भजन-संहिता 37
दाऊद के भजन।
दुस्ट मनखेमन के कारन झन चिढ़व
या गलत काम करइयामन ले जलन झन करव;
काबरकि कांदी के सहीं ओमन अइला जाहीं,
हरियर पऊधा के सहीं ओमन जल्दी खतम हो जाहीं।
 
यहोवा ऊपर भरोसा रखव अऊ भलई करव;
देस म रहिके सुरकछित निवास के आनंद उठावव।
यहोवा के सेवा करे म खुस रहव,
अऊ ओह तुम्हर मन के ईछा ला पूरा करही।
 
यहोवा ला अपन जिनगी सऊंप दे;
ओकर ऊपर भरोसा रख अऊ ओह येला करही:
ओह तोर धरमीपन के ईनाम ला बिहान के अंजोर सहीं,
अऊ तोर काम के नियाय ला मंझनियां के सूरज सहीं चमकाही।
 
यहोवा के आघू म चुपेचाप रह
अऊ धीरज धरके ओकर इंतजार कर;
जब मनखेमन अपन योजना म सफल होथें
या अपन दुस्टता के काम ला करंय, त झन कुढ़बे।
 
गुस्सा झन करव अऊ कोप करई ले दूरिहा रहव;
झन चिढ़व—एकर ले सिरिप बुरई होथे।
काबरकि जऊन मन दुस्ट मनखे अंय, ओमन नास करे जाहीं,
पर जऊन मन यहोवा ऊपर भरोसा करथें, ओमन देस के वारिस होहीं।
 
10 थोरकन समय अऊ हे, तब दुस्ट मनखेमन खतम हो जाहीं;
हालाकि तेंह ओमन ला खोजबे, पर ओमन नइं मिलहीं।
11 पर नम्र मनखेमन देस के वारिस होहीं
अऊ सांति अऊ धन-संपत्ति के आनंद उठाहीं।
 
12 दुस्टमन धरमी मनखेमन के बिरूध साजिस रचथें
अऊ ओमन ऊपर अपन दांत पीसथें;
13 पर परभू ह दुस्टमन के ऊपर हंसथे,
काबरकि ओह जानथे कि ओमन के आखिरी दिन ह आवत हे।
 
14 दुस्टमन अपन तलवार खींचथें,
अऊ धनुस ला तानथें
ताकि ओमन गरीब अऊ जरूरतमंद ला नीचा दिखावंय,
अऊ सीधवा मनखेमन ला मार डारंय।
15 फेर ओमन के तलवार ह ओमन के खुद के हिरदय ला बेधही,
अऊ ओमन के धनुस ह टूट जाही।
 
16 धरमी के थोरकन चीज ह
दुस्टमन के अब्बड़ धन ले जादा बने अय;
17 काबरकि दुस्टमन के सक्ति ला खतम कर दिये जाही,
पर यहोवा ह धरमी जन ला संभालथे।
 
18 निरदोस मनखेमन यहोवा के देखरेख म दिन बिताथें,
अऊ ओमन के निज भाग ह हमेसा बने रहिही।
19 बिपत्ति के बेरा ओमन नइं मुरझांय;
अऊ अकाल के दिन म ओमन भरपूर चीज के आनंद उठाहीं।
 
20 पर दुस्टमन नास हो जाहीं:
हालाकि यहोवा के बईरीमन खेत के फूल सहीं अंय,
पर ओमन जलके खतम हो जाहीं, ओमन धुआं म समा जाहीं।
 
21 दुस्टमन उधार लेथें अऊ नइं पटांय,
पर धरमीमन हांथ खोलके देथें;
22 जेमन ला यहोवा ह आसीस देथे, ओमन देस के वारिस होहीं,
पर जेमन ला ओह सराप देथे, ओमन नास हो जाहीं।
 
23 यहोवा ह ओकर पांव ला मजबूत करथे,
जऊन ह यहोवा म खुस रहिथे;
24 हालाकि ओह लड़खड़ा सकथे, पर ओह गिरय नइं,
काबरकि यहोवा ह ओला अपन हांथ ले संभालथे।
 
25 मेंह जवान रहेंव अऊ अब डोकरा हो गे हंव,
पर मेंह ये बात कभू नइं देखेंव कि धरमीमन ला तियाग दिये गीस
या ओमन के लइकामन खाय बर भीख मांगिन।
26 ओमन हमेसा उदार दिल के होथें अऊ दिल खोलके उधार देथें;
ओमन के लइकामन एक आसीस के कारन बनहीं।*या आने मनखेमन देखहीं कि ओमन के लइकामन आसीसित हवंय
 
27 बुरई ला छोंड़व अऊ भलई करव;
तब तुमन देस म हमेसा बने रहिहू।
28 काबरकि यहोवा ह सच्चई ले मया करथे
अऊ अपन बिसवासयोग्य मनखेमन ला नइं तियागे,
 
ओमन के हमेसा रकछा करे जाही;
पर दुस्टमन के संतानमन नास हो जाहीं।
29 धरमी मनखेमन देस के उत्तराधिकारी होहीं
अऊ ओमा हमेसा निवास करहीं।
 
30 धरमीमन के मुहूं ले बुद्धि के बात निकलथे,
अऊ ओमन के जीभ ओ बात कहिथे, जऊन ह सही अय।
31 ओमन के परमेसर के कानून ह ओमन के हिरदय म हवय;
ओमन के गोड़ ह नइं फिसलय।
 
32 दुस्ट मनखे ह ये इरादा से धरमीमन के घात म रहिथे
कि ओह ओमन ला मार डारय।
33 पर यहोवा ह धरमीमन ला दुस्ट मनखेमन के हांथ म नइं छोंड़य
या ओमन ला दोसी नइं ठहिराय, जब ओमन अदालत म लाय जाथें।
 
34 यहोवा ऊपर आसा रखव
अऊ ओकर रसता म चलव।
ओह तुमन ला बढ़ाही अऊ देस के उत्तराधिकारी बनाही;
जब दुस्ट मनखेमन के नास करे जाही, त तुमन येला देखहू।
 
35 मेंह एक दुस्ट अऊ निरदयी मनखे ला
बड़े देसी रूख के सहीं बाढ़त देखे हंव,
36 पर ओह जल्दी खतम हो गीस अऊ ओह फेर नइं दिखिस;
हालाकि मेंह ओला खोजेंव, पर ओह नइं मिलिस।
 
37 निरदोस मनखे ऊपर बिचार कर, अऊ ईमानदार मनखे ला देख;
ओमन के भविस्य उज्जवल होथे, जेमन सांति के खोज म रहिथें।या जऊन मन सांति के खोज म रहिथें, ओमन उन्नति करहीं
38 पर जम्मो पापीमन ला नास करे जाही;
दुस्टमन के कुछू भविस्य नइं होही।
 
39 धरमीमन के उद्धार ह यहोवा कोति ले होथे;
संकट के बेरा म ओहीच ह ओमन के मजबूत गढ़ ए।
40 यहोवा ह ओमन के मदद करथे अऊ ओमन ला छुड़ाथे;
ओह ओमन ला दुस्ट मनखे ले छुड़ाथे अऊ ओमन ला बचाथे।
काबरकि ओमन यहोवा करा सरन लेथें।

*भजन-संहिता 37:26 या आने मनखेमन देखहीं कि ओमन के लइकामन आसीसित हवंय

भजन-संहिता 37:37 या जऊन मन सांति के खोज म रहिथें, ओमन उन्नति करहीं