51
सियोन बर अनंतकाल के उद्धार
1 “तुमन, जेमन धरमीपन म चलथव
अऊ यहोवा के खोज करथव, मोर बात ला सुनव:
ओ चट्टान ला देखव, जेमा ले तुमन ला काटे गे हवय
अऊ पथरा के ओ खदान ला देखव, जेमा ले तुमन ला निकाले गे हवय;
2 अपन पुरखा अब्राहम
अऊ सारा ला देखव, जेकर तुमन संतान अव।
जब में ओला बलांय, तब ओह सिरिप एके झन आदमी रिहिस,
अऊ मेंह ओला आसीस देंव अऊ ओला बहुंते झन कर देंव।
3 यहोवा ह सियोन ला जरूर सांति दीही
ओह ओकर सब खंडहरमन ऊपर दया देखाही;
ओह ओकर बंजर जगह ला अदन के बारी सहीं
अऊ ओकर उजाड़ जगह ला यहोवा के बारी सहीं बना दीही।
ओमा खुसी अऊ आनंद
धनबाद अऊ गीत गाय के सबद सुनई पड़ही।
4 “हे मोर मनखेमन, मोर बात ला सुनव;
हे मोर जाति के मनखेमन, मोर बात ला सुनव:
कानून ह मोर ले निकलके जाही;
मोर नियाय ह देस-देस के मनखेमन बर एक अंजोर बन जाही।
5 मोर धरमीपन ह तेजी से लकठा म आथे,
मोर उद्धार ह डहार म हवय,
अऊ मोर भुजा ह देस-देस के मनखेमन बर नियाय लानही।
द्वीपमन मोर कोति देखहीं
अऊ मोर भुजा म आसा रखहीं।
6 अकास कोति आंखी उठाके देखव,
खाल्हे धरती ला देखव;
अकास ह धुआं के सहीं लोप हो जाही,
धरती ह ओनहा के सहीं जुन्ना हो जाही
अऊ येमा रहइयामन माछीमन कस मर जाहीं।
पर मोर उद्धार ह सदाकाल तक बने रहिही,
अऊ मोर धरमीपन के कभू अन्त नइं होही।
7 “तुमन, जेमन सही बात ला जानथव,
तुमन, जेमन मोर कानून ला अपन मन म रखे हव, मोर बात ला सुनव:
मरनहार मनखेमन के निन्दा करई ले झन डरव
या ओमन के दुवारा बेजत्ती करे ले भयभीत झन होवव।
8 काबरकि घूना ह ओमन ला ओनहा सहीं
अऊ कीरा ह ओमन ला ऊन सहीं खा जाही।
पर मोर धरमीपन ह अनंतकाल तक
अऊ मोर उद्धार ह पीढ़ी-पीढ़ी तक बने रहिही।”
9 हे यहोवा के भुजा, जाग, जाग,
अऊ बल धारन कर!
जाग, जब दिनमन बीतत हें,
जाग, पुराना पीढ़ी के मनखेमन सहीं।
का ये तें नइं रहय, जऊन ह राहाब ला कुटा-कुटा कर देय,
जऊन ह ओ बिकराल जन्तु ला छेद दीस?
10 का ये तें नइं रहय, जऊन ह समुंदर ला,
गहिला सागर के पानी ला सूखा दीस,
जऊन ह समुंदर के गहरई म एक सड़क बना दीस
ताकि छोंड़ाय गय मनखेमन ओ पार जा सकंय?
11 जेमन ला यहोवा ह बचाय हवय, ओमन लहुंटके आहीं।
ओमन गीत गावत सियोन म आहीं;
सदाकाल के आनंद ह ओमन के मुड़ के मुकुट होही।
खुसी अऊ आनंद ले ओमन भर जाहीं,
अऊ दुख अऊ पीरा के अन्त हो जाही।
12 “में, हव, में ही तो तोला सांति देथंव।
तें कोन अस कि तें मरनहार मनखे ले डरथस,
ओ मानव-जाति, जेमन घांस के सहीं अंय,
13 तें, यहोवा अपन सिरजनहार ला भुला जाथस
जऊन ह अकास ला तानथे
अऊ जऊन ह धरती के नीव धरथे,
अऊ तें हर दिन लगातार आतंक म जीथस,
ओ अतियाचारी के कोप के कारन,
जऊन ह बिनास करे म लगे रहिथे।
पर ओ अतियाचारी के कोप ह कहां हवय?
14 भयभीत कैदीमन जल्दी ही सुतंतर करे जाहीं;
ओमन अपन काल-कोठरी म नइं मरंय,
अऊ न ही ओमन ला रोटी के कमी होही।
15 काबरकि मेंह यहोवा तुम्हर परमेसर अंव,
जऊन ह समुंदर ला उथल-पुथल करथे, जेकर ले ओकर लहरामन म गरजन होथे,
सर्वसक्तिमान यहोवा ओकर नांव ए।
16 मेंह तोर मुहूं म अपन बचन ला डाले हंव
अऊ तोला अपन हांथ के छइहां म ढांपे हंव—
में, जऊन ह अकास ला तानथंव,
जऊन ह धरती के नीव डारेंव,
अऊ जऊन ह सियोन ले कहिथे, ‘तुमन मोर मनखे अव।’ ”
यहोवा के कोरोध के कटोरा
17 हे यरूसलेम, जाग, जाग!
जाग उठ!
तें, जऊन ह यहोवा के हांथ ले
ओकर कोप के कटोरा म ले पीये हस,
तेंह कटोरा के पूरा मंद ला पी गे हस
जेकर से मनखे ह लड़खड़ाथे।
18 ओकर जनमे जम्मो लइका म
अइसे कोनो घलो नइं एं, जऊन ह ओकर अगुवई करे;
ओकर पाले जम्मो लइका म
अइसे कोनो नइं एं, जऊन ह ओकर हांथ ला थामके ले चलय।
19 तोर ऊपर ये दू ठन बिपत्ति आय हवंय—
कोन ह तोला सांति दे सकत हे?—
उजाड़ अऊ बिनास, अकाल अऊ तलवार आ परे हवय—
कोन ह तोला सांति दे सकत हे?
20 तोर लइकामन मूरछित होके
हर गली के कोनटा म पड़े हवंय,
जइसे हिरन ह जाल म फंसके परे रहिथे।
ओमन यहोवा के कोप
तुम्हर परमेसर के डांट ले भर गे हवंय।
21 एकर कारन हे दुखियारी मनखे, सुन,
तें मतवार तो हवस, पर अंगूर के मंद पीके नइं।
22 तोर परमपरधान यहोवा, तोर परमेसर,
जऊन ह अपन मनखेमन के रकछा करथे, ओह ये कहत हे:
“देख, मेंह तोर हांथ ले ओ कटोरा ला लेय ले हंव,
जेकर मंद ला पीके तें लड़खड़ाथस;
ओ कटोरा ले, मोर कोप के कटोरा ले,
तेंह फेर कभू नइं पीबे।
23 में येला तोर दुख देवइयामन के हांथ म दे दूहूं,
जेमन तोला कहिन,
‘पेट के भार गिर जा, ताकि हमन तोर ऊपर रेंगन।’
अऊ तेंह अपन पीठ ला भुइयां सहीं कर ले हस,
एक गली सहीं, जेमा ले रेंगके जाथें।”