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अयूब
तब अयूब ह जबाब दीस:
“आज घलो मोर सिकायत ह करू अय;
मोर कलहरई के बावजूद ओकर हांथ ह मोर ऊपर भारी हवय।
कहूं मेंह सिरिप ये जानतेंव कि ओह कहां मिलही;
कहूं मेंह सिरिप ओकर निवास करा जा सकतेंव!
मेंह अपन मामला ओकर आघू म रखतेंव
अऊ बहुंत बहस करतेंव।
मेंह पता लगातेंव कि ओह मोला का जबाब देतिस,
अऊ जऊन कुछू ओह मोर ले कहितिस, ओकर ऊपर बिचार करतेंव।
का ओह अपन पूरा बल ले मोर संग बहस करही?
नइं, ओह मोर बिरोध म दोस नइं लगाही।
उहां ईमानदार मनखे ह ओकर आघू म अपन निरदोस होय के बात ला साबित कर सकथे,
अऊ उहां मेंह अपन नियाय करइया ले हमेसा बर छुटकारा पा लेतेंव।
 
“पर कहूं मेंह पूरब दिग म जावंव, त ओह उहां नइं ए;
कहूं मेंह पछिम दिग म जावंव, त ओह मोला नइं मिलय।
जब ओह उत्तर दिग म काम करत रहिथे, त मेंह ओला नइं देखंव;
जब ओह दक्खिन कोति मुड़थे, त मेंह ओकर झलक घलो नइं देख पावंव।
10 पर ओह जानथे कि मेंह कते रद्दा म जावत हंव;
जब ओह मोला परखही, त मेंह सोन कस निकलहूं।
11 मेंह बहुंत नजदीकी ले ओकर पाछू म चले हंव;
मेंह बिगर एती-ओती जाय ओकर रद्दा ला धरे हंव।
12 मेंह ओकर दिये मुहूं के हुकूम ले नइं हटे हंव;
मेंह ओकर मुहूं के गोठमन ला अपन रोज के जेवन ले घलो जादा अनमोल जानत हंव।
 
13 “पर ओह अपन बात म अडिग रहिथे, अऊ कोन ह ओकर बिरोध कर सकथे?
जऊन बात ओला बने लगथे, ओही ला ओह करथे।
14 ओह मोर बिरोध म अपन फैसला लेथे,
अऊ अइसने कतको योजना ओकर करा माढ़े हवय।
15 येकरे कारन मेंह ओकर आघू म भयभीत हंव;
जब में ये जम्मो के बारे म सोचथंव, त मेंह ओकर ले डरथंव।
16 परमेसर ह मोर मन ला हतास कर दे हवय;
सर्वसक्तिमान ह मोला भयभीत कर दे हवय।
17 तभो ले मेंह अंधियार के कारन चुप नइं अंव,
ओ गहिरा अंधियार जऊन ह मोर चेहरा ऊपर छाय हवय।