5
एको झन घलो धरमी नइं
1 “ऊपर अऊ खाल्हे यरूसलेम के गलीमन म जावव,
चारों कोति देखव अऊ बिचार करव,
ओकर चऊकमन म खोजव।
यदि एक जन भी तुमन ला अइसने मिल जाय,
जऊन ह ईमानदारी से काम करथे अऊ सच्चई के खोजी अय,
त मेंह ये सहर ला छेमा कर दूहूं।
2 हालाकि ओमन कहिथें, ‘यहोवा के जिनगी के कसम,’
अभी भी ओमन झूठा कसम खावत हंय।”
3 हे यहोवा, का तोर नजर सच्चई ऊपर नइं रहय?
तेंह ओमन ला मारे, पर ओमन ला पीरा नइं होईस;
तेंह ओमन ला कुचरे, पर ओमन नइं सुधरिन।
ओमन अपन चेहरा ला पथरा ले घलो जादा कठोर कर लीन
अऊ पछताप करे ले इनकार करिन।
4 मेंह सोचेंव, “येमन सिरिप गरीब अंय;
येमन मुरूख अंय,
काबरकि येमन यहोवा के रद्दा ला,
अऊ अपन परमेसर के जरूरत ला नइं जानंय।
5 एकरसेति मेंह अगुवामन करा जाके
ओमन ले बात करहूं;
खचित ओमन यहोवा के रद्दा
अऊ अपन परमेसर के जरूरत ला जानथें।”
पर एक मन होके, ओमन घलो जुड़ा ला
अऊ करार ला टोर दे रिहिन।
6 येकरे कारन जंगल के सिंह ह ओमन ऊपर हमला करही,
निरजन जगह के एक भेड़िया ह ओमन के नास कर दीही,
एक चीतवा ह ओमन के नगरमन के लकठा म घात लगाय रहिही
ताकि यदि कोनो जोखिम उठाके बाहिर निकले, त फारके ओला कुटा-कुटा कर दे,
काबरकि ओमन के बिदरोह ह बहुंत अय
अऊ ओमन के पाछू पलटई भी बहुंत।
7 “मेंह तुमन ला काबर छेमा करंव?
तुम्हर लइकामन मोला तियाग दे हवंय
अऊ ओ देवतामन के किरिया खाय हवंय, जेमन देवता नो हंय।
मेंह ओमन के जम्मो जरूरत ला पूरा करेंव,
तभो ले, ओमन बेभिचार करिन
अऊ बेस्यामन के घरमन म भीड़ के भीड़ जावत रिहिन।
8 ओमन बने खवाय-पीयाय, वासना से भरे घोड़ामन सहीं अंय,
ओमा के हर एक जन आने मनखे के घरवाली बर हिनहिनावत रहिथें।
9 का मेंह ये काम बर ओमन ला सजा नइं देवंव?”
यहोवा ह घोसना करत हे।
का मेंह अइसने जाति ले
खुद बदला नइं लंव?
10 “ओमन के अंगूर के बारीमन म जा अऊ ओमन ला नास कर दे,
पर ओमन ला पूरा नास झन कर।
ओकर डालीमन ला काटके अलग कर दे,
काबरकि ये मनखेमन यहोवा के नो हंय।
11 इसरायल के मनखे अऊ यहूदा के मनखेमन
मोर संग बहुंत बिसवासघात करे हवंय,”
यहोवा ह ये घोसना करत हे।
12 ओमन यहोवा के बारे म लबारी बात कहे हवंय;
ओमन कहिन, “ओह कुछू नइं करही!
हमर कुछू हानि नइं होही;
हमन न तो कभू तलवार ले मारे जाबो अऊ न ही हमर इहां अकाल पड़ही।
13 अगमजानीमन हवा सहीं अंय
अऊ ओमन म परमेसर के बचन नइं ए;
ओमन जो बात कहिथें, ओमन संग वइसने करे जावय।”
14 एकरसेति यहोवा सर्वसक्तिमान परमेसर ह ये कहत हे:
“काबरकि ये मनखेमन ये बचन कहे हवंय,
मेंह अपन बचन ला तोर मुहूं म आगी
अऊ ये मनखेमन ला कठवा सहीं बना दूहूं, अऊ येह ओमन ला भसम कर दीही।”
15 यहोवा ह ये घोसना करत हे, “हे इसरायल के मनखेमन,
मेंह तुम्हर बिरूध म दूरिहा ले एक अइसने देस ला लानत हंव—
जऊन ह एक पुराना अऊ बने रहनेवाला देस ए,
अइसने मनखे, जेमन के भासा ला तुमन नइं जानव,
अऊ ओमन के बोली ला तुमन नइं समझव।
16 ओमन के तरकसमन एक खुला कबर सहीं अंय;
ओमा के जम्मो झन सूरबीर अंय।
17 ओमन तुम्हर फसल अऊ तुम्हर जेवन ला खा जाहीं,
ओमन तुम्हर बेटा-बेटीमन ला खा जाहीं;
ओमन तुम्हर भेंड़-बकरी अऊ गाय-बईलामन ला खा जाहीं,
ओमन तुम्हर अंगूर के नार अऊ अंजीर के रूखमन ला खा जाहीं।
ओमन तलवार ले ओ गढ़वाले सहरमन ला नास कर दीहीं,
जेमा तुमन भरोसा रखथव।”
18 यहोवा ह ये घोसना करत हे, “तभो ले ओ दिनमन म घलो, मेंह तुमन ला पूरा नास नइं करंव। 19 अऊ जब मनखेमन पुछहीं, ‘यहोवा हमर परमेसर ह हमन ले ये जम्मो काम काबर करे हवय?’ तब तें ओमन ला बताबे, ‘जइसने कि तुमन मोला तियाग दे हवव अऊ अपन खुद के देस म आने देवतामन के सेवा करे हवव, वइसने ही अब तुमन परदेस म परदेसीमन के सेवा करहू।’
20 “येला याकूब के संतानमन ला घोसना करके बतावव
अऊ यहूदा म ये परचार करव:
21 हे मुरूख अऊ निरबुद्धि मनखेमन, ये बात ला सुनव,
तुमन करा आंखी हवय पर नइं देखव,
तुमन करा कान हवय पर नइं सुनव:
22 का तुमन ला मोर डर नइं ए?”
यहोवा ह ये घोसना करत हे।
“का तुमन मोर आघू म नइं थरथरावव?
मेंह बालू ला समुंदर के सीमना ठहिरांय,
येह सदाकाल बर एक सीमना अय, जेला समुंदर ह नाहक नइं सकय।
पानी के लहरामन ओकर ऊपर आ सकत हें, पर ओमन ओला जीत नइं सकंय;
ओमन गरज सकत हें, पर ओमन ओला पार नइं कर सकंय।
23 पर ये मनखेमन करा जिद्दी अऊ बिदरोही हिरदय हवय;
ओमन अलग होके दूरिहा चल दे हवंय।
24 ओमन अपनआप ला ये नइं कहंय,
‘आवव, हमन ओ यहोवा हमर परमेसर के भय मानन,
जऊन ह समय म, सरद अऊ बसन्त रितु के बारिस देथे,
जऊन ह फसल कटई के नियमित हप्तामन के भरोसा देवाथे।’
25 तुमन के गलत काममन, येमन ला दूरिहा कर दे हवंय;
तुमन के पाप ही के कारन, तुम्हर भलई नइं होवय।
26 “मोर मनखेमन के बीच म दुस्ट मनखेमन हवंय
जऊन मन अइसने ताक म रहिथें जइसने चिरई मरइयामन रहिथें
अऊ येमन ओमन सहीं अंय, जऊन मन मनखेमन ला पकड़े बर फांदा लगाथें।
27 चिरईमन ले भरे पिंजरामन सहीं,
ओमन के घर ह छल-कपट ले भरे रहिथे;
ओमन धनवान अऊ बलवान हो गे हवंय
28 अऊ ओमन मोटहा अऊ चिकना हो गे हवंय।
ओमन के दुस्ट काममन के कोनो सीमना नइं ए;
ओमन नियाय के परवाह नइं करंय।
ओमन अनाथमन के नियाय नइं चुकावंय;
ओमन गरीबमन के हक के बचाव नइं करंय।
29 का मेंह ओमन ला ये बातमन के सजा नइं दंव?”
यहोवा ह ये घोसना करत हे।
“का मेंह अइसने जाति ले
खुद बदला नइं लंव?”
30 एक भयंकर अऊ चोट देवइया बात
देस म होय हवय:
31 अगमजानीमन झूठ-मूठ के अगमबानी करथें,
पुरोहितमन अपन खुद के अधिकार ले हुकूम चलाथें,
अऊ मोर मनखेमन ला ये बात बहुंत बने लगथे।
पर अन्त के बेरा म तुमन का करहू?