16
1 भेंट के रूप म मेढ़ा-पीलामन ला
देस के सासन करइया करा भेजव,
बंजर भुइयां के ओ पार, ओमन ला सेला नगर ले
बेटी सियोन के पहाड़ ऊपर भेजव।
2 जइसन डेना फड़फड़ावत चिरई पीला ला उड़े बर खोंधरा ले धकेले जाथे,
वइसन मोआब के माईलोगनमन के दसा अरनोन नदी के घाट म हो गे हवय।
3 मोआब ह कहिथे, “अपन मन ला तियार करव,
एक निरनय लेवव।
भरे मंझनियां के बेरा
अपन-अपन छइहां ला रात सहीं करव।
घर ले निकाले गय मनखेमन ला छुपा देवव,
सरन लेवइयामन ला झन पकड़वावव।
4 भागके आय मोआबीमन ला अपन संग रहन दव;
नास करइयामन ले ओमन ला बचावव।”
अतियाचार करइया के अन्त हो जाही,
अऊ बिनास ह रूक जाही;
देस म अंधेर करइया ह नास हो जाही।
5 मया के संग एक सिंघासन ला स्थापित करे जाही;
अऊ दाऊद के घराना*इबरानी म तम्बू ले एक झन
बिसवासयोग्यता के संग ओमा बईठही—
एक अइसन जन, जऊन ह नियाय करत बेरा सच्चई ला देखथे
अऊ धरमीपन के मामला ला तेजी से निपटाथे।
6 हमन मोआब के घमंड के बारे म सुने हवन—
ओह अति घमंडी अय!—
ओकर अभिमान अऊ घमंड अऊ ओकर अहंकार;
पर ओकर डींग मरई ह बेकार अय।
7 एकरसेति मोआबीमन बिलाप करथें,
ओमन एक संग मोआब बर बिलाप करथें।
कीर-हरेसेत सहर के किसमिस के केक बर
बिलाप करव अऊ दुख मनावव।
8 हेसबोन के खेत अऊ सिबमा नगर के
अंगूर के नारमन मुरझा गे हवंय।
जाति-जाति के सासन करइयामन
उत्तम-उत्तम नारमन ला कुचर डारे हवंय,
ये नारमन एक समय याजेर नगर तक पहुंचत रिहिन
अऊ मरू-भुइयां कोति बगरत रिहिन।
ओमन के नार बगरके
समुंदर†संभवतः मिरतू सागर तक चले जावत रिहिन।
9 एकरसेति सिबमा के अंगूर के नार बर
मेंह वइसने रोथंव, जइसने याजेर ह रोथे।
हे हेसबोन अऊ एलाले,
मेंह तुमन ला अपन आंसू ले भिगो दूहूं!
तुम्हर पाके फरमन अऊ अनाज के कटई के बेरा, खुसी के
जऊन ललकार होथे, ओह थम गे हवय।
10 फरवाले बारीमन ले आनंद अऊ खुसी ला ले लिये गे हवय;
अंगूर के बारीमन म कोनो न तो गीत गावंय, अऊ न ही खुसी ले चिचियावंय;
अऊ अंगूर के रसकुंडमन म कोनो अंगूर नइं खुंदय,
काबरकि मेंह ओमन के खुसी के मारे चिचियाई ला खतम कर दे हंव।
11 मोर मन ह मोआब बर अऊ मोर अंतर मन ह
कीर-हरेसेत बर बीना के सहीं बिलाप करत हे।
12 जब मोआब ह अपन ऊंचहा जगह म जाथे,
त ओह सिरिप अपनआप ला थकाय बर जाथे;
अऊ जब ओह पराथना करे बर अपन देव-स्थल म जाथे,
त ओला कुछू फायदा नइं होवय।
13 येह यहोवा के ओ बचन अय, जेला ओह पहिली ले ही मोआब के बारे म कहे रिहिस। 14 पर अब यहोवा ह कहिथे: “ठेका म लिये गय एक सेवक के गनती के मुताबिक, तीन बछर के भीतर मोआब के वैभव अऊ ओकर बहुंते मनखेमन तुछ समझे जाहीं, अऊ ओकर बांचे मनखेमन बहुंत कम अऊ कमजोर हो जाहीं।”