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यरूसलेम, एक बेकार अंगूर के नार के रूप म
1 यहोवा के ये बचन मोर मेर आईस: 2 “हे मनखे के बेटा, कोनो अंगूर के नार के लकरी अऊ जंगल के रूखमन के कोनो लकरी म का फरक होथे? 3 का कोनो उपयोगी चीज बनाय बर अंगूर के नार के लकरी लेय जाथे? का कोनो चीज ला टांगे बर ओमा ले खूंटी बनाय जाथे? 4 अऊ जब येला जलाय बर आगी म डारे जाथे अऊ येकर दूनों छोर आगी म जर जाथें, अऊ बीच के भाग ह झुरा जाथे, तब का कोनो काम म ओकर उपयोग होथे? 5 जब येह सइघो रिहिस, तब येह कोनो काम के नइं रिहिस, त जब येह आगी म जर गीस अऊ झुरा गीस, त फेर येकर का उपयोग हो सकथे?
6 “एकरसेति परमपरधान यहोवा ह ये कहत हे: जइसने जंगल के रूखमन म ले मेंह अंगूर के नार के लकरी ला आगी बर ईंधन के रूप म देय हंव, वइसने ही मेंह यरूसलेम म रहइया मनखेमन के संग बरताव करहूं। 7 मेंह अपन मुहूं ओमन के बिरूध करहूं। हालाकि ओमन आगी म ले निकल आय हवंय, तभो ले आगी ही ओमन ला जलाके नास कर दीही। अऊ जब मेंह अपन मुहूं ओमन के बिरूध करहूं, तब तुमन जानहू कि मेंह यहोवा अंव। 8 मेंह देस ला उजाड़ दूहूं, काबरकि ओमन बिसवासघात करे हवंय, परमपरधान यहोवा ह घोसना करत हे।”