हतो, देखो। 33 जब वी ओको पास से जानो लगियो तो पतरस न यीसु से कय्हो, “हे स्वामी, हमारो यहाँ रहन भलो हैं: अत: हम तीन मण्डा बनाए, एक तोरो लाने, एक मूसा का लाने अर एक एलिय्याह का लाने।” वी जानत नी हता कि वी का कह रहे हैं।
34 वी यू कह ही रहे हतो कि एक बादल न आकार उन्हे छा लियो, अर जब वी उ घिरनो लगी हो ते डर गयो। 35 ते उ बादल म से यू आवाज सुनाई दियो, “यू मोरो पोरिया अऊर मोरो चुनो हुओ हैं, ऐकी बात सुनो।”
36 अऊर यू जोर से आवाज होत ही यीसु अकेलो पायो गयो; अऊर उ चुप रयो, अऊर जे कुछ देखो हतो ओकी कोई भी बात उन दिन हुन म किसी से नी कय्हो।
बुरी आत्मा से जकड़ियो पोरिया ख अच्छो करनो
(मत्ती 17:14-18; मरकुस 9:14-27)
37 दुसरो दिन जब वी पहाड़ से उतरियो तो एक बड़ी भीड़ ओ से आ मिलीयो। 38 अर देखियो, भीड़ म से एक अदमी न पुकार ख कय्हो, “अरे गुरू जी, मी तो से विनती करत हूँ कि मोरो पोरिया दया ओ म पर कर: काहेकि उ मोरो एक ही पोरिया आय। 39 अर देख, एक बुरी आत्मा ओ ख पकड़त हैं, अर वी एकाएक चिल्लो उठत हैं; अर उ ओ ख ऐसो मरोड़त हैं कि वी मुँह म फेस भर लात हैं; अर ओ ख कुचल ख मूसकिल से छोड़त हैं। 40 मी न तोरा चेला से ओ से निकाल न कि निवेदन करी, पर वी असा न कर सका।”
41 यीसु न उत्तर दियो, “अरे अविस्वासी अर कपटी लोग, मी कब तक तुम्हारो संग म सहूँगो? अपन पोरिया का यहाँ ले आ”
42 वी आ ही हतो कि दुस्टात्मा न ओ ख पटक ख मरोड़ियो, पर यीसु न असुध्द आत्मा ख डांटियो अर पोरिया का चोक्खो कर ख ओके बाप का सोप दियो। 43 ते सब लोग परमेस्वर का महा सामर्थ्य से चकित हुओ।
अपन मृत्यु का बारे यीसु को दोबरा बार भविस्यवानी
(मत्ती 17:22,23; मरकुस 9:30-32)
परन्तु जब सब लोग उ सब काम हुन से जे उ कर हतो, अचम्भा हते, ते ओ ना अपना चेला हुन से कहयो, 44 “तुम इन लोग हुन से कान लगा ख यी आवाज सुनो इंसान को पोरिया इंसान हुन को हात से पकड़यो जान वालो हैं।” 45 परन्तु या बात का नी समझ म हते, अर यू ओसे छिप रह कि वी ओ ख जानन नी पाएँ; अर वी इ बात का विसय म ओसे पूछन से डर रह।
सबसे बड़ो कोन?
(मत्ती 18:1-5; मरकुस 9:33-37)
46 फिर ओमा यू झगड़ा होन लगियो कि हम म से बड़ो कऊन हैं। 47 पर यीसु न ओ ख मन ख विचार जान लियो, अर एक पोरिया का लेकर अपन पास खड़ो कियो, 48 अर ओसे कहयो, “जे कोई मोरो नाम से इ बालक पोरिया ख ग्रहण करत हैं, उ मोखा ग्रहण करता हैं, उ मोरो भेजन वाला का भी ग्रहण करत हैं, काहेकि जे तुम म से सब छोटो से छोटो हैं, वही बड़ो हैं।”
जे विरोध म नी वी पक्छ म हैं
(मरकुस 9:38-40)
49 अऊर ते यूहन्ना न कहयो, “हे गुरू जी, हम न एक अदमी का तोरो नाम से दुस्टात्मा ओखा निकालत देखो, अर हम न ओ ख मना कियो, काहेकि उ हमारो संग होकर तोरो पिछु नी हो लेता।”
50 यीसु न ओसे कहयो, “ओखा मना नी कर; काहेकि जे तुम्हारो खिलाफ म नी, वी तुम्हारो ओर हैं।”
सामरियो व्दारा यीसु को खिलाप म
51 जब ओको ऊपर उठन जानो का दिन पुरो होन पर हते, तो ओ ना यरूसलेम जान का विचार पक्का कियो। 52 ओ ना अपन आगु दुत भजो। वी सामरी हुन का एक गाँव म गयो कि ओके लियो जगह तैयार करे। 53 परन्तु उ लोग न ओखा उतरन नी दियो, काहेकि वी यरूसलेम जा रयो हतो। 54 यु देखकर ओके चेला याकूब अर यूहन्ना न कहयो, “हे प्रभु, का तू चाहत हैं कि हम आग्या दे हे, आकास से आगी गिरकर उनका जला दे हे?”
55 पर ओ ना मुड़कर उनखा डाँटियो अर, कहयो, “तुम नी जानत कि तुम कसी आत्मा का हैं। काहेकि अदमी को पोरिया लोगो का प्रायन का नास करन न वरन् बचान को लियो आयो हैं।” 56 अर वी किसी दुसरो गाँव म चलो गयो।
यीसु का चेलो बनन का मूल्य
57 जब वी रस्ता म जा रह हते, ते किसी न ओसे कहयो, “जहाँ-जहाँ तू जाहे, मी तोरो पिछु ही रहूंगो।”
58 यीसु न ओसे कहयो, “लोमड़ी हुन ख लाने गुफा अर आकास का पक्छी हुन ख गुड्डा हुन हैं, पर इंसान को पोरिया ख लाने मुंडी लुकान की भी जगह नी आय।”
59 ओ ना दुसरो से कहयो, “मोरो पिछु हो ले” ओ ना कहयो, “हे प्रभु, मोखा पहले जान दे कि मी अपन बाप ख गाड़ दूँ।”
60 अऊर यीसु न ओ से कय्हो, “मुर्दा हुन ख अपनो मुर्दा गाड़न दे। अऊर तुम जा ख परमेस्वर को राज्य को प्रचार कर।”
61 एक अर न भी कहयो, “हे प्रभु, मी तोरो पिछे हो लूगो; पर पहलो मोखा जानू दे कि अपन घर का लोगो से विदा ले आऊ।”
62 यीसु न ओ से कय्हो, “जे कोई अपन हात हल पर रखकर पिछु देखत हैं, वी परमेस्वर का राज्य का योग्य नी।”