भजन-संहिता 2
1 जाति-जाति के मनखेमन काबर हो-हल्ला मचाथें
अऊ मनखेमन काबर बेकार म सडयंत्र रचथें?
2 यहोवा अऊ ओकर अभिसिक्त जन के बिरूध
धरती के राजामन ठाढ़ होथें अऊ सासन करइयामन
ये कहिके एक संग जूरथें,
3 “आवव, हमन ओमन के बेड़ीमन ला टोर दन
अऊ ओमन के बंधना ला उतार फेंकन।”
4 जऊन ह स्वरग के सिंघासन म बिराजे हवय, ओह हंसथे;
परमेसर ह ओमन के ठट्ठा करथे।
5 ओह गुस्सा होके ओमन ला डांटथे
अऊ अपन कोप म ओमन ला ये कहिके डरवाथे,
6 “मेंह अपन राजा ला
अपन पबितर पहाड़ सियोन ऊपर बईठा दे हंव।”
7 मेंह यहोवा के बिधि-बिधान के घोसना करहूं:
ओह मोला कहिस, “तेंह मोर बेटा अस;
आज मेंह तोर ददा बन गे हवंव।
8 मोर ले मांग,
अऊ मेंह जम्मो देसमन ला तोर संपत्ति होय बर,
अऊ धरती के छोर तक के जगह ला तोर अधिकार म दे दूहूं।
9 तेंह ओमन ला लोहा के छड़ ले टोर-फोर देबे*या लोहा के राजदंड ले राज करबे;
तेंह ओमन ला माटी के बरतन सहीं फोरके कुटा-कुटा कर देबे।”
10 एकरसेति, हे राजामन, तुमन बुद्धिमान बनव;
हे धरती के सासन करइयामन, सचेत रहव।
11 भय के संग यहोवा के सेवा करव
अऊ कांपत-कांपत ओकर सासन के खुसी मनावव।
12 ओकर बेटा ला चूमव, नइं तो ओह गुस्सा हो जाही
अऊ तुम्हर जिनगी ह तुमन ला बिनास कोति ले जाही,
काबरकि छिन भर म ओकर कोप ह भड़क सकथे।
धइन अंय ओमन, जेमन ओकर करा सरन लेथें।