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यूसुफ के भाईमन के मिसर देस जवई
1 जब याकूब ला पता चलिस कि मिसर देस म अनाज हवय, त ओह अपन बेटामन ला कहिस, “तुमन काबर सिरिप एक-दूसर ला देखत हवव?” 2 फेर ओह कहिस, “मेंह सुने हंव कि मिसर म अनाज हवय। तुमन उहां जावव अऊ हमर बर कुछू अनाज बिसाके लानव, ताकि हमन झन मरन, पर जीयत रहन।”
3 तब यूसुफ के दस भाईमन अनाज बिसाय बर मिसर गीन। 4 पर याकूब ह यूसुफ के भाई बिनयामीन ला ओमन के संग नइं पठोईस, काबरकि ओह डरात रिहिस कि बिनयामीन ऊपर बिपत्ति आ सकत हे। 5 ये किसम ले जऊन मन अनाज बिसाय बर गीन, ओमन म इसरायल के बेटामन घलो गीन, काबरकि कनान देस म घलो अकाल परे रिहिस।
6 यूसुफ ह मिसर देस के राजपाल रिहिस, अऊ ओह ओ देस के जम्मो झन ला अनाज बेचत रिहिस। एकरसेति जब यूसुफ के भाईमन आईन, त ओमन भुइयां म मुहूं के भार गिरके ओला दंडवत करिन। 7 यूसुफ ह अपन भाईमन ला देखत ही ओमन ला चिन डारिस, पर ओह अनजान बने रिहिस अऊ ओमन ले कड़ई से पुछिस, “तुमन कहां ले आय हव?”
ओमन कहिन, “हमन कनान देस ले अनाज बिसाय बर आय हन।”
8 हालाकि यूसुफ अपन भाईमन ला चिन डारिस, पर ओमन ओला नइं चिन्हिन। 9 तब ओह ओमन के बारे म देखे अपन सपना ला सुरता करिस अऊ ओमन ला कहे लगिस, “तुमन भेदिया अव! तुमन ये देखे बर आय हव कि हमर देस म कते करा पहरेदारी नइं होवत हे।”
10 ओमन जबाब दीन, “नइं, नइं, हे हमर मालिक, तोर सेवकमन भोजन-बस्तु बिसाय बर आय हवंय। 11 हमन जम्मो झन एके मनखे के बेटा अन। तोर सेवकमन ईमानदार मनखे अंय, भेदिया नो हंय।”
12 ओह ओमन ला कहिस, “नइं! तुमन ये देखे बर आय हव कि हमर देस म कते करा पहरेदारी नइं होवत हे।”
13 पर ओमन कहिन, “तोर सेवकमन बारह भाई रिहिन, अऊ जम्मो झन कनान देस म रहइया एके मनखे के बेटा अंय। सबले छोटे ह अभी हमर ददा करा हवय, अऊ एक झन ह काल कर डारिस।”
14 यूसुफ ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला कह डारे हंव कि तुमन भेदिया अव! 15 अऊ तुम्हर ये किसम ले जांच होही: फिरौन के जिनगी के कसम, जब तक तुम्हर छोटे भाई ह इहां नइं आ जाही, तुमन इहां ले नइं जा सकव। 16 तुमन अपन म ले एक झन ला पठोवव कि ओह तुम्हर भाई ला लेके आवय; बाकि तुमन इहां कैद म रहिहू, ये किसम ले तुम्हर बात ह परखे जाही कि तुमन सच कहत हव कि नइं। यदि तुम्हर बात ह सच नइं होही, त फिरौन के जिनगी के कसम, तुमन सच म भेदिया अव!” 17 अऊ ओह ओमन ला तीन दिन तक कैद म रखिस।
18 तीसर दिन यूसुफ ह ओमन ला कहिस, “एक काम करव, त जीयत रहिहू, काबरकि में परमेसर के भय मानथंव: 19 यदि तुमन ईमानदार मनखे अव, त तुम्हर भाईमन ले एक झन इहां जेलखाना म रूके, अऊ बाकि झन अपन परिवार के मनखेमन के भूख मिटाय बर अनाज ले जावव। 20 पर तुमन अपन सबले छोटे भाई ला मोर करा ले आवव, ताकि तुम्हर बात ला सच साबित करे जा सकय, अऊ तुमन झन मारे जावव।” तब ओमन वइसनेच करिन।
21 ओमन एक-दूसर ला कहिन, “सच म, हमन अपन भाई के कारन दंड पावत हन। हमन देखे रहेंन कि ओह कतेक दुखी रिहिस, जब ओह हमर ले अपन जिनगी बर बिनती करत रिहिस, पर हमन नइं सुनेंन; एकरसेति ये बिपत ह हमर ऊपर परे हवय।”
22 रूबेन ह कहिस, “का में तुमन ला नइं कहे रहेंव कि छोकरा के बिरूध म पाप झन करव? पर तुमन नइं सुनेव! अब हमन ला ओकर लहू के हिसाब देना पड़ही।” 23 ओमन नइं जानत रिहिन कि यूसुफ ह ओमन के बात ला समझत हवय, काबरकि ओमन के संग गोठियाय बर यूसुफ ह एक दुभासिया के उपयोग करत रिहिस।
24 तब ओह ओमन करा ले हट गीस अऊ रोये लगिस, पर ओह फेर वापिस आईस अऊ ओमन ले फेर बात करिस। ओह ओमन ले सिमोन ला लीस अऊ ओमन के आघू म ओला बांधके कैदी बना लीस।
25 तब यूसुफ ह हुकूम दीस कि ओमन के बोरामन ला अनाज ले भर देवव अऊ हर एक झन के बोरा म ओकर रूपिया ला घलो रख देवव, अऊ रसता बर ओमन ला भोजन-पानी दे देवव। ओमन बर अइसने ही करे गीस। 26 तब ओमन अपन गदहामन ऊपर अनाज लादके उहां ले चल दीन।
27 रसता म ओमन एक जगह रात बिताय बर रूकिन, त ओमन के एक झन ह अपन गदहा ला चारा देय बर अपन बोरा ला खोलिस, त ओह देखिस कि ओकर रूपिया ह अनाज के ऊपर म रहय। 28 तब ओह अपन भाईमन ला कहिस, “मोर रूपिया तो लहुंटा दे गे हवय; देखव, येह मोर बोरा म हवय।”
तब ओमन के जी म जी नइं रिहिस अऊ ओमन डर के मारे एक-दूसर कोति देखके कांपे लगिन अऊ कहिन, “परमेसर ह हमर संग ये का करे हवय?”
29 जब ओमन कनान देस म अपन ददा याकूब करा आईन, त जऊन कुछू ओमन के संग होय रिहिस, ओ जम्मो बात ओला बताईन। ओमन कहिन, 30 “जऊन मनखे ह ओ देस के हाकिम अय, ओह हमन ले बहुंत कड़ई से बात करिस अऊ हमर ले अइसन बरताव करिस, जइसन कि हमन ओकर देस के भेद लेवत रहेंन। 31 पर हमन ओला कहेंन, ‘हमन ईमानदार मनखे अन; हमन भेदिया नो हन। 32 हमन बारह भाई, जम्मो एके ददा के बेटा अन। एक भाई ह काल कर डारिस, अऊ सबले छोटे ह अभी कनान देस म हमर ददा करा हवय।’
33 “तब ओ मनखे, जऊन ह ओ देस के हाकिम अय, हमन ला कहिस, ‘ये किसम ले मोला मालूम हो जाही कि तुमन ईमानदार मनखे अव कि नइं: तुमन अपन म ले एक भाई ला मोर करा छोंड़ जावव, अऊ अपन परिवार के मनखेमन के भूख मिटाय बर भोजन-बस्तु लेके जावव। 34 पर अपन छोटे भाई ला मोर करा लेके आवव, तब मेंह जानहूं कि तुमन भेदिया नइं, पर ईमानदार मनखे अव। तब में तुम्हर भाई तुमन ला सऊंप दूहूं, अऊ तुमन ये देस म लेन-देन कर सकहू।’ ”
35 जब ओमन अपन-अपन बोरा म ले अनाज निकाले लगिन, त देखिन कि हर एक के रूपिया के थैली ओकर बोरा म हवय! जब ओमन अऊ ओमन के ददा ह रूपिया के थैलीमन ला देखिन, त ओमन बहुंत डरा गीन। 36 तब ओमन के ददा याकूब ह ओमन ला कहिस, “तुमन मोर ले मोर लइकामन ला छीन ले हव। यूसुफ तो नइं ए अऊ सिमोन घलो नइं ए, अऊ अब तुमन बिनयामीन ला घलो ले जाय चाहत हव। ये जम्मो बिपत्ति मोर ऊपर आ गे हवय।”
37 तब रूबेन ह अपन ददा ला कहिस, “यदि में ओला तोर करा वापिस नइं लानहूं, त तें मोर दूनों बेटा ला मार डारबे। तें ओला मोर हांथ म सऊंप दे, अऊ में ओला वापिस लेके आहूं।”
38 पर याकूब ह कहिस, “मोर बेटा ह तोर संग उहां नइं जावय; ओकर भाई ह मर चुके हे अऊ ओह एके झन बांचे हवय। जिहां तुमन जावत हव, यदि डहार म ओकर ऊपर कोनो बिपत पड़थे, त तुमन के कारन, मेंह ये बुढ़ापा म दुख म मर जाहूं।”