25
परमेसर बर इस्तुति गीत
1 हे यहोवा, तें मोर परमेसर अस;
मेंह तोर महिमा करत तोला ऊपर उठाहूं अऊ तोर नांव के परसंसा करहूं,
काबरकि पूरा बिसवासयोग्यता म
तेंह अद्भूत काम करे हस,
ओ काम जेकर योजना बहुंत पहिले बनाय गे रिहिस।
2 तेंह सहर ला कचरा के एक ढेर बना दे हस,
गढ़वाले नगर ला खंडहर बना दे हस,
परदेसीमन के मजबूत गढ़वाला सहर अब नइं ए;
येला फेर कभू बसाय नइं जावय।
3 एकरसेति बलवान मनखेमन तोर आदर करहीं;
निरदयी जातिमन के नगरमन तोर आदर करहीं।
4 तेंह गरीबमन बर एक सरन-स्थान,
जरूरतमंद बर ओमन के बिपत्ति म एक सरन-स्थान,
आंधी म एक आसरय,
अऊ घाम म एक छइहां के जगह रहे हस।
काबरकि निरदयी के सांस ह
दीवार म टकरावत एक आंधी के सहीं
5 अऊ मरू-भुइयां के गरमी सहीं अय।
तेंह परदेसीमन के कोलाहल ला वइसने सांत करथस;
जइसने बादर के छइहां के दुवारा गरमी ह सांत होथे,
ओही किसम ले निरदयी के गीत ह सांत हो जाथे।
6 ये पहाड़ ऊपर सर्वसक्तिमान यहोवा ह
जम्मो मनखेमन बर बढ़िया जेवन के एक भोज तियार करही,
पुराना अंगूर के मंद के एक जेवनार—
सबले बढ़िया मांस अऊ सबले बढ़िया अंगूर के मंद होही।
7 ये पहाड़ ऊपर, ओह ओ परदा ला नास करही
जऊन ह जम्मो मनखेमन ला लपेटके रखथे,
ओ चादर, जऊन ह सब जातिमन ला ढांपे हवय;
8 ओह मऊत ला हमेसा बर नास कर दीही।
परमपरधान यहोवा ह सबो के चेहरा ले
आंसू ला पोंछ दीही;
ओह पूरा धरती ले
अपन मनखेमन के कलंक ला हटा दीही।
यहोवा ह कहे हवय।
9 ओ दिन ओमन कहिहीं,
“खचित येह हमर परमेसर अय;
हमन ओकर ऊपर भरोसा करेंन, अऊ ओह हमर उद्धार करिस।
येह यहोवा अय, हमन ओकर भरोसा करे हवन;
आवव, हमन ओकर उद्धार म आनंद अऊ खुसी मनावन।”
10 यहोवा के हांथ ह ये पहाड़ ऊपर बने रहिही;
पर मोआब ह ओमन के देस म अइसन रऊंदे जाही
जइसन पैंरा ह खातू म रऊंदे जाथे।
11 ओमन*या मोआबीमन येमा अपन हांथ अइसन फईलाहीं,
जइसन तउंरइयामन तउंरे बर अपन हांथ फईलाथें।
पर ओमन के हांथ के चतुरई के बावजूद
परमेसर ह ओमन के घमंड ला टोर दीही।
12 ओह तुम्हर ऊंच गढ़वाले दीवारमन ला खाल्हे ले आही
अऊ खाल्हे गिरा दीही;
ओह ओमन ला भुइयां म ले आही,
अऊ माटी म मिला दीही।