भजन-संहिता 87
कोरह के बेटामन के एक भजन। एक गीत।
ओह पबितर पहाड़ म अपन सहर के नीव डारे हवय।
यहोवा ह सियोन के दुवारमन ला
याकूब के आने जम्मो निवासमन ले जादा मया करथे।
 
हे परमेसर के सहर,
तोर बारे म महिमामय बात कहे जाथे:
“जऊन मन मोला मानथें, ओमन के बीच
मेंह राहाब*कविता के भासा म मिसर के नांव अऊ बेबिलोन के बात ला लिखहूं—
पलिस्ती, अऊ सूर के संग कूसनील के ऊपरी इलाका के बात ला घलो लिखहूं—
अऊ मेंह कहिहूं, ‘येह सियोन म जनमे रिहिस।’ ”
वास्तव म, सियोन के बारे म ये कहे जाही,
“येह अऊ ओह ओमा जनमे रिहिन,
अऊ सर्वोच्च परमेसर ह खुद ओला स्थापित करही।”
यहोवा ह मनखेमन के लेखा म लिखही:
“येह सियोन म जनमे रिहिस।”
 
बाजा बजाके ओमन गाहीं,
“मोर पानी के जम्मो सोतामन तोर म ले निकलथें।”

*भजन-संहिता 87:4 कविता के भासा म मिसर के नांव

भजन-संहिता 87:4 नील के ऊपरी इलाका