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कोनो भी कीमत म बुद्धि ला ले
हे मोर बेटामन, अपन ददा के सिकछा ला सुनव,
अऊ समझ के बात ला जाने बर मन लगावव।
मेंह तुमन ला उत्तम सिकछा देथंव,
एकरसेति मोर सिकछा ला झन छोंड़व।
जब मेंह घलो अपन ददा के बेटा रहेंव,
सुकुमार, अऊ अपन दाई के दुलारा रहेंव;
त मोर ददा ह ये कहिके मोला सिखावय,
“तोर पूरा मन मोर बचन म लगे रहय;
मोर हुकूममन ला मान अऊ जीयत रह।
तोला बुद्धि मिलय अऊ समझ घलो मिलय;
मोर बातमन ला झन भुलाबे या ओमन ला झन छोंड़बे।
बुद्धि ला झन छोंड़बे, अऊ ओह तोर रकछा करही;
ओकर ले मया कर, अऊ ओह तोर रखवारी करही।
बुद्धि ह सबले उत्तम ए, एकरसेति येला पाय के कोसिस कर,
अऊ समझ ला पाय बर जम्मो कुछू कर।
ओकर बात मान, त ओह तोला ऊपर उठाही;
ओला धरे रह, अऊ ओह तोर आदर करही।
ओह तोर मुड़ ला सोभा देवइया एक माला पहिराही
अऊ तोला सुघर मुकुट दीही।”
 
10 हे मोर बेटा, मोर बात ला सुन अऊ ओला मान,
तब तेंह बहुंत बछर जीयबे।
11 मेंह तोला बुद्धि के रसता बतात हंव,
अऊ सीधई के डहार म ले जावत हंव।
12 जब तेंह रेंगबे, त कोनो बाधा नइं होही,
अऊ जब तेंह दऊड़बे, त तोला ठोकर नइं लगही।
13 सिकछा ला मान, ओला झन छोंड़;
येकर रखवारी कर, काबरकि येह तोर जिनगी अय।
14 दुस्टमन के डहार म झन जाबे,
अऊ न ही खराप मनखेमन के रसता म चलबे।
15 ओ रसता ले अलग रह, ओमा झन जा;
ओमा ले हटके अपन रसता म जा।
16 काबरकि दुस्ट मनखेमन जब तक बुरई नइं कर लीहीं, तब तक ओमन ला चैन नइं मिलय;
जब तक ओमन काकरो ठोकर खाय के कारन नइं बनंय, तब तक ओमन ला नींद नइं आवय।
17 ओमन दुस्टता ले कमाय रोटी ला खाथें
अऊ लड़ई-झगरा करके लाने अंगूर के मंद ला पीथें।
 
18 धरमीमन के चाल ह बिहनियां निकलत सूरज सहीं अय,
जेकर अंजोर ह मंझन होवत तक बढ़त ही रहिथे।
19 पर दुस्टमन के रसता ह भयंकर अंधियार सहीं अय;
ओमन नइं जानंय कि ओमन का चीज ले ठोकर खाथें।
 
20 हे मोर बेटा, जऊन बात मेंह कहत हंव, ओकर ऊपर धियान दे,
अऊ मोर बात ला सुन।
21 ये बातमन ला हर समय सुरता रख;
येमन ला अपन हिरदय म रख।
22 काबरकि जऊन मन येमन ला पाथें, ओमन ला येमन जिनगी,
अऊ ओमन के जम्मो सरीर ला चंगई देथें।
23 सबले जादा अपन मन के रखवारी कर,
काबरकि तोर हर काम तोर मन ले ही निकलके आथे।
24 बेईमानी के बात तोर मुहूं ले झन निकलय,
अऊ चालबाजी के बात ले दूरिहा रह।
25 तेंह सीधा आघू ला देख,
अऊ अपन सामने के बात म सीधा धियान लगा।
26 अपन पांव धरे बर डहार ला समतल कर,
अऊ अपन जम्मो रसता म अटल बने रह।
27 न तो जेवनी, अऊ न ही डेरी अंग मुड़,
अऊ न ही बुरई के रसता म रेंग।