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लबरा गुरूमन अऊ ओमन के बिनास
पर मनखेमन के बीच म लबरा अगमजानीमन घलो रिहिन अऊ ओही किसम ले तुम्हर बीच म लबरा गुरूमन होहीं। ओमन गुपत रूप ले बिनासकारी लबारी सिकछा ला तुम्हर बीच म लानहीं, अऊ त अऊ ओमन परमपरधान परभू के इनकार करहीं, जऊन ह ओमन ला बिसाय हवय अऊ ये किसम ले ओमन अपन ऊपर अचानक बिनास लानहीं। बहुंते झन ओमन के खराप जिनगी के नकल करहीं, अऊ ओमन के कारन, सत के रसता के अनादर होही। अपन लालच म, ये गुरूमन अपन खुद के बनाय कथा-कहानी के दुवारा तुम्हर ले फायदा उठाहीं। ओमन के दंड के फैसला बहुंत पहिली हो चुके हवय, अऊ ओमन के बिनास जरूर होही।
जब परमेसर ह ओ स्वरगदूतमन ला नइं छोंड़िस, जऊन मन पाप करे रिहिन, पर ओमन ला अंधियार के बंधना म रखके नरक पठो दीस, ताकि ओमन नियाय बर उहां बंदी रहंय। जब परमेसर ह पहिली जुग के संसार ला नइं छोंड़िस, जब ओह जल-परलय ले भक्तिहीन मनखेमन ला नास करिस, पर ओह धरमीपन के परचारक—नूह अऊ सात झन आने मनखेमन ला बचाईस; अऊ जब सजा के रूप म, परमेसर ह सदोम अऊ अमोरा सहरमन ला जलाके राख कर दीस, अऊ येला एक नमूना के रूप म रखिस—ये देखाय बर कि भक्तिहीन मनखेमन के का होवइया हवय; अऊ जब ओह धरमी मनखे लूत ला बचाईस, जऊन ह दुस्ट मनखेमन के खराप चालचलन के कारन बहुंत दुखी रिहिस (काबरकि ओ धरमी जन ह ओमन के बीच म रहत रिहिस अऊ ओमन के अधरम के काम ला देखके अऊ सुनके दिन ब दिन, अपन मन म पीरा के अनुभव करत रिहिस)— जब अइसने बात ए, तब परभू ह जानथे कि धरमी मनखेमन ला परिछा म ले कइसने निकालथें अऊ अधरमीमन ला कइसने सजा देवत नियाय के दिन बर रखथें। 10 येह खास करके, ओमन बर सही ए, जऊन मन अपन पापमय सुभाव के खराप ईछा के मुताबिक चलथें अऊ अधिकारीमन ला तुछ समझथें।
ये मनखेमन हिम्मती अऊ ढीठ अंय अऊ ओमन स्वरगीय जीवमन के बदनामी करे बर नइं डरंय; 11 जबकि स्वरगदूत, जऊन मन जादा बलवान अऊ सक्तिसाली अंय, परभू के आघू म अइसने जीवमन के बिरोध म बदनामी के दोस नइं लगावंय। 12 पर ये मनखेमन ओ बात के बदनामी करथें, जेला येमन समझंय नइं। येमन जंगली पसुमन सहीं बिगर बुद्धि के जीव अंय, जऊन मन कि सिरिप पकड़े जाय बर अऊ नास होय बर जनमे हवंय, अऊ ओमन पसु के सहीं नास घलो होहीं।
13 जऊन हानि येमन करे हवंय, ओकर परतिफल येमन ला मिलही। दिन-मंझनियां म खा-पीके मऊज करई, येमन ला बने लगथे। येमन कलंकित अऊ दूसित अंय अऊ जब येमन तुम्हर संग जेवनार करथें, त अपन खुसी म मऊज-मस्ती करथें। 14 येमन के आंखीमन छिनारीपन ले भरे हवंय; येमन पाप करई कभू बंद नइं करंय; येमन चंचल मनखेमन ला बहका लेथें; येमन के हिरदय ह लालच म महारथ हासिल करे हवय; येमन परमेसर दुवारा सरापित अंय। 15 येमन सही रसता ला छोंड़ दे हवंय अऊ भटकके येमन बओर के बेटा बिलाम के रसता म हो ले हवंय, जऊन ह गलत काम के बनी ला पसंद करिस। 16 पर ओला ओकर गलत काम बर एक गदही ह दबकारिस। गदही जऊन ह एक पसु अय अऊ गोठियाय नइं सकय, पर ओ गदही ह मनखे के अवाज म गोठियाईस अऊ ओ अगमजानी के बईहापन ला रोकिस।
17 ये मनखेमन बिगर पानी के सोता अऊ गरेर ले उड़ाय गय बादर अंय। घोर अंधियार ह येमन बर रखे गे हवय। 18 काबरकि येमन जुच्छा अऊ घमंड ले भरे बात करथें अऊ अपन पापी सुभाव के छिनारी ईछा के दुवारा ओ मनखेमन ला फंसाथें, जऊन मन गलत काम करइयामन के संगति ला मुसकिल ले छोंड़के आय हवंय। 19 येमन ओमन ले सुतंतरता के वायदा करथें, जबकि येमन खुद भ्रस्ट जिनगी के गुलाम अंय, काबरकि जऊन चीज ह मनखे ऊपर काबू पा लेथे, मनखे ह ओ चीज के गुलाम हो जाथे। 20 कहूं ओमन हमर परभू अऊ उद्धार करइया यीसू मसीह ला जाने के दुवारा संसार के असुधता ले बच गे हवंय, पर ओमन फेर ओमा फंसके ओकर बस म हो जाथें, त ओमन के दसा ह आखिरी म, ओमन के सुरू के दसा ले घलो अऊ खराप हो जाही। 21 ओमन बर बने होतिस कि ओमन धरमीपन के रसता ला नइं जाने रहितिन, एकर बदले कि ओला जाने के बाद, पबितर हुकूम के पालन नइं करई, जऊन ह ओमन ला दिये गे रिहिस। 22 ओमन बर ये कहावत सही बईठथे: “कुकुर ह अपन उछरे चीज ला खाय बर फेर लहुंटके आथे,”*नीति 26:11 अऊ “नहलाय-धूलाय माई सूरा ह चीखला म लोटे बर फेर चले जाथे।”

*2:22 नीति 26:11