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मेंह एक आने खराप बात धरती म देखे हंव, अऊ येह मानव-जाति ऊपर बहुंत परभाव डालथे: परमेसर ह कुछू मनखे ला धन-संपत्ति, अधिकार अऊ आदर देथे, जेकर कारन ओकर करा ओकर मनचाहे चीजमन रहिथें, पर परमेसर ह ओमन ला ओ चीजमन के आनंद उठाय के योग्यता नइं देवय, अऊ अजनबीमन ओ चीजमन के आनंद उठाथें। येह बेकार ए, एक बहुंत खराप बात ए।
एक मनखे के एक सौ लइका हो सकथें अऊ ओह बहुंत साल तक जी सकथे; चाहे ओह कतको साल जी ले, कहूं ओह अपन धन-संपत्ति के आनंद नइं उठा सकय अऊ मरे के बाद ओला सही ढंग ले माटी नइं मिलय, त मेंह कहिथंव कि एक मरे हुए जनमे लइका ह ओ मनखे ले बेहतर ए, ओह बेकार म आथे, ओह अंधियार म चले जाथे, अऊ अंधियार म ओकर नांव छिप जाथे। हालाकि ओह सूरज ला कभू नइं देखिस या कुछू भी चीज ला नइं जानिस, तभो ले ओला ओ मनखे ले जादा अराम मिलिस— अऊ त अऊ यदि ओ मनखे ह दू बार ले एक-एक हजार साल जीयय, पर अपन धन-संपत्ति के मजा नइं लेवय। का जम्मो झन एक ही जगह म नइं जावंय?
मनखे के जम्मो मेहनत ओकर जेवन बर होथे,
पर ओकर मन ह कभू नइं भरय।
बुद्धिमान ह कोन बात म मुरूख ले बढ़के अय?
गरीब ला ये जानके का मिलथे
कि ओला दूसरमन के आघू म कइसे बरताव करना चाही?
जऊन चीज ला आंखी ह देखथे,
ओह मन के एती-ओती भटकई ले बेहतर अय।
येह घलो बेकार ए,
हवा के पाछू भगई ए।
 
10 जऊन ह पहिले से हवय, ओकर नांव रखे जा चुके हवय,
अऊ ये पता चल चुके हवय कि मनखे ह का सुभाव के अय;
कोनो भी अपन ले जादा सक्तिसाली मनखे ले
लड़ई नइं कर सकय।
11 जहां जादा बात होथे
उहां मतलब कम निकलथे,
अऊ ओकर ले कोनो ला का फायदा होथे?
12 काबरकि मनखे के जिनगी के ये थोरकन अऊ बेकार दिन, जऊन ह एक छइहां के सहीं निकल जाथे, कोन ह जानथे कि मनखे बर ये जिनगी म का ह बने ए? ओला कोन ह बता सकथे कि संसार ले ओकर जाय के बाद धरती म का होही?