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यहोवा के सेवक
“येह मोर सेवक ए, जऊन ला में संभालथंव,
मोर चुने हुए जन, जेकर ले मेंह खुस रहिथंव;
मेंह येकर ऊपर अपन आतमा डालहूं,
अऊ येह जाति-जाति के मनखेमन बर नियाय लानही।
न ओह चिचियाही अऊ न ऊंचहा सबद म बोलही,
न ही गलीमन म अपन अवाज ऊंचहा करही।
कुचरे सरकंडा ला न तो ओह टोरही,
अऊ न ही सुलगत दीया के बाती ला बुताही।
बिसवासयोग्यता से ओह नियाय करही;
ओह नइं डगमगाही अऊ न ही हिम्मत हारही
जब तक कि ओह नियाय ला धरती ऊपर स्थापित नइं कर दीही।
ओकर सिकछा म द्वीपमन के मनखेमन अपन आसा रखहीं।”
 
परमेसर यहोवा ह ये कहत हे—
अकासमन ला बनानेवाला, जऊन ह ओमन ला तानथे,
जऊन ह धरती ला ओकर जम्मो चीजमन के संग फईलाथे,
जऊन ह येमा के मनखेमन ला सांस
अऊ येमा चलनेवालामन ला जिनगी देथे:
“में, यहोवा ह तोला धरमीपन म बलाय हंव;
में तोर हांथ ला धरके तोर रकछा करहूं।
में तोला संभाले रखहूं अऊ मनखेमन बर
तोला एक करार
अऊ आने जाति के मनखेमन बर एक अंजोर ठहिराहूं,
ताकि तें अंधरामन के आंखी ला खोल दे,
कैदीमन ला कैदखाना ले बाहिर ले आ
अऊ जेमन अंधियार म बईठे हवंय, ओमन ला काल-कोठरी ले मुक्त कर दे।
 
“मेंह यहोवा अंव; येह मोर नांव अय!
मेंह आने ला अपन महिमा नइं देवंव
या अपन परसंसा मूरतीमन ला नइं देवंव।
देखव, पहिली के चीजमन हो गे हवंय,
अब नवां चीजमन के में घोसना करत हंव;
ओमन के होय के पहिली
मेंह तुमन ला ओमन के घोसना करत हंव।”
यहोवा बर इस्तुति के गीत
10 हे समुंदर म चलइया, अऊ ओमा जम्मो रहइयामन,
हे द्वीपमन, अऊ ओमन म जम्मो रहइयामन,
यहोवा बर एक नवां गीत गावव,
अऊ धरती के छोर ले ओकर इस्तुति करव।
11 सुनसान जगह अऊ ओमा के नगरमन अपन अवाज ऊंच करव;
केदार के बसे जगहमन आनंदित होवंय।
सेला सहर के मनखेमन आनंद के मारे गावंय;
ओमन पहाड़मन के टीपमन ले चिचियावंय।
12 ओमन यहोवा के महिमा परगट करंय
अऊ द्वीपमन म ओकर परसंसा करंय।
13 यहोवा ह एक बिजेता के सहीं निकलही,
एक योद्धा सहीं ओह अपन उत्साह ला भड़काही;
ओह चिचियाके लड़ई बर ललकारही
अऊ अपन बईरीमन ऊपर जयवंत होही।
 
14 “बहुंत समय तक मेंह चुप रहेंव,
मेंह सांत रहेंव अऊ अपनआप ला रोकके रखे रहेंव।
पर अब, लइका जनमावत माईलोगन सहीं,
में कलहरत हंव, में जोर-जोर से सांस लेवत हंव अऊ हांफत हंव।
15 मेंह पहाड़ अऊ पहाड़ीमन ला उजार दूहूं
अऊ ओमन के सब हरियाली ला सूखा दूहूं;
में नदीमन ला द्वीप बना दूहूं
अऊ तरियामन ला सूखा डारहूं।
16 मेंह अंधरामन ला ओ रसता म ले जाहूं जऊन ला ओमन नइं जानंय,
अनजान रसता म में ओमन के अगुवई करहूं;
ओमन के आघू म मेंह अंधियार ला अंजोर कर दूहूं
अऊ उबड़-खाबड़ जगहमन ला समतल कर दूहूं।
ये सब काम में करहूं;
में ओमन ला नइं तियागंव।
17 पर जेमन मूरतीमन ऊपर भरोसा करथें,
अऊ मूरतीमन ले कहिथें, ‘तुमन हमर देवता अव,’
ओमन ला लज्जित होके पाछू लहुंटे बर पड़ही।
अंधरा अऊ भैंरा इसरायल
18 “हे भैंरामन, सुनव;
हे अंधरामन, आंखी खोलव अऊ देखव!
19 मोर सेवक के छोंड़ कोन अंधरा अय,
अऊ मोर पठोय दूत सहीं कोन भैंरा अय?
जऊन ह मोर संग करार करे हवय, ओकर सहीं कोन अंधरा अय,
या यहोवा के सेवक सहीं कोन अंधरा अय?
20 तेंह बहुंते चीजमन ला देखे हस, पर तें धियान नइं देवस;
तोर कानमन तो खुले हवंय, पर तें सुनस नइं।”
21 यहोवा ला अपन धरमीपन बर
ये बने लगिस
कि अपन कानून ला ओह बड़े अऊ महिमामय करय।
22 पर येमन एक लूटे अऊ छीने गय मनखे अंय,
सब के सब खंचवा म फंसे
या जेल म बंद हवंय।
येमन लूट के चीज बन गे हवंय,
अऊ येमन ला कोनो बचानेवाला नइं एं;
येमन लूट लिये गे हवंय,
अऊ कोनो ये कहइया नइं एं, “येमन ला वापिस भेज दव।”
 
23 तुमन म ले कोन ह येला सुनही
या अवइया समय म बिसेस धियान दीही?
24 कोन ह याकूब ला लूट के चीज होय बर दे दीस,
अऊ इसरायल ला लुटेरामन के हांथ म कर दीस?
का येह यहोवा नइं रिहिस,
जेकर बिरूध हमन पाप करेंन?
काबरकि ओमन ओकर रसता म नइं चलिन;
ओमन ओकर कानून ला नइं मानिन।
25 एकरसेति ओमन ऊपर ओकर कोरोध ह भड़किस,
ओमन ऊपर लड़ई के हिंसा होईस।
येह आगी सहीं ओमन ला घेर लीस, तभो ले ओमन नइं समझिन;
येह ओमन ला भसम कर दीस, पर ओमन नइं चेतिन।