इबरीमन
के नांव के चिट्ठी
1
परमेसर के आखिरी बचन: ओकर बेटा
पहिली जमाना म, परमेसर ह हमर पुरखामन ले, कतको बार अऊ कतको किसम ले अगमजानीमन के दुवारा गोठियाईस, पर ये आखिरी दिन म, ओह हमर ले अपन बेटा के दुवारा गोठियाईस, जऊन ला ओह जम्मो चीज के ऊपर वारिस ठहिराईस अऊ ओकरे दुवारा, ओह संसार ला बनाईस। बेटा ही परमेसर के महिमा के अंजोर ए अऊ ओह परमेसर के रूप के एकदम सही परतिनिधि ए अऊ ओह अपन सामर्थी बचन के दुवारा जम्मो चीजमन ला संभालके रखथे। ओह मनखेमन के पाप ला सुध करे के बाद, स्वरग म महामहिम परमेसर के जेवनी हांथ कोति जा बईठिस। एकरसेति ओह स्वरगदूतमन ले जादा उत्तम ठहिरिस, जइसने कि परमेसर ह ओला स्वरगदूतमन ले उत्तम नांव घलो दे रिहिस।
बेटा ह स्वरगदूतमन ले उत्तम ए
काबरकि परमेसर ह कोनो स्वरगदूत ला कभू ये नइं कहिस,
“तेंह मोर बेटा अस;
आज मेंह तोर ददा बन गे हवंव।”*भजन 2:7
या फेर ये नइं कहिस,
“मेंह ओकर ददा होहूं,
अऊ ओह मोर बेटा होही।”2 समू 7:14; 1 इति 17:13
पर जब परमेसर ह अपन पहिलांत बेटा ला संसार म लानथे, त कहिथे,
“परमेसर के जम्मो स्वरगदूतमन ओकर अराधना करंय।”
स्वरगदूतमन के बारे म परमेसर ह ये कहिथे,
“परमेसर ह अपन स्वरगदूतमन ला आतमा,
अऊ अपन सेवकमन ला आगी के जुवाला बनाथे।”भजन 104:4
पर बेटा के बारे म ओह कहिथे,
“हे परमेसर, तोर सिंघासन ह सदाकाल तक बने रहिही,
अऊ धरमीपन के राजदंड ह तोर राज के राजदंड होही।
तेंह धरमीपन ले मया करय अऊ दुस्टता ले घिन करय;
एकरसेति, परमेसर, तोर परमेसर ह
आनंद के तेल ले तोर अभिसेक करे के दुवारा तोला तोर संगीमन ले ऊपर करे हवय।”§भजन 45:6, 7
10 ओह ये घलो कहिथे,
“हे परभू, सुरूआत म, तेंह धरती के नीव रखे,
अऊ अकास ह तोर हांथ के दुवारा बनाय गे हवय।
11 ओमन तो नास हो जाहीं, पर तेंह बने रहिबे;
ओमन जम्मो, पहिरे के कपड़ा सहीं जुन्ना हो जाहीं।
12 तेंह ओमन ला चादर सहीं घरियाबे;
कपड़ा के सहीं ओमन बदल दिये जाहीं।
पर तेंह वइसनेच के वइसने रहिथस,
अऊ तोर समय ह कभू अन्त नइं होवय।”*भजन 102:25‑27
13 परमेसर ह कभू कोनो स्वरगदूत ला ये नइं कहिस,
“मोर जेवनी हांथ कोति बईठ,
जब तक कि मेंह तोर बईरीमन ला
तोर गोड़ रखे के चउकी नइं बना देवंव।”भजन 110:1
14 का जम्मो स्वरगदूतमन सेवा करइया आतमा नो हंय? हव, ओमन अंय। अऊ ये स्वरगदूतमन ओमन के सेवा करे खातिर पठोय जाथें, जऊन मन उद्धार पाहीं।

*1:5 भजन 2:7

1:5 2 समू 7:14; 1 इति 17:13

1:7 भजन 104:4

§1:9 भजन 45:6, 7

*1:12 भजन 102:25‑27

1:13 भजन 110:1